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दिख गये पालने में पूत के पांव, बदलना न पड़ जाये फिर ठांव!

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संजय वर्मा
29 जनवरी 2024

Patna : ‘पूत के पांव पालने में दिख जाते हैं’. अक्सर इस्तेमाल में आने वाली यह लोकोक्ति नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के नेतृत्व में राजग के तीसरे सोपान की सत्ता के शपथग्रहण के दौरान भी चरितार्थ होती दिखी. औपचारिकताओं में लिपटे राजभवन के ‘उत्साहीन आयोजन’ में ‘सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान… ‘ के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपाई उपमुख्यमंत्री द्वय सम्राट चौधरी एवं विजय कुमार सिन्हा की भाव भंगिमा से स्पष्ट संकेत मिल गया कि जदयू (JDU) और भाजपा (BJP) की ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌इस नयी पहल का भविष्य क्या होगा. एक न्यूज चैनल के डिबेट में एक बड़े पत्रकार ने‌ बिल्कुल सही फरमाया कि माहौल ‘पकड़ौआ विवाह’ जैसा था. अमूमन बिहार में ही होने वाले पकड़ौआ विवाह में जबरिया शादी तो कर दी जाती है, पर उसकी परिणति आमतौर पर अत्यंत दुखद (Extremely sad) हुआ करती है. इस सरकार की गति भी वैसी ही कुछ होगी.

अगर गयी बेरुखी
शपथग्रहण समारोह में भाजपा के दोनों उपमुख्यमंत्रियों के प्रति नीतीश कुमार ने जो अपमानजनक व्यवहार (Abusive Behaviour) किया,‌ बेरुखी दिखायी वह मर्यादा की बात दूर रही, सामान्य शिष्टता के भी प्रतिकूल थी. शेष मंत्रियों के प्रति उन्होंने सम्मान प्रदर्शित किया, पर इन दोनों का तनिक भी संज्ञान (Cognizance) नहीं लिया. पूरे आयोजन के दौरान आपस में बातचीत तो नहीं ही‌ हुई, मुख्यमंत्री और दोनों उपमुख्यमंत्री एक बार भी एक – दूसरे की ओर मुखातिब नहीं हुए. पूरे समय तीनों की भौहें चढ़ी रहीं. इससे क्या संकेत मिलता है? कुछ लोग ऐसा कह सकते हैं कि भाजपा ने नीतीश कुमार के मन मुताबिक उपमुख्यमंत्री नहीं बनाया, ऊपर से भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा (J P Nadda) नीतीश कुमार के राजनीतिक शत्रु नम्बर वन चिराग पासवान (Chirag Paswan) को दिल्ली से लिये शपथग्रहण समारोह में पहुंच गये उसकी भी खीझ थी यह.


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मुरेठा खुला नहीं है
नीतीश कुमार उपमुख्यमंत्री के रूप में फिर से सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) का साथ चाहते थे. वैसा नहीं तो हां में हां मिलाने वाले ‘तोता – मैना’ जैसे मुख्यमंत्री! यह मुराद तो पूरी नहीं ही हुई, उपमुख्यमंत्री के रूप में सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा को लगा दिया, जो उनके मुखर आलोचक ही नहीं, उन्हें सत्ता से उखाड़ने के लिए संकल्पबद्ध (Determined) रहे हैं. विजय कुमार सिन्हा के बारे में तो नहीं कहा जा सकता, सम्राट चौधरी के ‘भगवा मुरेठा’ से नीतीश कुमार की सत्ता से विदाई का प्रण‌ बंधा हुआ है. मुरेठा उन्होंने अभी खोला नहीं है. राजनीति (Politics) की बात अपनी जगह. थोड़ा हास – परिहास की भी बात. यह जानकर हैरानी होगी कि आमलोग सम्राट चौधरी (Samrat Chaudhary) और विजय कुमार सिन्हा (Vijay Kumar Sinha) को भाजपा के ‘जय और‌ वीरु’ के रूप में देख रहे हैं. ‘जय और वीरु’ वही जो ‘शोले’ फिल्म में थे. इससे आगे कहने के लिए नहीं ,समझने के लिए है!

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