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तारा शाहदेव : इसलिए गिरी मुश्ताक अहमद पर गाज

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विशेष संवाददाता
21 नवंबर 2023

Ranchi : संक्षेप में उन घटनाक्रमों को जानना व समझना जरूरी है, जो तारा शाहदेव और रंजीत सिंह कोहली की शादी एवं दोनों के बीच टकराव के दौरान घटित हुए. 7 जून, 2014 को रांची के खेल गांव में निशानेबाजी का अभ्यास कर रही तारा शाहदेव से झारखंड उच्च न्यायालय (Jharkhand High Court) के रजिस्ट्रार (विजिलेंस) मुश्ताक अहमद और रंजीत सिंह कोहली की मुलाकात हुई. उस दिन रंजीत सिंह कोहली ने उसे यह नहीं बताया कि वह इस्लाम कबूल करने के बाद रकीबुल हसन खान बन चुका है. आठ दिन बाद 15 जून, 2014 को मुश्ताक अहमद और रंजीत सिंह कोहली ने स्पोर्ट्स आथोरिटी के कार्यालय में तारा शाहदेव को नास्ते पर साथ बैठाया. मुश्ताक अहमद ने तारा शाहदेव (Tara Shahdev) को अपने घर रात्रि भोजन पर आमंत्रित किया. उस आमंत्रण को तारा शाहदेव ने स्वीकार कर लिया.

चट मंगनी पट ब्याह!
तारा शाहदेव अपने भाई द्वेदनाथ शाहदेव के साथ मुश्ताक अहमद के आवास पर रात्रि भोजन पर गयी. वहां रंजीत सिंह कोहली और उसकी मां कौशल्या रानी मौजूद थीं. रंजीत सिंह कोहली की मां ने तारा शाहदेव को अंगूठी और कृत्रिम कंगन पहना दिया और कहा-‘अब तुम मेरी हो गयी हो.’ अर्थात मात्र तीसरी मुलाकात में ही शादी की बात पर रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल हसन खान की मां ने मुहर लगा दी. हैरानी की बात यह भी कि बिना किसी तफ्तीश के तारा शाहदेव राजी हो गयी. 20 जून, 2014 को रंजीत सिंह कोहली के ब्लेयर अपार्टमेंट में तारा शाहदेव और रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल हसन खान की सगाई हो गयी. 7 जुलाई, 2014 को हिंदू रीति-रिवाज से शादी भी संपन्न करा दी गयी.

बन गयी सारा परवीन!
शादी के दूसरे दिन 8 जुलाई, 2014 को जब सच्चाई सामने आयी तब तारा शाहदेव का दिमाग चकरा गया, पांव तले की जमीन खिसक गयी. उस दिन रंजीत सिंह कोहली ने तारा शाहदेव को बताया कि वह इस्लाम धर्म को मानता है और उसका नाम रकीबुल हसन खान है. उसी दिन वह निकाह के लिए काजी को भी बुला लाया था. तारा शाहदेव ने निकाह का विरोध किया. लेकिन, जब रंजीत सिंह कोहली उग्र रूप धारण कर उसे पीटने लगा और तरह-तरह की धमकियां देने लगा तो वह भय और दहशत में निकाह के लिए तैयार हो गयी. तब उसका नाम सारा परवीन कर दिया गया. जानकारों के मुताबिक निकाह कराने आये काजी कारी जान मोहम्मद मुस्तफी के पूछने पर रकीबुल हसन खान ने अपने पिता का नाम हरनाम सिंह कोहली और सारा परवीन ने अंबिकानाथ शाहदेव बताया, तो काजी ने निकाह कराने से इनकार कर दिया.


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टल गया निकाह
काजी ने धर्म परिवर्तन के कागजात मांगे जो उन्हें उपलब्ध नहीं कराये गये. इस कारण निकाह टल गया. वस्तुतः रंजीत सिंह कोहली ने कानूनन इस्लाम कबूल नहीं किया था. वह आधा हिन्दू और आधा मुस्लिम था. सिर्फ अपना मतलब साधने के लिए ही मुसलमान होने का नाटक करता था या झूठा दावा करता था. लेकिन, मतलब के मुसलमानों के साथ वह ‘विशेष दावत’ खाने में कोई परहेज नहीं करता था. मुसलमान बन कर उसने हवाला (hawala) और तस्करी (Smuggling) के धंधे में, शायद उस रूट के तस्कर चेन से नाता जोड़ रखा था जो आमतौर पर मुसलमानों द्वारा संचालित है. (जारी)

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