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पप्पू यादव और कांग्रेस : इतनी बेइज्जती तो तेजस्वी ने भी नहीं की !  

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आर. शिवकुमार
03 अप्रैल 2024

Patna : पूर्णिया में राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की जीत होगी ही, यह दावे के साथ कोई नहीं कह सकता. पप्पू यादव और उनसे लाभान्वित व प्रभावित लोगों  को जीत भले सुनिश्चित दिख रही हो, पर तटस्थ विश्लेषकों का संदेह अपनी जगह कायम है. संदेह का मुख्य आधार नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) से प्रभावित ‘चुपका मत’ है. ऐसे मतों की संख्या कम नहीं है. विश्लेषकों का मानना है कि ‘बाप’ के चक्कर में  तेजस्वी प्रसाद यादव (Tejaswi Prasad Yadav) का ‘माय’ भले पप्पू यादव (Pappu Yadav) के साथ हो गया हो, नरेन्द्र मोदी के राष्ट्रवाद आधारित हिन्दुत्व की भावना और नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के विकास का प्रभाव करीब-करीब पूर्व की तरह कायम है.

खारिज नहीं किया जा सकता
एनडीए (NDA) समर्थक सामाजिक समूहों में समन्वय के अभाव की आशंका निर्मूल साबित हुई है. वैश्य मतों में भ्रम फैलाने की कोशिश भी नाकमयाब रही. थोड़ा-बहुत इधर-उधर हुआ, पर परिणाम के रूख को मोड़ देने जैसी बात कहीं नजर नहीं आयी. ऐसे में जदयू (JDU) उम्मीदवार संतोष कुशवाहा (Santosh Kushwaha) की संभावना को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता. इसलिए भी नहीं कि पप्पू यादव की  जीत के दावे में  तथ्य‌ व‌ तर्क की तुलना में शोर ज्यादा है. शोर में सच्चाई जो हो, मुकाबला कांटे का है. परिणाम कुछ भी निकल सकता है.

झूठा करार दिया
खैर, जीत-हार अपनी जगह है. लोगों ने महसूस किया कि इस चुनाव में पप्पू यादव की घोर बेइज्जती हुई. लालू प्रसाद (Lalu Prasad) और तेजस्वी प्रसाद यादव ने अपने तई तो कोई कसर नहीं ही छोड़ा, कांग्रेस (Congress) भी उन दोनों से कमतर नहीं रही. पूर्णिया (Purnea) से उम्मीदवारी तो नहीं ही दी, दम भर अपमानित जरूर कर दिया. कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता आलोक शर्मा‌ (Alok Sharma) ने विगत दिनों पटना (Patna) के सदाकत आश्रम में बजाप्ते प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर पप्पू यादव को झूठा करार दिया. कहा कि न तो पप्पू यादव कांग्रेस में शामिल हुए हैं और न उनकी पार्टी का कांग्रेस में विलय हुआ है. पप्पू यादव उस दिन चाय-नाश्ता के लिए कांग्रेस मुख्यालय गये थे. वहां‌ उनका स्वागत किया गया. उससे आगे कुछ नहीं हुआ.


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बड़ा अपमान
अब सोचिये, पप्पू यादव का इससे बड़ा अपमान क्या हो सकता है?‌‌ उस दिन कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार प्रभारी पवन खेड़ा (Pawan Khera) और कांग्रेस के बिहार मामलों के प्रभारी अनिल प्रकाश (Anil Prakash) ने पप्पू यादव के गले में कांग्रेस का पट्टा लटकाया था. कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान (Shakil Ahmad Khan) और सांसद डा. जावेद आजाद (Dr Javed Azad) इस राजनीतिक घटना के प्रत्यक्षदर्शी थे. इस जुड़ाव को राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां मिली थी. उसी काग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता कह रहे हैं कि पप्पू यादव चाय-नाश्ता के लिए कांग्रेस मुख्यालय गये थे!‌

कम हास्यास्पद नहीं
सवाल यहां यह भी उठता है कि इस प्रकरण का पटाक्षेप जब पप्पू यादव के निर्दलीय चुनाव (Election) लड़ने के साथ हो गया, तो फिर पटना (Patna) में इस पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की जरूरत क्या थी? इसका दूसरा पक्ष देखिये. यह भी कम हास्यास्पद नहीं है. इतने अपमान के बाद भी पप्पू यादव कांग्रेस (Congress) के प्रति समर्पित हैं. पार्टी दुत्कार रही है और वह शीश नवाये चुनाव (Election) में कांग्रेस को समर्थन देने की बात दुहरा रहे हैं.

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