जदयू में तैर रहा सवाल, किसकी गलेगी दरभंगा में दाल!
विशेष प्रतिनिधि
17 नवम्बर 2023
Patna : चुनाव में तो लड़ाई होती ही है. इसीलिए तो चुनाव को लड़ा जाता है. बहुत लोग समझते हैं कि यह लड़ाई चुनाव (Election) के मैदान में ही होती है. यह गलत है. असली लड़ाई से पहले ही कई लड़ाइयां होती हैं. एक मोर्चा टिकट लेने के समय खुलता है. यह सबसे बड़ी लड़ाई होती है. इसमें जीतने पर ही मुख्य लड़ाई में शामिल हुआ जाता है. वैसे तो हरेक लोकसभा और विधानसभा क्षेत्र में इसी तरह की लड़ाई होती है. पर, कुछ खास क्षेत्रों में इसकी झलक पहले से मिलने लगती है.
बात दरभंगा की
मिथिला का दरभंगा (Darbhanga) ऐसा ही क्षेत्र है. एक ही दल के दो दिग्गज पहले आपस में दो-चार हाथ कर रहे हैं. दोनों को पता है कि इस मोर्चे को फतह करने के बाद ही मुख्य लड़ाई में शामिल हुआ जा सकता है. इनमें एक जल संसाधन मंत्री संजय झा (Sanjay Jha) हैं. दूसरे पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री अली अशरफ फातमी हैं. संजय झा उसी दल में हैं, जिस दल के टिकट पर पहला चुनाव लड़े थे. अली अशरफ फातमी दूसरे दल से मंत्रीजी वाले दल में आये हैं.
दावा दोनों का है
खासियत यह कि दोनों का दावा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए कह दिया है. उन्हीं के आदेश पर दोनों सज्जन चुनाव मैदान का दौरा कर रहे हैं. अली अशरफ फातमी को लगा कि दौरा करने से काम नहीं चलेगा. इसलिए वह चुनाव क्षेत्र को रौंदने लगे हैं. करीबी बताते हैं कि उन्होंने पांच सौ एक मीटिंग करने का ऐलान कर दिया है. वह अपने हिसाब पर डटे रहे तो एक गांव में उनकी एक से अधिक मीटिंग हो जायेगी. इधर संजय झा भी कम नहीं हैं. वह सरकारी योजनाओं (Government Schemes) को लेकर क्षेत्र के गांवों में घूम रहे हैं.
टिकट किसे मिलेगा
वोट किसे पड़ेगा, इससे महत्वपूर्ण है कि टिकट किसे मिलेगा? कार्यकर्ता इन दोनों प्रश्नों से बेखबर होकर दोनों उम्मीदवारों से इज्जत हासिल कर रहे हैं. कह सकते हैं कि कार्यकर्ताओं की मौज आ गयी है. दूसरी तरफ नीतीश कुमार जो संतुलन बनाने में कमाल हासिल किये हुए हैं, इन दोनों के मामले में भी कमाल ही कर रहे हैं. संजय झा के घर पर तो वह जाते ही रहते हैं, अली अशरफ फातमी (Ali Ashraf Fatmi) के आमंत्रण की भी अनदेखी नहीं करते हैं. हाल में उनके घर पर एक मांगलिक कार्यक्रम था, नीतीश कुमार पहुंच गये. देर तक रहे.
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महत्व नहीं दिया
इस यात्रा को अधिक महत्व नहीं दिया गया. इसलिए कि नीतीश कुमार मांगलिक कार्यक्रमों में जाते ही रहते हैं. संजय झा के समर्थकों ने माना कि कोई खास बात नहीं है. टिकट तो उन्हें ही मिलेगा. इधर, हाल में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बनी है. नीतीश कुमार के संतुलन बनाने की कला का कमाल देखिये. राष्ट्रीय कार्यकारिणी में संजय झा और अली अशरफ फातमी, दोनों को महामंत्री का दर्जा दे दिया. अब कार्यकर्ता परेशान हैं कि किसके पलड़ा को भारी मानकर बैठा जाये.
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