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इसलिए जारी नहीं कर रहा कर्नाटक जातीय आंकड़ा

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तापमान लाइव ब्यूरो
08 नवम्बर 2023

Bengaluru : कर्नाटक की कांग्रेस सरकार वहां 2015 में हुए सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सर्वेक्षण, जिसे जातीय गणना (Caste Census) कहा जाता है, का आंकड़ा जारी क्यों नहीं कर रही है? बिहार (Bihar) में जातीय आंकड़े सार्वजनिक किये जाने के बाद यह इस राज्य की राजनीति का एक बड़ा मुद्दा बन गया है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Siddaramaiah) इन आंकड़ों को जारी करना चाहते हैं, पर किन्तु-परन्तु के उलझनों की वजह से वैसा कर नहीं पा रहे हैं. कर्नाटक विभिन्न जाति समूहों वाला राज्य है. उनमें कुछ ऐसे जाति समूह हैं जिनका राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में गहरा प्रभाव है. बड़े जाति समूहों में मुख्य लिंगायत, वोक्कालिगा और कुरुबा हैं. अनुसूचित जाति (Scheduled Caste) और अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe) में वाल्मीकि, नायक, होलेया, भोवी, बनजारा और मदीगा जैसे समुदाय हैं.

लिंगायत और वोक्कालिगा
लिंगायत और वोक्कालिगाओं की राज्य की सत्ता में बड़ी हिस्सेदारी है. इसको इस रूप में समझा जा सकता है कि अब तक के 24 मुख्यमंत्रियों में 16 इन्हीं दो समुदायों से हुए हैं. विश्लेषकों के मुताबिक जातीय आंकड़ा जारी करने का विरोध संभवतः इसलिए हो रहा है कि प्रमुख जातियों की वास्तविक संख्या सार्वजनिक हो जाने से सामाजिक व राजनीतिक (Social and Political) समीकरण पूरी तरह बदल जा सकते हैं. ऐसा माना जाता है कि लिंगायत और वोक्कालिगा की आबादी उतनी नहीं है, जितना दावा किया जाता है. सूत्रों के अनुसार 2015 की गणना रिपोर्ट में इन दोनों समुदायों की संख्या क्रमशः 17 और 24 प्रतिशत के दावों के विपरीत 10 प्रतिशत से भी कम रह गये हैं.


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इस बात का है खतरा
सिद्धारमैया जाति सिद्धांत को हमेशा चुनौती देते रहे हैं. वह पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और दलितों को एक साथ लाकर सत्ता में आये हैं. इन तीनों सामाजिक समूहों की एकजुटता को कन्नड़ में ‘अहिंदा’ कहा जाता है. मुख्यमंत्री के रूप में सिद्धारमैया के पूर्व के कार्यकाल की तरह इस बार भी लिंगायत और वोक्कालिगा खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. भाजपा और जद (एस) ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन किया है. भाजपा (BJP) को लिंगायतों का समर्थन प्राप्त है. वोक्कालिगाओं ने पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा (HD Deve Gowda) के नेतृत्व वाले जद (एस) का समर्थन किया है. माना जाता है कि यह गठबंधन सैद्धांतिक रूप से सिद्धारमैया के ‘अहिंदा’ का मुकाबला करने के लिए लिंगायत-वोक्कालिगा को एक साथ लायेगा. विश्लेषकों की समझ है कि जाति जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक होने से यह गठबंधन (Alliance) मजबूत हो जायेगा.

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