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राजपाट और कायस्थ : तब उस सरकार को ‘भूमिहार राज’ कहा था जेपी ने!

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महेन्द्र दयाल श्रीवास्तव
04 नवंबर 2023

Patna : जनसंख्या के बल पर नहीं,बौद्धिकता के बूते 1963 में कृष्णबल्लभ सहाय ने आकाश कुसुम की तरह मुख्यमंत्री का पद पा लिया था. जानकारों की मानें तो उनकी इस अकल्पनीय उपलब्धि में खुद की जाति की नहीं, तत्कालीन जातीय सियासी समीकरण की मुख्य भूमिका थी. कांग्रेस (Congress) विधायक दल के नेता के चुनाव में तब कृष्णबल्ल्भ सहाय का मुकाबला बीरचंद पटेल से हुआ था, जो कुर्मी बिरादरी के थे. अघोषित तौर पर मुकाबले का स्वरूप अगड़ा-बनाम पिछड़ा हो गया था. सवर्ण समाज के क्षत्रिय विधायकों की मदद से कृष्णबल्लभ सहाय सत्तासीन हो गये. ऐसा कहा जाता है कि मुख्यमंत्री बन जाने के बाद अपनी सत्ता की दीर्घता के लिए ‘सवर्णवाद’ को त्याग उन्होंने संख्या बल में अधिक यादव बिरादरी के दबंग कांग्रेस नेता रामलखन सिंह यादव को अपेक्षाकृत अधिक महत्व दिया.

जातीय चश्मे से देखा
दुर्भाग्यवश उनके ही मुख्यमंत्रित्व काल (1965-66) में बिहार को भीषण अकाल (Draught) से जूझना पड़ गया. प्रशासनिक दृढ़ता के लिए मशहूर कृष्णबल्लभ सहाय ने उसका डटकर मुकाबला किया. आमजन को ज्यादा कष्ट नहीं होने दिया. उनके आपदा प्रबंधन की सराहना जयप्रकाश नारायण (Jai Prakash Narayan) ने भी की थी. हालांकि, उनकी इस तारीफ को राजनीति ने जातीय चश्मे से देखा. वैसे, राजपाट से दूर रहने वाले सर्वोदयी जयप्रकाश नारायण पर जातिवाद के छींटे 1957 में भी पड़े थे. हाल फिलहाल स्वर्ग सिधार गये माकपा के बड़े नेता पूर्व विधायक गणेश शंकर विद्यार्थी ने एक बार बीबीसी हिन्दी से साक्षात्कार में बताया था कि 1957 में जयप्रकाश नारायण ने तब के मुख्यमंत्री डा.श्रीकृष्ण सिन्हा (Dr. Shrikrishna Sinha) को एक पत्र लिखा था. उसमें कहा था-‘आपकी सरकार को लोग भूमिहार राज कहते हैं.’


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आधारहीन आरोप
गणेश शंकर विद्यार्थी के मुताबिक जयप्रकाश नारायण का यह आरोप आधारहीन था. सच यह है कि उन्होंने कृष्णबल्लभ सहाय के लिए उन पर ऐसा आरोप लगाया था. गणेश शंकर विद्यार्थी ने यह भी जोड़ा था-‘उस वक्त कायस्थों की एक मिटिंग हुई थी और उसी मिटिंग के बाद उन्होंने श्रीबाबू पर बेबुनियाद आरोप लगाये थे. उनका आरोप ही जातिवादी (Racist) था.’ गणेश शंकर विद्यार्थी ने इसका खुलासा इस रूप में किया था-‘कृष्णबल्लभ सहाय और महेश प्रसाद सिन्हा 1957 में चुनाव हार गये. हार के बाद डा.श्रीकृष्ण सिंह ने महेश प्रसाद सिन्हा को खादी बोर्ड का चेयरमैन बना दिया. लेकिन, कृष्णबल्लभ सहाय को कुछ नहीं बनाया.

भूमिहार होने के कारण नहीं…
कृष्णबल्लभ सहाय कायस्थ थे और महेश प्रसाद सिन्हा भूमिहार. श्री बाबू ने महेश प्रसाद सिन्हा को भूमिहार होने के कारण चेयरमैन नहीं बनाया था, बल्कि इसलिए बनाया था कि स्वतंत्रता की लड़ाई (War of Independence) में उन्होंने श्रीबाबू की खूब मदद की थी. जयप्रकाश नारायण ने कृष्णबल्लभ सहाय के लिए बेबुनियाद आरोप लगाये थे. इसमें तनिक भी सच्चाई नहीं थी’ गणेश शंकर विद्यार्थी का यह साक्षात्कार (Interview) पत्रकार रजनीश कुमार ने लिया था जो कुछ साल पूर्व बीबीसी हिन्दी डॉट कॉम पर प्रसारित हुआ था.

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