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तिरहुत स्नातक क्षेत्र : फंस सकती हैं… दो दिग्गजों की सींगें!

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मदनमोहन ठाकुर
14 अक्तूबर 2024

Sitamarhi : लम्बे समय से बंद रीगा चीनी मिल (Riga Sugar Mill) अभी चालू नहीं हुई है. चालू होने की सिर्फ संभावना जगी है. धुंध पूरी तरह छंटी नहीं है. अनिश्चितता बनी हुई है. इसके बाद भी सत्ताधारी जदयू (JDU) के दो सांसदों सीतामढ़ी के देवेश चन्द्र ठाकुर (Devesh Chandra Thakur) और शिवहर (Shivhar) की लवली आनंद (Lovely Anand) में चीनी मिल चालू कराने का श्रेय लेने की अप्रत्यक्ष जंग छिड़ी हुई है. राजनीति महसूस कर रही है कि देवेश चन्द्र ठाकुर स्वभाव के अनुरूप महीनी दिखा रहे हैं तो लवली आनंद के पूर्व सांसद पति आनंद मोहन (Anand Mohan) मुद्दे को अपने अंदाज में भंजा रहे हैं. आमजन को इस जंग से मतलब नहीं, उनकी चिंता बस यही है कि घोषणा के अनुसार मिल चालू हो जाये.

पर्दे के पीछे दांव-पेंच
हरहाल, चीनी मिल का मुद्दा तो गर्म है ही, बिहार विधान परिषद (Bihar Vidhan Parishad) के तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के उपचुनाव (By-Election) को लेकर भी देवेश चन्द्र ठाकुर और आनंद मोहन की सींगें फंसने के आसार बन रहे हैं. एक ही दल में रहने के कारण खुले रूप में तो नहीं, पर्दे के पीछे दांव-पेंच चलाये जा सकते हैं. उपचुनाव इस क्षेत्र के विधान पार्षद रहे देवेश चन्द्र ठाकुर के सांसद निर्वाचित हो जाने के कारण हो रहा है. तारीख अभी घोषित नहीं हुई है. जदयू ने पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक झा (Abhishek Jha) को उम्मीदवार घोषित कर रखा है.

इसलिए डाल दिया कंधे पर
ऐसी चर्चा है कि अभिषेक झा पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा की पसंद हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) उनकी जीत देखना चाहते हैं. इसलिए उन्हें विजयश्री दिलाने की जिम्मेदारी उन्होंने सांसद देवेश चन्द्र ठाकुर के कंधे पर डाल रखी है. तिरहुत स्नातक क्षेत्र के मतदाताओं पर देवेश चन्द्र ठाकुर की अच्छी, यूं कहें कि जीत दिलाऊ पकड़ है. पिछले चार चुनावों में उन्होंने बड़े-बड़े धुरंधरों को धूल चटाया था. नीतीश कुमार के भरोसे का आधार संभवतः यही है. इस भरोसे पर वह खरा उतर पाते हैं या नहीं, यह वक्त बतायेगा.


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हाथ मलने को विवश
इसमें सच्चाई कितनी है यह नहीं कहा जा सकता, करीब के लोग बताते हैं कि सीतामढ़ी से सांसद निर्वाचित होने के बाद राजनीति की परिपाटी के अनुसार देवेश चन्द्र ठाकुर तिरहुत स्नातक क्षेत्र की विरासत अपने परिजन या फिर किसी खास समर्थक को सौंपना चाहते थे. पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार के समक्ष इस आशय का प्रस्ताव रखते उससे पहले अभिषेक झा की उम्मीदवारी घोषित हो गयी. हाथ मलने को विवश देवेश चन्द्र ठाकुर ने खुले तौर पर कोई विरोध नहीं जताया. पर, उस दौरान उनके कुछ बयान ऐसे जरूर आये जिनसे उनकी यह पीड़ा भी टपकती नजर आयी.

कसक साथ तो होगी
ऐसा कहा जाता है कि इसी को दृष्टिगत रख नीतीश कुमार ने ख़ुद पटना स्थित आवास पर जा अभिषेक झा को उनके हवाले कर दिया. ऐसे में यह कैसे नहीं माना जा सकता कि किसी ‘अपने’ को उम्मीदवारी नहीं मिलने की कसक उनके साथ नहीं होगी? जहां तक अभिषेक झा की बात है तो चुनाव की बाबत उनकी शुरुआती सक्रियता ‘देवेश परिक्रमा’ तक सिमटी नजर आ रही है. उनका खुद का संपर्क अभियान ढंग से नहीं चल रहा है. विश्लेषकों की समझ में हालात ऐसे ही रहे तो अंतिम क्षण में उम्मीदवार बदल जा सकते हैं.

सक्रियता को दे रहे विस्तार
उधर, शिवहर की सांसद लवली आनंद और उनके पति आनंद मोहन का अघोषित साथ मिलने की उम्मीद लिये अरविंद कुमार सिंह उर्फ विभात कुमार सिंह तिरहुत स्नातक क्षेत्र में खुद की संभावना को जीत दिलाने वाला विस्तार देते दिख रहे हैं. वह मुजफ्फरपुर के रहने वाले हैं. लम्बे समय से राजनीति में सक्रिय हैं. खुद का अच्छा खासा जनाधार है. समाजसेवा के क्षेत्र के भी चर्चित शख्सियत हैं. बड़े -बड़े राजनीतिज्ञों से नजदीकी है.

पहला अनुभव होगा
यहां जानने वाली बात है कि विभात कुमार सिंह तिरहुत स्नातक क्षेत्र के उपचुनाव में विधिवत उम्मीदवार बनते हैं, तो चुनाव लड़ने का यह उनका पहला अनुभव होगा. इसके बाद भी हौसला बुलंद है. कारण कि ऐसे चुनाव में उतरने के लिए वह हर दृष्टि से सक्षम- समर्थ हैं. उनके निकट के लोगों की मानें तो आनंद मोहन और लवली आनंद के समर्थन की उम्मीद का आधार यह है कि 1994 के वैशाली संसदीय उपचुनाव में लवली आनंद के लिए उन्होंने अपना सब कुछ दांव लगा दिया था. लवली आनंद की बड़ी जीत हुई थी.

सहयोग की अपेक्षा
इस बार विभात कुमार सिंह चुनाव मैदान में उतरेंगे तो उन दोनों से वैसे ही सहयोग की अपेक्षा स्वाभाविक है. उनकी इस अपेक्षा के संदर्भ में विश्लेषकों का मानना है कि दलीय बाध्यता की वजह से आनंद मोहन और लवली आनंद स्वयं खुलकर तो मदद नहीं कर पायेंगे, उनके समर्थकों का साथ उन्हें मिल सकता है. ऐसा भी होता है तो उसे जदयू के दो दिग्गजों की सींगें फंसने के रूप में ही देखा और समझा जायेगा. वैसे, देवेश चन्द्र ठाकुर और आनंद मोहन, दोनों इन बातों से इनकार करेंगे.

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