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मुजफ्फरपुर का थप्पड़ प्रकरण : गिरा दी गरिमा!

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विकास कुमार

25 जून 2024

Muzaffarpur : सीसीटीवी फुटेज (cctv footage) को गौर से देखिये! ‘साहब’ जैसा दिख रहा आदमी भरी कक्षा में बड़ी बेरहमी से एक व्यक्ति को थप्पड़ मार रहा है. एक नहीं, दनादन दो- तीन थप्पड़ जड़ देता है. ‘साहब’ का आतंक ऐसा कि थप्पड़ खा रहा व्यक्ति प्रतिकार करने की बात दूर, कुछ बोलने तक का साहस नहीं जुटा पाता है. वाकया मुजफ्फरपुर के एक अतिप्रतिष्ठित शैक्षिक संस्थान (Educational Institute) का है. सामान्य धारणा है कि इस संस्थान में ‘साहब’ की हुकूमत कुछ इसी अंदाज में चलती है. अधीनस्थों की बात छोड़ दें, यहां के मामले में ‘ऊपर वालों’ को भी काफी सोच- समझ कर दखल देना पड़ता है.

बाल बांका तक नहीं हुआ

उदाहरण के तौर पर इस वाकये को देखा जा सकता है. घटना हुए लगभग छह माह बीत गये, ‘साहब’ का बाल बांका तक नहीं हुआ. सीसीटीवी फुटेज वायरल हुआ, मामला कुलाधिपति (chancellor) और कुलपति (vice chancellor) कार्यालयों के संज्ञान में आया. इसके बाद भी संबद्ध शैक्षणिक संस्थान के गरिमामय पद पर पूरे इत्मीनान से वह विराजमान हैं. हाल के दिनों में देश के शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षक द्वारा विद्यार्थी को थप्पड़ मारने की अनेक घटनाएं हुईं. उन मामलों की राष्ट्रीय स्तर पर भर्त्सना हुई. संवेदनशील समाज ने शिक्षा के मंदिर में क्रूरता पर गहरी चिंता जतायी. निर्दयी शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई भी हुई.

मौन रह गये सब

पर, मुजफ्फरपुर के इस मामले में हैरान करने वाली गजब की खामोशी दिखी. ‘साहब’ ने किसी विद्यार्थी को नहीं, अधीनस्थ एक प्राध्यापक को सरेआम थप्पड़ मारा. न शिक्षक संगठनों ने इस मुद्दे को उठाया और न छात्रों की मुट्ठियां लहरायीं. सब मौन रह गये. संभवतः इस वजह से कि थप्पड़ खाने वाले प्राध्यापक (professor) ने इसे तूल नहीं दिया, अपमान को पी गये. इसे ‘साहब’ के प्रति श्रद्धा मानें या फिर अतिशय भय, लिखित या मौखिक रूप से उन्होंने कहीं कोई शिकायत नहीं की. ‘साहब’ के लिए यह सबसे बड़ा सुकून है. तर्क यह कि जब शिकायत ही नहीं तो फिर कार्रवाई कैसी?

आये और टूट पड़े!

वाकया 15 दिसंबर 2023 का है. शैक्षणिक संस्थान के परीक्षा केंद्र पर सीसीटीवी की निगरानी में डिग्री की परीक्षा हो रही थी. संस्थान के ही उर्दू विभाग (Urdu Department) के एक सहायक प्राध्यापक परीक्षा निरीक्षक का काम कर रहे थे. उसी दरमियान ‘साहब’ एकबारगी परीक्षा हाल में आये और नक़ल करते एक परीक्षार्थी के पास से कुछ चिट्ट-पूर्जा पकड़ लाये. गौर कीजिये, नकलची परीक्षार्थी को उन्होंने कुछ नहीं कहा, अचानक से पीछे मुड़कर परीक्षा निरीक्षक (examination invigilator) को थप्पड़ जड़ दिया. परीक्षा निरीक्षक जब तक कुछ समझ पाते, दो-चार थप्पड़ उन्हें पड़ चुके थे. ‘साहब’ की इस अशोभनीय हरकत से तमाम परीक्षार्थी सन्न रह गये. प्रताड़ित प्राध्यापक भी डर गये. इतना कि वाकये का कहीं जिक्र तक नहीं किया. मामला रफा-दफा हो गया.

क्यों नहीं हुई कार्रवाई ?

परीक्षा केंद्र पर कैमरा (camera) और मोबाइल (Mobile) ले जाना प्रतिबंधित है इसलिए खबर तत्काल बाहर नहीं आयी. लेकिन, ज्यादा दिनों तक छिपी भी नहीं रह पायी. सीसीटीवी फुटेज के रूप में पब्लिक डोमेन में आ ही गयी. आश्चर्य कि इस फुटेज के वायरल होने के बाद भी कोई कारवाई नहीं हुई. किसी ने इस सवाल को नहीं उठाया कि परीक्षा में कदाचार हो भी रहा था तो क्या परीक्षार्थियों के सामने एक सम्मानित प्राध्यापक को सरेआम थप्पड़ मारने का अधिकार ‘साहब’ को था? नहीं, तो फिर उन्होंने ऐसा क्यों किया? किया, तो उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

इस कालेज का है मामला

तापमान लाइव संबद्ध सीसीटीवी फुटेज की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है. वैसे, इसी फुटेज के आधार पर आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (All India Students Federation) की मुजफ्फरपुर जिला इकाई के अध्यक्ष महिपाल ओझा (Mahipal Ojha) ने जो खुलासा किया है उस पर विश्वास करें, तो मामला लंगट सिंह कालेज, मुजफ्फरपुर (Langat Singh College, Muzaffarpur) का है. ‘साहब’ और कोई नहीं, कालेज के बहुचर्चित प्राचार्य प्रो. ओमप्रकाश राय (Pro. Omprakash Rai) हैं. उस दिन जिस शख्स को सार्वजनिक तौर पर उन्होंने थप्पड़ मारा वह उसी कालेज के उर्दू विभाग के सहायक प्राध्यापक डा. मुस्तफीज अहमद (Dr. Mustafiz Ahmed) हैं. महिपाल ओझा का कहना है कि परीक्षा हाल में विश्वविद्यालय के महाविद्यालय निरीक्षक भी थे. उनके सामने सब कुछ हुआ और वह मूकदर्शक बने रहे.


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कड़ी कार्रवाई की मांग

महिपाल ओझा ने कथित रूप से मानवाधिकार और लोकतांत्रिक मर्यादा का हनन करने वाले प्रो. ओमप्रकाश राय के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है. छात्र लोजपा के प्रदेश प्रधान महासचिव गोल्डेन सिंह (golden Singh) ने इस कुकृत्य की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा है कि यह कोई पहला मामला नहीं है. कालेज में दबंगता के ऐसे किस्से अनेक हैं. हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रदेश छात्र अध्यक्ष संकेत मिश्र (Sanket Mishra) ने भी घटना की भर्त्सना की है.

हो गया तबादला?

बहरहाल, ऐसी सूचना मिली है कि कुलाधिपति कार्यालय ने मामले में गंभीरता दिखायी है. सूत्रों के मुताबिक प्रो.ओमप्रकाश राय को निलंबित कर लंगट सिंह कालेज को उनसे मुक्ति दिलाने का निर्देश भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय , मुजफ्फरपुर (Bhimrao Ambedkar Bihar University, Muzaffarpur) को दिया है. विश्वविद्यालय से मिली जानकारी के अनुसार निलंबन तो नहीं हुआ, तबादला उनका राजनारायण कालेज , हाजीपुर (Rajnarayan College, Hajipur) कर दिया गया है. हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है.

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