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अवलेखन कला : सहज सृजन-प्रभाव है इन कृतियों में

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अवधेश अमन
19 अगस्त 2023

ज की चाक्षुष कला (Visual Arts) में विविधताएं बहुत हैं . इसकी अनेक अलग-अलग विधाओं ने सृजन का एक बहुत बड़ा संसार खड़ा किया है. इसमें देखने और अनुभव करने के लिए बहुत कुछ है. इन्हीं विविधताओं के बीच हम डा. राखी कुमारी (Dr. Rakhi Kumari) की कला को भी देख सकते हैं. डा. राखी कुमारी अपनी कला विधा में मुख्य रूप से एक प्रिंट मेकर हैं यानी अवलेखन कला की कलाकार हैं. इसी विषय की सहायक प्राध्यापक भी हैं. पटना विश्वविद्यालय (Patna University) के कला एवं शिल्प महाविद्यालय में. मगर इन दिनों वह कैनवास पर एक्रिलिक रंगों से चित्रांकन (Painting) कर रही हैं. इनकी इन कृतियों में लोक रूपाकारों में कुछ मिथकों के साथ मुख्य रूप से स्त्रियां चित्रांकित हैं. दरअसल, बिहार (Bihar) में मिथिला की लोक चित्रकला का जो मिथकीय प्रभाव है, वह डा. राखी कुमारी की कला में भी प्रतिबिम्बित होता है.

मिथिला चित्रकला का प्रभाव
हालांकि, यह मुखर रूपों में नहीं है, मगर लोक कला की प्रतिध्वनियों का प्रभाव तो है इनमें. वैसे, यह कोई नयी बात नहीं है. मिथिला (Mithila) की लोक चित्रकला का प्रभाव तो माधवी पारेख और मनु पारेख सरीखे नागर कलाकारों पर भी रहा है. यद्यपि ऐसा लिखकर मैं डा. राखी कुमारी के समकालीन आधुनिक कला-सृजन पर यह आरोप नहीं मढ़ना चाहता. चाक्षुष कला में प्रभाव तो कहीं से भी ग्रहण कर लिया जाता है और कभी-कभी तो यह स्वयंस्फूर्त और स्वाभाविक रूप से भी हो जाता है. डा. राखी कुमारी के लिए यह स्वाभाविक इसलिए है कि यह इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय (Indira Kala Sangeet Vishwavidyalaya), खैरागढ़ में अपने स्नातकोत्तर अध्ययन (1997-99) के दरम्यान भी मिथिला की लोक चित्रकला, वरली और सौरा जनजातीय चित्रकला तथा विशेष रूप से मिथिला की रांटी शैली की रेखीय चित्रकला के प्रभाव को ग्रहण करती रही हैं.

अमलांकन और शिलालेखन
डा. राखी कुमारी का रूपाकार और भाव तत्व भी इनके सृजन में समाहित रहा है. खैरागढ़ में इन्ही विषयों पर इनका शोध कार्य भी हुआ है. हालांकि, प्रिंट मेकिंग इनका मूल विषय है, जिसमें ये लकड़ी के छापे, अमलांकन, शिलालेखन और सेरिग्राफी भी साथ-साथ करती रही हैं. छापाकला के अन्य माध्यमों में भी इन्होंने सृजन किया है. मगर इनका मानना है कि काष्ठ छापा अंकन कला इनके लिए अधिक रुचिकर रही है. चूंकि ललित कला की स्नातक स्तर की शिक्षा जब यह पटना के कला एवं शिल्प महाविद्यालय से प्राप्त कर रही थीं तब काष्ठ छापा ही यहां विशेष रूप से स्थापित था. हालांकि, बाद में डा. राखी कुमारी ने अमलांकन (Etching) और शिलालेखन (Lithography) में कुछ बेहतर कार्य किया.

प्रभावशाली कार्य
अमलांकन में इनकी एक कृति ‘रेस्ट’ (आराम) में एक लेटी हुई स्त्री का संकल्पन है, जिनमें सिर्फ दो छपाई रंगों का प्रयोग है और यह अपने समग्र प्रभाव में है. एक अन्य अमलांकन में तीन युवतियां क्षितिज की ओर देख रही हैं, जहां एक सूरज युवा पुरुष है. कुछ वनस्पतियां भी हैं पृष्ठभूमि में. डा. राखी कुमारी का यह एक प्रभावशाली कार्य है. उनके एक लिथोग्राफ की भी याद आती है, जिसका शीर्षक है ‘सेल्फ पोट्रेट’ (आत्मचित्र). इस चित्र में एक स्त्री की मुखाकृति में चेहरे के अविस्मरणीय (Unforgettable) भाव छपाई के तीन रंगों में विन्यासित हैं. पोस्टर कलर (Poster Color) के साथ इंक पेन तथा काष्ठ छापा में भी इन्होंने इस तरह के कुछ कार्य किये हैं.


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रेखाओं में लचीलापन
बहरहाल, 48 वर्षीय इस स्त्री कलाकार के साम्प्रतिक सृजन भावों को समझना अपेक्षित है. इनके एक कैनवास पर एक्रिलिक (Acrylic) रंगों में स्त्री के एक हाथ में खड़ग और दूसरे हाथ में चक्र है. यह स्त्री (Woman) शक्तिशाली परन्तु स्थूल है तथा यह एक पुरुष पर सवार है. इस कृति का प्रभाव हमें देखने के लिए और इसके चिंतन भाव को समझने के लिए भी प्रेरित करता है. इसकी रेखाएं शक्तिशाली हैं. दो अन्य कृति में अलग-अलग रंग प्रभाव में दो स्त्री के साथ एक पुरुष आकृति का कथ्य एक अन्तरसंवाद (Interaction) भी साझा करता है. इसकी व्याख्या संभवतः स्त्री-पुरुष के जैविक और सामाजिक अंतरसंबंधों को समझे बगैर संभव नहीं हो, मगर हम एक दृष्टि में कुछ तो समझ सकते हैं. इन कृतियों के रंग सपाट और चटख हैं, रेखाओं में लचीलापन है और मुखाकृतियां एक ही तरफ से दर्शायी गयी हैं मिथिला चित्रकला जैसी.

अन्य उपलब्धियां भी कम नहीं
एक अन्य कृति में मिथिला चित्रकला का विषय ही चित्रांकित है, जिसमें राजा सल्हेश हाथी की जगह घोड़े पर सवार हैं तथा उनको आजीवन चाहने वाली दो मालिन बहनें रेशमा और कुसुमा दर्शायी गयी हैं. ऐसी ही अनेक मिथकीय प्रभाव वाली कृतियां कैनवास (Canvas) पर तथा कागज पर भी बनायी हैं डा. राखी कुमारी ने जो इनके प्रिंट मेकिंग (Print Making) से अलग एक अप्रतिम संसार से साक्षात्कार  कराती है. कलाकार डा. राखी कुमारी की अन्य उपलब्धियां भी कम नहीं हैं – एकल प्रदर्शनी करने, कलाकार शिविरों में भाग लेने तथा पुरस्कार पाने आदि की. मगर कला महाविद्यालय (Art College) में अपने कुशल अध्यापन के साथ ही ये निरन्तर सृजनशील हैं और इनकी कृतियों में एक सहज सृजन-प्रभाव है.

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