झारखंड : झामुमो का अंधड़, धराशायी हो गये भाजपा के धुरंधर!
विकास कुमार
24 नवम्बर 2024
Ranchi : इसी 15 नवम्बर को झारखंड (Jharkhand) राज्य 24 वर्ष का हो गया. इन 24 वर्षों के दरमियान राज्य सत्ता की बागडोर अलग-अलग समय में सात मुख्यमंत्रियों के हाथों में रही. उनमें तीन-तीन भाजपा (BJP) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के एवं एक निर्दलीय थे. भाजपा के मुख्यमंत्रियों में बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा और रघुवर दास थे तो झामुमो के मुख्यमंत्रियों में शिबू सोरेन, उनके पुत्र हेमंत सोरेन और चम्पई सोरेन. किसी निर्दलीय विधायक का मुख्यमंत्री बनना भारत के संसदीय इतिहास का पहला उदाहरण था. ‘भूतो न भविष्यति’ के तर्ज पर यह कीर्तिमान झारखंड राज्य और मधु कोड़ा के नाम दर्ज है.
तीनों कामयाब रहे
झारखंड विधानसभा के संपन्न चुनाव में मधु कोड़ा (Madhu Koda) और चम्पई सोरेन (Champai Soren) भाजपा का हिस्सा थे. राज्य सत्ता की कमान संभालने वाले सात में तीन इस बार भी चुनाव मैदान में थे. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) बरहेट से, झारखंड राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री रहे बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) धनवार से और चम्पई सोरेन सरायकेला से. अपने-अपने क्षेत्र में तीनों कामयाब रहे. हेमंत सोरेन की जीत 39 हजार 791 मतों के बड़े अंतर से हुई तो बाबूलाल मरांडी की 35 हजार 438 मतों के अंतर से. चम्पई सोरेन 20 हजार 447 मतों के अंतर से किला फतह कर पाये.
दुर्भाग्य ही कहेंगे शिबू सोरेन का
चुनाव (Election) की सबसे महत्वपूर्ण खबर यह रही कि बढ़ी उम्र और शारीरिक दुर्बलता की वजह से शिबू सोरेन इस बार चुनावी गतिविधियों से दूर रहे. पर, उनके चार परिजन किस्मत आजमा रहे थे. पुत्र हेमंत सोरेन और बसंत सोरेन तथा पुत्रवधू सीता सोरेन (Sita Soren) और कल्पना सोरेन (Kalpna Soren). बरहेट में हेमंत सोरेन और दुमका में बसंत सोरेन तथा गांडेय में कल्पना सोरेन की सहज जीत हुई. दुमका में बसंत सोरेन को 14 हजार 588 मतों के अंतर से बाजी हाथ लग गयी. कल्पना सोरेन की जीत 17 हजार 142 मतों से हुई. शिबू सोरेन के लिए दुर्भाग्य कहा जायेगा कि जामताड़ा में सीता सोरेन मात खा गयीं.
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भारी जीत हुई उनकी
बात अब दूसरे मुख्यमंत्रियों की. लोकसभा चुनाव में मुंह की खा गये पूर्व केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा विधानसभा के चुनाव में खुद न उतर पत्नी मीरा मुंडा (Meera Munda) को पोटका से भाजपा की उम्मीदावारी दिलवा दी. मीरा मुंडा भी 27 हजार 902 मतों के अंतर से पति सरीखी गति को प्राप्त हो गयीं. यानी चुनाव हार गयीं. पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास (Raghuvar Das) वर्तमान में ओडिसा के राज्यपाल हैं. जमशेदपुर पूर्वी से उनकी पुत्रवधू पूर्णिमा दास साहू भाजपा की उम्मीदवार थीं. उन्हें 42 हजार 871 मतों के विशाल अंतर वाली भारी जीत हासिल हुई.
मात खा गये घाटशिला में
भाजपा नेतृत्व ने पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पूर्व सांसद पत्नी गीता कोड़ा (Geeta Koda) को जग्गनाथपुर से प्रत्याशी बनाया. पर, दुर्भाग्य से पीछा नहीं छूटा. लोकसभा के चुनाव की तरह इस चुनाव में भी वह परास्त हो गयीं. उनकी हार 07 हजार 383 मतों के अंतर से हुई. पार्टी ने घाटशिला में चम्पई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन पर दांव खेला. 22 हजार 446 मतों के बड़े अंतर से वह मात खा गये. पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन की पुत्रवधू पूर्व विधायक सीता सोरेन जामताड़ा से भाजपा की प्रत्याशी थीं. थोड़े-मोड़े मतों से नहीं, 43 हजार 676 मतों के बड़े अंतर से पिछड़ गयीं.
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