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भोजपुरी गीत-संगीत : शारदा सिन्हा और देवी ने रखा मर्यादा का ख्याल

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भोजपुरी के संस्कारित गीत-संगीत में आकंठ समायी अश्लीलता-फूहड़ता पर आलेख प्रकाशित होते रहते हैं. पर, उनमें गंभीरता नहीं होती. यह विद्रूपता क्यों आयी इसका विशद विश्लेषण नहीं होता. छह किस्तों के इस आलेख में इसके कारकों एवं कारणों का सच उघारा गया है. प्रस्तुत है चौथी  किस्त :-


राजेश पाठक
5 अक्टूबर, 2021

PATNA : भोजपुरी फिल्मों का जो यह नया खेप आया और एक नयी भोजपुरिया जमात उभरी उसको दो गायिकाओं, जो उस समय भी टॉप पर थीं, देवी और शारदा सिन्हा (Devi & Sharda Sinha), ने सर्वथा अपना अलग स्थान रखा. अश्लीलता और अश्लील फिल्मों का इन्होंने सदा बहिष्कार किया.

देवी और शारदा सिन्हा के गीत ही ऐसे होते थे जिन्हें आप घर-परिवार के सदस्यों के साथ बैठकर देख सकते थे. बाकी का कोई ठिकाना नहीं कि कब कैसा फूहड़ दृश्य सामने आ जाय. दुर्भाग्य से अश्लीलता की परम्परा ही चलती रही और भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्रीज (Bhojpuri Film Industries) अश्लीलता के लिए पूरे देश और दुनिया में जाना जाने लगा. कुछ लोगों ने प्रेमवश भोजपुरी की दशा को सुधारने का प्रयास जरूर किया, पर वे सफल नहीं हो सके. नितिन चन्द्रा ऐसे फिल्मकारों में एक हैं.

बिगड़ गयी थी आदत
भोजपुरी दर्शकों की आदत भोजपुरी फिल्मों में अश्लीलता देखने की हो चुकी थी. लोगों को याद होगा कि 90 के दशक में कांति शाह जैसे प्रोड्यूसर हिन्दी में सी ग्रेड की फिल्मों का निर्माण करते थे और उसमें गैर कानूनी ढंग से पोर्न फिल्मों के कुछ सीन डाल देते थे. वे फिल्में भी नून शो में हाउसफूल चलती थी.

अब सी ग्रेड की फिल्मों के सभी दर्शक अश्लीलता की तलाश में भोजपुरी फिल्मों के दर्शक बन गये. उससे भी भोजपुरी फिल्मों का बाजार गरम होता रहा. अपनी भाषा की फिल्मों को देखने का भी एक मजा होता है.


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खेसारीलाल भी पहुंच गये मुंबई
भोजपुरी फिल्मों में ऐसा ट्रेंड बन गया कि जो भी गायक कैसेट की दुनिया में सफल हो जाता वह फिल्मों में जरूर भाग्य आजमाता. उसमें से कुछ सफल हो जाते और उनकी फिल्में भी धड़ाधड़ बनने लगती. इसी क्रम में एक गायक खेसारी लाल यादव (Khesarilal Yadav) अपने अश्लीलतम गीतों के साथ कैसेट और वीसीडी को लेकर भोजपुरिया क्षेत्र में उभरा.

खेसारी लाल यादव अपने गीतों के साथ-साथ मंच पर लौंडा नाच के लिये भी प्रसिद्ध थे. ग्रामीण क्षेत्र के लोग उसके नाच को भी पसंद करते थे. वह भी दिल्ली से उठकर मुम्बई आ गया और फिल्मों में प्रवेश किया. अश्लीलता उसका यूएसपी था. उनकी फिल्मों ने अच्छा बिजनेस किया. फिर इसी तर्ज पर कई फिल्में बनती रही और खेसारी लाल यादव भी भोजपुरिया सुपर स्टार बन गये.

मुश्किल था उबारना
तब तक अश्लीलता के दलदल में भोजपुरी फिल्में पूरी तरह डूब चुकी थी. उसे उबारना मुश्किल था. खेसारी लाल यादव ने फूहड़ता और अश्लीलता का नया अध्याय लिख दिया. ऐसे गीतों में न साहित्य होता था न कोई सुर, ताल, लय और न संगीत की गुणवत्ता होती थी. होते थे सिर्फ अश्लील बोल. जिन्हें सुनकर युवक पास-पड़ोस की लड़कियों पर बोल बोलना और उनसे छेड़खानी करना सीखते थे.

कल्लू भी आ गया फिल्मों में
भोजपुरी फिल्में में जो हिरोइनें होती हैं उन्हें काफी असम्मानित तरह से पेश किया जाता है. उन्हें लड़कों द्वारा शरारत करने की चीज बना दी जाती है. खेसारी लाल यादव के बाद इसी तरह का एक गायक कल्लू (Kallu) भी फिल्मों में आया. वह भी फूहड़ता की नयी कहानी लिख रहा है.

भोजपुरी के जो दूसरे नये कलाकार हैं वे भी अश्लीलता के रास्ते भोजपुरी में घुसना चाहते हैं. भोजपुरी में कुछ कलाकार ऐसे जरूर हैं जो मर्यादा को तोड़ना नहीं चाहते. परन्तु, ऐसे लोग अश्लीलता की आंधी में हाशिये पर पहुंच जाते हैं.

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