जदयू : ‘बिहार बदर’ कार्यकारी अध्यक्ष!
विशेष प्रतिनिधि
23 सितम्बर 2024
Patna : सत्तारूढ़ दल के ऐसे लोग जो नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की सेहत को लेकर फिक्रमंद हैं और इस फिराक में भी हैं कि इस संकट को अपने लिए अवसर बना लें, उनके लिए सावधान रहने का समय आ गया है. क्योंकि हाल की कुछ घटनाओं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्णयों को देखें तो पता चलेगा कि वह पहले की तरह नाप तौल कर और अपना हित देखकर निर्णय लेते हैं. उन्हें पक्की खबर रहती है कि किसके पर तेजी से बढ़ रहे हैं और उसकी ऐन मौके पर कैसे कटिंग कर देनी है. उनकी इस खूबी को कुछ खास निर्णयों में देख सकते हैं.
कटपीस थमा दिया
यह तो सबको पता ही है कि राजद (RJD) से अपने दल के कुछ नेताओं के बढ़ते मेल-जोल को रोकने के लिए उन्होंने ठीक समय पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभाल लिया. उसके बाद भाजपा (BJP) से दोस्ती की. सरकार का नये सिरे से गठन किया. लोकसभा चुनाव (Lok Sabha elections) में बराबरी से टिकट लिया. बराबर सीटों पर जीत हासिल की. दल में कुछ सांसद (MP) ख्याली पुलाव पकाने लगे कि इस बार तो रेल या दूसरा कोई भारी भरकम मंत्रालय लेकर राज्य का विकास कर देंगे. नीतीश कुमार ने उन्हें केंद्र में मंत्री बना दिया. विभाग के नाम पर कटपीस थमा दिया.
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इज्जत से ठिकाने लगा दिया
इतना तो सब जानते हैं कि नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) अपने तीसरे टर्म में नीतीश कुमार या चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) जैसे सहयोगियों को नाराज नहीं कर सकते हैं. मतलब यह निकाला गया कि नीतीश कुमार ने अपने पुराने साथी का मंत्री बनने का सपना तो पूरा कर दिया, मगर विभाग के नाम पर कुछ नहीं दिया या नहीं दिलाया. मंत्री पद के दूसरे दावेदार को भी इज्जत से ठिकाने लगा दिया. बेचारे बहुत नाराज थे. खटवास-पटवास का सीन चलने लगा था. मंत्रिमंडल के गठन के बाद जब नीतीश कुमार नयी दिल्ली (New Delhi) से लौट रहे थे तो बहुत आग्रह किया कि पटना (Patna) चल चलिये. वह राजी नहीं हुए. मनाने के लिए उन्हें दल का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया.
चेहरे से अधिक सिर पर ध्यान
जवाबदेही यह दी गयी कि बिहार (Bihar) के बाहर पार्टी की मजबूती के लिए जान लगा दीजिये. बिहार की तरफ कम देखिये. वह भी खुश हो गये कि दल में इज्जत बनी रही. दूसरी तरफ बिहार के मामलों से उन्हें साफ अलग कर दिया गया. करते रहिये दूसरे राज्यों में पार्टी को मजबूत. उधर सम्राट चौधरी (Samrat Chaudhary) का प्रकरण सबको याद ही है. बेचारे का मुंडन हो गया. पगड़ी खोलने के बाद नीतीश कुमार अपने बगल में बिठाते हैं तो उनके चेहरे से अधिक सिर पर ध्यान देते हैं. अब इन सब घटनाओं के बाद भी कोई नीतीश कुमार की सेहत को लेकर फिक्रमंद हो तो ऐसे आदमी को सबसे पहले अपनी सेहत की फिक्र करनी चाहिए.
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