मंत्री के भाई का मामला था इसलिए हो गया एक पांव पर खड़ा
तेजस्वी ठाकुर
11 अक्तूबर, 2021
SAHARSA. मंत्री या उनके भाई के साथ कोई हादसा हुआ होता और वह सहरसा सदर अस्पताल (Saharsa Sadar Hospital) में होते तो ऐसी खातिरदारी और इलाज में तत्परता को थोड़ा नजरंदाज किया जा सकता था. हालांकि, सामान्य मरीजों के साथ होने वाले व्यवहार के मद्देनजर वह भी न्यायोचित नहीं होता.
यह बताने की जरूरत नहीं कि सामान्य मरीजों के इलाज के प्रति अस्पताल प्रशासन कितना गंभीर रहता है. लेकिन, इस मामले में सिविल सर्जन (Civil Surgeon) से लेकर सर्जन डा. एस के आजाद और डीएसपी से लेकर थानेदार तक सब ड्यूटी बजाते दिखे.
नहीं पड़ा असर लिपि सिंह पर
लिपि सिंह (Lipi Singh) की जगह कोई और पुलिस अधीक्षक (SP) होते तो शायद वह भी उस वक्त सदर अस्पताल में ही नजर आते. लिपि सिंह पर मंत्री के प्रभाव का असर क्यों नहीं पड़ा, यह बताने की शायद जरूरत नहीं. मामला कला-संस्कृति एवं युवा विभाग के मंत्री आलोक रंजन (Alok Ranjan) के छोटे भाई विवेक विशाल के कर्मचारी से जुड़ा है.
विवेक विशाल सहरसा शहर के बड़े व्यवसायी हैं. मणिकांत राय उर्फ मनमन उनकी कंपनी का सेल्समेन है. उस दिन काम पूरा कर घर लौट रहा था कि सदर थाना क्षेत्र के कहरा कुटी के समीप मोबाइल फोन छीनने के क्रम में तीन अपराधियों ने उसे गोली मार दी. विवेक विशाल ने तत्काल इसकी सूचना बड़े भाई आलोक रंजन को दी.
तत्परता पर उठे सवाल
कथित रूप से आलोक रंजन ने सिविल सर्जन डा. अवधेश कुमार (Dr. Awadhesh Kumar) एवं पुलिस महकमे पर भारी दबाव बना दिया. मणिकांत राय उर्फ मनमन को सदर अस्पताल में भर्त्ती कराया गया. अस्पताल के तमाम लोग उसकी सेवा में जुट गये. दो दिनों तक आईसीयू में रख उसके लिए सूई से लेकर दवा तक की व्यवस्था सदर अस्पताल द्वारा की गयी.
इस पर सवाल उठे कि सदर अस्पताल प्रशासन ऐसा ही इंतजाम आम मरीजों के लिए क्यों नहीं करता है? बहरहाल, मणिकांत राय उर्फ मनमन पर गोली चलाने वालों की अभी तक गिरफ्तारी नहीं हो पायी है.
हो गयी है पहचान
सदर थानाध्यक्ष जयशंकर प्रसाद का कहना रहा कि सीसीटीवी फूटेज के जरिये अपराधियों की पहचान कर ली गयी है. बंका यादव, कौशिक शर्मा और एक अन्य ने इस वारदात को अंजाम दिया है. शीघ्र सबको दबोच लिया जायेगा. इस प्रकरण की चर्चा पूरे सहरसा शहर में हो रही है. गौरतलब है कि आलोक रंजन सहरसा से ही भाजपा के विधायक हैं.