तापमान लाइव

ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल

चकित रह गयी राजनीति लालू-राबड़ी परिवार के ओछापन पर

शेयर करें:

राजद और लालू-राबड़ी परिवार तथा शहाबुद्दीन परिवार के आपसी गहरे रिश्ते में गांठ क्यों पड़ गयी? मरहूम पूर्व बाहुबली सांसद शहाबुद्दीन की पत्नी हीना शहाब के समक्ष ऐसी क्या परिस्थिति पैदा हो गयी कि राजद और लालू-राबड़ी परिवार से दूरी बनाने को विवश हो गयीं? असंतोष मिटाने की बजाय राजद नेतृत्व ने उन्हें अघोषित ‘दल निकाला’ क्यों दे दिया? इस हालात में शहाबुद्दीन परिवार का बिहार की बात दूर, सीवान की राजनीति में भी कोई प्रभावकारी अस्तित्व रह पायेगा? पांच किस्तों के इस आलेख में मुख्यतः इन्हीं सुलगते सवालों का जवाब तलाशा गया है. प्रस्तुत है प्रथम किस्त :


राजेश पाठक
29 नवम्बर, 2022

SIWAN : यही है राजनीति का बेहायापन! इसमें निरंतर आ रही विकृति पर खुद को कुढ़ने से बचाने के लिए और क्या कह सकते हैं! बात दिवंगत बाहुबली पूर्व सांसद शहाबुद्दीन (Sahabuddin) की है. उस शहाबुद्दीन की जिन्होंने राजद के प्रति समर्पण व निष्ठा अटल-अटूट रख लालू-राबड़ी की ढहती सत्ता को अपने बूते मजबूती दी थी. यह सच है कि कोरोना (Corona) संक्रमण का आतंक पसरा हुआ था. भय इतना विकराल कि लोग घरों में दुबके रहने को विवश थे. या फिर विवश कर दिये गये थे. आपस की आत्मीयता और सामाजिकता मोबाइल (Mobile) फोन में सिमट गयी थी. आमतौर पर अपनों के बीच भी दूरियां ऐसी बढ़ गयी थी जैसे एक-दूसरे को जानते-पहचानते ही नहीं हों. लेकिन, दहशत भरे मरघटी माहौल में भी रिश्तों के महत्व को समझने वाले संवेदनशील लोगों ने उसे बेखौफ निभाया. आपस के गहरे संबंधों को खंडित नहीं होने दिया.

थे दीर्घकालिक मधुर संबंध
लालू-राबड़ी परिवार और राजद (RJD) से मरहूम पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के दीर्घकालिक मधुर संबंध थे. तमाम तरह के आरोपों और आलोचनाओं की बौछारों के बीच भी यह अटूट रहा. परन्तु, उनके आखिरी वक्त में कथित रूप से लालू-राबड़ी परिवार (Lalu-Rabri Family) ने संबंधों को नहीं निभाया. कोरोना संक्रमण काल की बंदिशों को ढाल बना एक झटके में उसे तोड़ दिया. इस अकल्पित ओछापन पर राजनीति चकित रह गयी. अवसर दूसरा होता तो शहाबुद्दीन परिवार (Sahabuddin Family) को लालू-राबड़ी परिवार की यह बेरुखी शायद उतना नहीं अखड़ती. शहाबुद्दीन के शोकमग्न पुत्र ओसामा शहाब (Osama Shahab) इस कदर नहीं बिफरते.


इन्हें भी पढ़ें :
कुढ़नी के अंगने में तेरा क्या काम है…!
जयप्रकाश विश्वविद्यालय : तब पकड़ में नहीं आती निगरानी की ‘नादानी’
बंट गया भूमिहार-ब्राह्मण सामाजिक फ्रंट!


कोई खोज खबर नहीं ली
बात थोड़ी पुरानी है. अप्रैल-मई 2021 की. पर, इसकी प्रासंगिकता अब भी बनी हुई है. यूं कहें कि हाल के घटनाक्रमों से बढ़ ही गयी है. चर्चा इसलिए ही की जा रही है. तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व सांसद शहाबुद्दीन कोरोना से संक्रमित हो गये. कुछ दिनों तक दिल्ली (Delhi) के दीनदयाल अस्पताल (Dindayal Hospital) में रहे, मौत को परास्त नहीं कर पाये. तकरीबन 10 दिनों तक उससे जूझते रहे. 01 मई 2021 को उनकी मृत्यु (Death) हो गयी. शहाबुद्दीन परिवार पर इस रूप में तो दुखों का पहाड़ टूटा ही, असहनीय पीड़ा इस बात को लेकर भी हुई कि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद (Lalu Prasad) और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी (Rabri Devi) ने उस दरम्यान उनकी कोई खोज-खबर नहीं ली. लालू प्रसाद की राजनीतिक (Political) विरासत संभाल रहे पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव (Tejaswi Prasad Yadav) ने भी नहीं.

मातमपुर्सी के लिए भी कोई नहीं पहुंचा
इस दुखद घटना के वक्त लालू प्रसाद और राबड़ी देवी दिल्ली में थे. सांसद पुत्री मीसा भारती (Misa Bharti) के आवास पर. दिल्ली में रहते हुए भी उन सबने शहाबुद्दीन की पूरी तरह उपेक्षा कर दी. इसका कुछ अधिक सदमा पहुंचा. शहाबुद्दीन के संक्रमित (Infected) होने की जानकारी उन्हें नहीं रही होगी, ऐसी बात नहीं. इसलिए भी नहीं कि खबर सोशल मीडिया (Social Media) पर वायरल थी. शहाबुद्दीन का इंतकाल हो गया. राजद (RJD) का एक भी बड़ा नेता मातमपूर्सी के लिए नहीं पहुंचा. जनाजे में शामिल नहीं हुआ. शहाबुद्दीन के पुत्र ओसामा शहाब (Osama Shahab) ने अकेले सब इंतजाम किया. लालू प्रसाद ने सिर्फ शोक भर व्यक्त किया-शहाबुद्दीन उनके भरोसेमंद सहयोगी थे. यह उनका निजी नुकसान है.

अगली कड़ी…
ओसामा शहाब को चुभ गया तिरस्कार

#TapmanLive

अपनी राय दें