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राजनीति में पूर्व अधिकारी : ऐसा है अनुभव नीतीश कुमार का

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विशेष प्रतिनिधि
27 सितम्बर‌ 2023

Patna : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पानी नेताओं को खूब लगता है. पर, उनके अधिकारियों पर उल्टा असर करता है. किसी दिन फुर्सत में लिस्ट बनाइये. निष्कर्ष निकलेगा कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के साथ रहकर और उनके आशीर्वाद से छोटे स्तर के कितने नेता बड़े – बड़े पदों पर पहुंच गये. उनमें से कुछ ही की निष्ठा इधर- उधर हुई‌ है, अधिकतर वफादार बने हुए हैं. इसके उलट उन अधिकारियों की लिस्ट बनाइये, जो उनकी ‘कृपा’ पाकर राजनीति में आये. कुछ धुंधले रह गये, तो कुछ चमके भी. कुछ तबाह भी हो गये. तबाह होने वालों की सूची में पूर्व केन्द्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (RCP Singh) को रख सकते हैं. के पी रमय्या (K P Ramayya) को भी‌ रख सकते हैं.

कर लेंगे तब दक्षिण का रुख
के पी रमय्या 2014 में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू (JDU) से सासाराम से लोकसभा का चुनाव लड़े. हारे और अब बहुचर्चित सृजन (Srijan) घोटाला सहित कई अन्य घोटालों में आरोपित होकर मारे – मारे फिर रहे हैं. करीब के लोग बताते हैं कि वह कसम खाकर बैठ गये हैं कि अदालती मामलों से निकल जायें, तो सीधे दक्षिण का रुख कर लेंगे. चुनाव के बारे में सोचेंगे भी नहीं. खैर, पुराने अधिकारियों की दशा-दुर्दशा से बिना सबक लिए नीतीश कुमार के दो और प्रिय अधिकारी लाेकसभा के चुनाव की तैयारी में जुट गये हैं. इनमें से एक ने साल भर पहले स्वैच्छिक सेवानिवृति ले ली थी. अभी मुख्यमंत्री के दरबार में बैठते हैं. समय बिताने के लिए उन्हें एक प्राधिकरण में बैठा दिया गया है.


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इसलिए धरे हुए हैं गांव!
नीतीश कुमार के निकट रहने वाले लोग कहते हैं कि इन्हें नालंदा (Nalanda) के लिए तैयार किया जा रहा है. नालंदा ही उनकी जन्मभूमि है और हैं भी वह उसी बिरादरी के जिससे नीतीश कुमार आते हैं. वैसे, नालंदा से ही आरसीपी सिंह के चुनाव लड़ने की चर्चा है. राजनीतिक हलकों में यह बात होती रहती है कि वह उसी तैयारी के सिलसिले में गांव धरे हुए हैं. माना जा रहा है कि नालंदा में नीतीश कुमार के पूर्व आईएएस उम्मीदवार पर आरसीपी सिंह भारी पड़ेंगे. दरबार से जुड़े एक और आईएएस (IAS) अधिकारी भी लाइन में हैं. उनका रास्ता दोनों तरफ है. उनकी नजर गया लोकसभा क्षेत्र पर है. 2019 के चुनाव में गया में नीतीश कुमार की पार्टी के उम्मीवार की ही जीत हुई थी. इसलिए इस अधिकारी को जदयू से उम्मीदवारी मिलने का भरोसा नहीं है.

मांझी भी चाहते हैं
एहतियाती तौर पर वह एनडीए (NDA) के किसी दल की उम्मीदवारी खोज रहे हैं. एनडीए में पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी (Jitanram Manjhi) भी गया से ही चुनाव लड़ना चाहते हैं. खुद के लिए बात नहीं बनने पर पूर्व मंत्री पुत्र संतोष कुमार सुमन के लिए जोर लगा सकते हैं. इसको दृष्टिगत रख आईएएस अधिकारी ने एनडीए के बड़े दल के नेताओं से संपर्क किया है. गया (Gaya) के अलावा सासाराम (Sasaram) और गोपालगंज (Gopalganj) पर भी उनकी नजर है. एनडीए के नेताओं के प्रति भक्ति भाव दिखाने के लिए ये अधिकारी दरबार की गोपनीय सूचनाएं वहां तक पहुंचाते हैं. इस अधिकारी का सेवाकाल 2025 तक है. एनडीए से हरी झंडी मिलते ही वह स्वैच्छिक सेवानिवृति की अर्जी लगा दे सकते हैं.

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