इन पर जम रहा अब लालू और तेजस्वी का विश्वास…
वंदना मिश्रा
22 मार्च 2024
siwan : लालू-राबड़ी (Lalu-Rabri) परिवार से शहाबुद्दीन (Shahabuddin) परिवार की निरंतर बढ़ रही दूरियां ने 2024 के संसदीय चुनाव (parliamentary elections) में हीना शहाब (Heena Shahab) को राजद की उम्मीदवारी मिलने की संभावना को लगभग समेट दिया है. इस हकीकत को हीना शहाब भी बखूबी समझ रही हैं. वैकल्पिक रास्ते पर बढ़ रहे उनके कदम से इसकी खुद-ब-खुद पुष्टि भी हो जाती है. फिलहाल वह निर्दलीय (independent) मैदान में उतरने की बात कर रही हैं, उस अनुरूप अभियान चला रही हैं. वैसे, चुनाव में ऐसा ही होगा, यह मान लेना भूल होगी. इसलिए कि वर्तमान दौर में राजनीति का चरित्र पल-पल बदल जाया करता है. ऐसे में हीना शहाब का सीवान संसदीय क्षेत्र (Siwan parliamentary constituency) से निर्दलीय लड़ने का निर्णय अंतिम और अटल है, इसकी क्या गारंटी है? निर्णय शहाबुद्दीन का होता, तो फिर बात दूसरी होती.
ऐसा कहने का मतलब क्या?
हीना शहाब खुद कहती हैं कि राजद (RJD) हो या जदयू (JDU) या फिर भाकपा-माले (CPI-M) सब अपने हैं. उनके ऐसा कहने का क्या मतलब है? यही न कि अपमान की हद पार कर जाने के बाद भी राजद का प्रस्ताव आया तो वह उसकी उम्मीदवारी स्वीकार कर लेंगी? खैर, इस विषय पर फिर कभी. अभी चर्चा इस बात की कि लगातार तीन चुनावों में उम्मीदवार रहीं हीना शहाब को वैसा कोई प्रस्ताव नहीं आया, तो फिर राजद की उम्मीदवारी किसे मिलेगी? महागठबंधन (grand alliance) में सीवान की सीट राजद के हिस्से में रहेगी, यह करीब-करीब तय है. वैसे, दावा भाकपा-माले का भी है. विशेष परिस्थिति में सीट उसे मिल गयी तब तो कोई बात नहीं, राजद के हिस्से में रही तब हीना शहाब का विकल्प कौन होगा?
गुंजाइश तो बन रही है
यह सवाल सीवान से लेकर राजधानी पटना ( patna) तक के राजनीतिक गलियारे में तैर रहा है. जन विश्वास यात्रा के दरमियान सीवान में तेजस्वी प्रसाद यादव (Tejashwi Prasad Yadav) से बंद कमरे में गुफ्तगू करने वाले मरहूम पूर्व बाहुबली सांसद शहाबुद्दीन के कथित शूटर मोहम्मद कैफ उर्फ बंटी (Mohammad Kaif Urph Bunty) समेत अनेक नेताओं की महत्वाकांक्षाएं उफना रही हैं, पर ज्यादा चर्चा विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष अबध बिहारी चौधरी (Abadh Bihari Choudhary) की हो रही है. वह सीवान से राजद के विधायक हैं. सांसद बनने की उनकी चाहत बहुत पुरानी है. इसके लिए प्रयास भी करते रहे हैं. पर, शहाबुद्दीन परिवार की इच्छा के आगे उनकी कभी कुछ चल नहीं पायी. इस बार गुंजाइश बन रही है, तो तेजस्वी प्रसाद यादव की संभावित रणनीति में उनकी चाहत विलीन हो जा सकती है. वह रणनीति सीवान में ‘माय’ समीकरण से अलग उम्मीदवार उतारने की है.
ऐसी बन रही है रणनीति
वैसे भी राजद कभी इस क्षेत्र से यादव उम्मीदवार नहीं उतारा है. उसकी रणनीति गोपालगंज विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में महागठबंधन द्वारा किये गये प्रयोग पर आधारित है. उपचुनाव में राजद उम्मीदवार की जीत नहीं हुई, पर मतों की प्राप्ति उत्साह बढ़ाने वाली रही. राजद की उम्मीदवारी वैश्य बिरादरी के मोहन प्रसाद गुप्ता को मिली थी. उनके पक्ष में वैश्य मतों की ऐसी गोलबंदी हुई कि दिवंगत भाजपा विधायक सुभाष सिंह की विधवा कुसुम देवी की दो हजार से भी कम मतों से बमुश्किल जीत हो पायी थी. तेजस्वी प्रसाद यादव के निकट के लोगों पर भरोसा करें, तो राजद के रणनीतिकार सीवान संसदीय क्षेत्र के संदर्भ में भी वैसी ही कुछ रणनीति बना रहे हैं.
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बदल जायेगा तब परिदृश्य
सीवान स्थानीय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्र के राजद के विधान पार्षद विनोद कुमार जायसवाल (Vinod Kumar Jaiswal) की पत्नी किरण देवी (Kiran Devi) को चुनाव मैदान में उतारने पर मंथन कर रहे हैं. विनोद कुमार जायसवाल की लालू-राबड़ी परिवार से कैसी निकटता है यह सर्वविदित है. पश्चिम बंगाल (West Bengal) में उनका शराब का बड़ा कारोबार है. उसी संदर्भ में हाल के दिनों में आयकर विभाग ने इनके ठिकानों को खंगाला था. विनोद कुमार जायसवाल संसदीय चुनाव लड़ने में हर दृष्टि से सक्षम-समर्थ हैं. वैसे तो विधानसभा और लोकसभा के चुनावों का चरित्र अलग-अलग होता है, तब भी विनोद कुमार जायसवाल की पत्नी किरण देवी को राजद की उम्मीदवारी मिलती है तो सीवान का चुनावी परिदृश्य कुछ अलग हो जा सकता है.
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