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अबध बिहारी चौधरी जायेंगे और नंदकिशोर यादव आयेंगे?

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राजकिशोर सिंह
29 जनवरी 2024
Patna : तकरीबन सत्रह माह में ही महागठबंधन (Mahagathabandhan) की सरकार धराशायी हो गयी. नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के नेतृत्व में राजग (NDA) की सरकार फिर से सत्ता में आ गयी. नौ सदस्यीय मंत्रिमंडल कार्य करने लग गया. मंत्रिमंडल (Cabinet) में विस्तार विश्वास मत हासिल करने के बाद होने की संभावना है. विश्वास मत (vote of confidence) हासिल करने के बाद हो या उससे पहले, राजग की प्राथमिकता विधानसभा के अध्यक्ष (Speaker of the Assembly) के पद पर काबिज होने की है. इस पद पर अभी राजद के अबध बिहारी चौधरी (Abadh Bihari Choudhary) विराजमान हैं. 2017 में सत्ता पलट के समय भाजपा के विजय कुमार सिन्हा (Vijay Kumar Sinha) अध्यक्ष थे. उन्हें पदमुक्त करने के लिए महागठबंधन की ओर से जो प्रक्रिया अपनायी गयी थी, राजग भी उसी राह पर है.

नहीं चाहेगा टकराव
राजग की ओर से विधानसभा सचिवालय (Assembly Secretariat) को अविश्वास प्रस्ताव की सूचना दी गयी है. उसमें कहा गया है कि वर्तमान अध्यक्ष (Chairman) में अब सदन का विश्वास नहीं रह गया है. सत्ता से बेदखली पर महागठबंधन, विशेष कर राजद (RJD) ने संख्या बल के मद्देनजर जिस सहजता से उसे स्वीकार कर लिया है, विधानसभा अध्यक्ष के मामले में भी उसकी नीति वैसी ही रह सकती है, ऐसा विश्लेषकों का मानना है. विधानसभा में राजद का संख्या बल सत्ता पक्ष से मुकाबले के लायक नहीं है. 243 सदस्यीय सदन में महागठबंधन के कुल 114 सदस्य हैं- 79 राजद, 19 कांग्रेस, 12 भाकपा- माले और 02- 02 भाकपा एवं माकपा के. यह संख्या बहुमत के जादुई आंकड़े 122 से 08 कम है. एक विधायक एआईएमआईएम का है. किसी गठबंधन से उसका जुड़ाव नहीं है.

कोई खेल हो गया तब…
राजग के 128 विधायक हैं – भाजपा 78, जदयू 45, ‘हम’ 04 और एक निर्दलीय. विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान की नौबत आयी, तो सामान्य स्थिति में महागठबंधन को मुंह की खानी पड़ जा सकती है. इस बीच कोई खेल हो गया तो वह अलग बात होगी. बहुमत में अंतर चूंकि बहुत कम संख्या का है इसलिए राजग विश्वास मत हासिल करने के मामले में बगैर कोई जोखिम उठाये अबध बिहारी चौधरी से मुक्ति पा लेना चाहेगा. ऐसा माना जाता है कि उसी समझ के तहत भाजपा के विधायक पूर्व मंत्री नंदकिशोर यादव (Nand Kishore Yadav) ने विधानसभा सचिवालय को अविश्वास प्रस्ताव की नोटिस दी है.


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भाजपा के हिस्से में
उस नोटिस पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) के अलावा भाजपा और जदयू के और कई विधायकों के हस्ताक्षर हैं. राजग के लिए दिक्कत यह है कि 05 फरवरी 2024 से विधानसभा का बजट सत्र आहूत है. नियम कहता है कि अविश्वास प्रस्ताव की नोटिस 14 दिन पहले मिलना चाहिये. जो परिस्थितियां बन रही हैं उसमें विधानसभा का सत्र 05 फरवरी की बजाय 12 फरवरी 2024 से आहूत हो सकता है. अध्यक्ष का पद भाजपा के हिस्से में रहेगा, यह करीब-करीब तय है. आधार यह कि महागठबंधन की सरकार बनने से पहले अध्यक्ष भाजपा के ही थे.

संभावना उनकी भी
वरिष्ठ भाजपा नेता प्रेम कुमार (Prem Kumar) की जिस ढंग से सत्ता की मुख्य धारा में वापसी हुई है उसको देखते हुए विधानसभा के अध्यक्ष का पद पूर्व मंत्री नंदकिशोर यादव को मिलने की संभावना बड़ा आकार लिये हुए है. नंदकिशोर यादव पर भाजपा नेतृत्व की नजरें इनायत नहीं हुई, तो फिर पूर्व मंत्री विनोद नारायण झा (Vinod Narayan Jha) की किस्मत चमक जा सकती है. वैसे, भाजपा नेतृत्व प्रायः हर मामले में चौंकाने वाला निर्णय करता है. अध्यक्ष पद के लिए भी कोई नया चेहरा सामने आ जाये, तो वह हैरान करने वाली कोई बात नहीं होगी.

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