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आरसीपी सिंह की हैसियत क्या? राष्ट्रीय परिषद की बैठक में बतायेंगे नीतीश कुमार

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राजनीतिक विश्लेषक
18 अगस्त 2021

पटना. केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह के बदले तेवर से हैरान जद(यू) के तटस्थ नेताओं-कार्यकर्ताओं को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आधिकारिक वक्तव्य का इंतजार है. आरसीपी सिंह अपनी रौ में बहे जा रहे हैं. जद(यू) से अधिक भाजपा के झंडे-बैनर उनकी यात्रा में नजर आ रहे हैं. मंगलवार को नालंदा में भाजपाइयों ने उनका जबरदस्त स्वागत किया. जद(यू) कार्यकर्ताओं के बीच इस बात को लेकर भ्रम फैल रहा है कि आरसीपी सिंह के दावे का प्रतिवाद या समर्थन मुख्यमंत्री के स्तर से क्यों नहीं हो रहा है. खासकर इस दावे का-हम मुख्यमंत्री की सहमति से केंद्रीय कैबिनेट में शामिल हुए हैं. इससे पहले यही समझा जा रहा था कि आरसीपी सिंह अपनी मर्जी से कैबिनेट में शामिल हुए हैं.

लगातार दे रहे हैं चुनौती
आरसीपी सिंह कार्यकर्ताओं से मुलाकात और बातचीत में लगातार यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि सिर्फ हम ही नहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी भाजपा की दया-कृपा पर सरकार चला रहे हैं. इस बारे में वह तफसील से समझाते हैं-2019 और 2021 में बड़ा फर्क है. तब हमारे 71 विधायक थे. आज इनकी संख्या 41 है. वह उन दोनों सीटों की गिनती नहीं करते जिन पर जद(यू) की जीत हुई थी और निर्वाचित विधायकों का असामयिक निधन हो गया. इसी तरह बसपा से आये रजा खान और लोजपा से आये राजकुमार सिंह की गणना भी वह नहीं कर रहे हैं. जबकि दोनों आधिकारिक तौर पर जद(यू) में शरीक हो गये हैं.

नालंदा में आरसीपी सिंह.

राष्ट्रीय परिषद की बैठक में बोलेंगे नीतीश
इसी 29 अगस्त को पटना में जद(यू) की राष्ट्रीय परिषद की बैठक बुलायी गयी है. कार्यकर्ताओं को भरोसा है कि उस दिन नीतीश कुमार अपनी बात कहेंगे. वह आरसीपी सिंह के उस दावे पर भी अपनी राय देंगे, जिसमें कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार की मर्जी से ही केंद्र में मंत्री बने. क्योंकि आरसीपी सिंह के इस दावे से मुख्यमंत्री की छवि प्रभावित हो रही है. कार्यकर्ताओं के बीच गलत संदेश जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने चुपके से आरसीपी सिंह को हरी झंडी दिखा दी. कैबिनेट के दूसरे प्रबल दावेदार राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को अंधेरे में रखा. अगर आरसीपी सिंह के दावे पर सफाई नहीं दी गई तो ललन सिंह और मंत्री बनने के दूसरे दावेदार समझ जायेंगे कि उनके साथ नाइंसाफी हुई है.

समानांतर संगठन पर भी देंगे जवाब
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आरसीपी सिंह की उस घोषणा पर भी अपनी राय देनी होगी, जिसमें आरसीपी सिंह बार-बार कह रहे हैं कि केंद्र में मंत्री रहने के बावजूद वह संगठन को समय देंगे. अपने राज्य में ही नहीं, दूसरे राज्यों में भी पार्टी को मजबूत करने के लिए जायेंगे. बिहार में उनकी योजना बूथ स्तर पर जाने की है. इस क्रम में वह किसी बूथ स्तरीय कार्यकर्ता के घर पर भोजन भी करेंगे. आरसीपी सिंह ऐसा करते हैं तो संगठन के कमांड सिस्टम में गड़बड़ी होगी. संगठन के लिए एक से अधिक कमांड ठीक नहीं होता है. कार्यकर्ता और नेता दुविधा में रहते हैं. यह नजर भी आने लगा है. जद(यू) सांसद चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी सोमवार को दिन भर आरसीपी सिंह के रोड शो में रहे. मंगलवार की दोपहर उन्हें संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की प्रेस कांफ्रेंस में जहानाबाद में देखा गया.

सज रहे ललन-उपेंद्र के कमरे
इधर जद(यू) के प्रदेश कार्यालय के दो कमरों को नये सिरे से सजाया-संवारा जा रहा है. ये ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा के लिए तैयार किये जा रहे हैं. फिलहाल, जद(यू) के प्रदेश कार्यालय पर वही पदधारक बैठ रहे हैं, जिन्हें आरसीपी सिंह ने मनोनीत किया था. इन्हीं पदाधिकारियों ने आरसीपी सिंह के स्वागत समारोह में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया. सोमवार को जद(यू) के आधिकारिक फेसबुक पर मुख्यमंत्री के जनता दरबार का सीधा प्रसारण होता है. लेकिन, बीते सोमवार को मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के प्रसारण को बीच में रोक कर आरसीपी सिंह के स्वागत वाले कार्यक्रम का प्रसारण किया गया. कुछ पदाधिकारियों के एतराज पर फिर मुख्यमंत्री के जनता दरबार का प्रसारण हुआ.

सीएम से नहीं हुई मुलाकात
यह कम ताज्जुब की बात नहीं है कि आरसीपी सिंह ने अपने स्वागत के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात नहीं की. स्वागत के अगले दिन वे क्षेत्र भ्रमण पर निकल गये. 19 तक बाहर ही रहेंगे. 20 को पटना लौटेंगे. तभी मुलाकात संभव है.

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