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बेलागंज का मामला : इतने बेबस क्यों हो गये हैं सरकार!

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विष्णुकांत मिश्र
03 जून 2023

Gaya : बहुत ज्यादा दिन नहीं हुए, बिहार (Bihar) में महिला सशक्तीकरण का ढोल किस‌ कदर पीटा जाता था , स्मरण में जरूर होगा. महिलाओं के लिए ये किया, वो किया … महिलाओं के कहने पर शराबबंदी लागू कर दी , पंचायती राज व्यवस्था में पचास प्रतिशत आरक्षण  (Reservation) दे दिया…आदि , इत्यादि. इन और ऐसी अन्य बातें करते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू (JDU) के बड़े नेता अघाते नहीं थे. जीविका दीदी तो जिह्वा पर ही विराजमान हो गयी थीं ! महिलाएं भी आमतौर पर इन बातों के झांसे में आ‌ मुरीद हो गयी सी दिखीं. अब क्या हो रहा है, इस पर नजर डालियेगा तो नीतीश कुमार बेबस दिखेंगे. यही बेबसी वह वजह है कि उनकी ही सरकार के विवादित छवि के मंत्री सुरेन्द्र प्रसाद यादव सार्वजनिक रूप से महिलाओं के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी के रूप में दबंगई झाड़ उनके मान – सम्मान से खिलवाड़ कर रहे हैं और वह मौन हैं.

बंद कर रखा है मुंह
नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की बात छोड़ दीजिये‌, सत्ता पक्ष का कोई भी नेता‌ सुरेन्द्र प्रसाद यादव (Surendra Prasad Yadav) की हरकतों का प्रतिकार नहीं कर रहा है! कर भी नहीं सकता है. राजद (RJD) के नेता मुंह नहीं खोल सकते. इसलिए कि सामान्य समझ में यही असभ्य आचरण इस पार्टी की राजनीति की बुनियाद है. भला अपनी बुनियाद को कोई कमजोर करना क्यों चाहेगा? मंत्री पद पर आसीन व्यक्ति की घटिया मानसिकता को राजद का राजनीतिक संस्कार मान दूसरा कोई चुप नहीं रह सकता. पर, महिला सशक्त करण का दंभ भरने वाले जदयू ने मुंह बंद कर रखा है . सत्ता – स्वार्थ भरी उसकी इस विवशता को देख – सुन लोग हैरान हैं. इस वजह से और भी कि सुरेन्द्र प्रसाद यादव ने अभद्रता भरी हालिया‌ टिप्पणी किसी अन्य पर नहीं, कथित रूप से प्रदेश महिला‌ जदयू की सचिव करिश्मा कुमारी (Karishma Kumari) के खिलाफ की‌ है, जो बेलागंज से गया जिला परिषद की सदस्य यानी जिला पार्षद हैं. पहली बार निर्वाचित हुई हैं. अपनी पार्टी की महिला नेता के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी पर जदयू नेतृत्व का मुंह में दही जमा लेना , राजद के सामने असहाय हो जाना नहीं, तो क्या है?

जिला पार्षद कल्पना कुमारी.

बर्खास्त करने की मांग
सहकारिता मंत्री सुरेन्द्र प्रसाद यादव ने यह टिप्पणी बेलागंज विधानसभा (Belaganj Vidhansabha) क्षेत्र में कहीं नहीं की. टनकुप्पा बाजार में राजद के कार्यक्रम में सार्वजनिक रूप से की. टनकुप्पा बोधगया विधानसभा क्षेत्र में है जहां से कानून मंत्री कुमार सर्वजीत (Kumar Sarvjeet) राजद के विधायक हैं. कार्यक्रम में वह भी मौजूद थे. अपने संबोधन में भी सुरेन्द्र प्रसाद यादव ने उनका नाम लिया. सुरेन्द्र प्रसाद यादव ने गया जिला परिषद के चुनाव से जुड़ी अपनी घोर आपत्तिजनक टिप्पणी में हालांकि करिश्मा कुमारी का नाम नहीं लिया, पर स्पष्ट रूप से इशारा उन्हीं की ओर था. कल्पना कुमारी (Kalpna Kumari) ने गया के पुलिस अधीक्षक (SP) के‌ साथ – साथ मुख्यमंत्री , पुलिस महानिदेशक (DGP) एवं अन्य सक्षम पदाधिकारियों को आवेदन दिया है. संवैधानिक पद‌ की मर्यादा और नारी के मान का सम्मान नहीं करने वाले सुरेन्द्र प्रसाद यादव को मंत्री – पद से बर्खास्त करने की मांग उठायी है.


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नहीं‌ दिखता कोई असर
भाजपा, रालोजद, लोजपा (रामविलास) ने उनकी इस मांग का समर्थन किया है. पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने सुरेन्द्र प्रसाद यादव के नारी अपमान से संबंधित अतीत के कारनामों का जिक्र  करते हुए बिना बिलम्ब उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर करने की बात कही है. गया के भाजपा विधायक व पूर्व मंत्री प्रेम कुमार (Prem Kumar) ने कल्पना कुमारी के घर जाकर उनकी हौसला अफजाई की है. सुरेन्द्र प्रसाद यादव के खिलाफ कार्रवाई की मांग में अपना स्वर मिला रालोजद (RLJD) किसान प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर धर्मेन्द्र सिंह (Thakur Dharmendra Singh) और रालोजद के प्रदेश उपाध्यक्ष ई. अजय कुशवाहा ने उसे मजबूती प्रदान की . लेकिन, नीतीश कुमार की अभी की गूंगी‌- बहरी सरकार पर इसका कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है. हैरत की बात यह कि राज्य में घूम- घूम कर कमल को पैरों से कुचल देने और छाती तोड़ देने का दंभ भर रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन (Anand Mohan) भी इस मुद्दे पर चुप हैं. 04 जून 2023 को उनका गया आगमन होगा. इस मामले में वहां उनका तेवर कैसा रहता है, यह देखना दिलचस्प होगा‌. करिश्मा कुमारी की आहत भावना पर मलहम लगाते हैं या नहीं, लोगों की नजर इस पर भी रहेगी.

चलती है उनकी मर्जी
बेलागंज (Belaganj) के महादेव बिगहा गांव निवासी छोटू कुमार सिंह की पत्नी करिश्मा कुमारी जिला परिषद (Zila Parishad) के चुनाव में बेलागंज से उम्मीदवार थीं. पहली बार मैदान में उतरी थीं. चुनाव दिसम्बर‌ 2021 में हुआ था. उस चुनाव के परिदृश्य‌ की याद तकरीबन डेढ़‌ साल बाद 04 मई 2023 को सुरेन्द्र प्रसाद यादव को क्यों आयी? स्वाभाविक रूप से यह सवाल हर किसी के मन में उठ‌ रहा होगा. तो जानिये उसकी वजह. ‘सामाजिक न्याय’ के दौर से ही राजद की राजनीति में‌ सुरेन्द्र प्रसाद यादव को ‘‌मगध सम्राट’‌ की मौखिक उपाधि मिली हुई है. तकरीबन 33 वर्षों (बीच के कुछ समय को छोड़) से बेलागंज विधानसभा क्षेत्र पर उनका अखंड कब्जा है. अंगद की तरह जमे उनके पांव को उखाड़ने की कोई भी कोशिश सफल नहीं हुई. स्थित यह है कि बेलागंज में प्रायः हर मामले में उनकी ही मर्जी चलती है.

कल्पना से परे जीत
संबद्ध बेलागंज जिला परिषद निर्वाचन क्षेत्र से एक बार नागेन्द्र सिंह (Nagendra Singh)की जीत हुई थी. बाद के तीन चुनावों में शैलेन्द्र कुमार यादव की पत्नी ममता देवी (Mamta Devi) निर्वाचित हुईं. ये सभी सहकारिता मंत्री सुरेन्द्र प्रसाद यादव के खासमखास बताये जाते हैं. 2021 के चुनाव में क्षत्रिय समाज की कल्पना कुमारी ने अप्रत्याशित ढंग से ममता देवी के काफी मजबूत माने जाने वाले खूंटे को बड़ी आसानी से उखाड़ दिया. जानकारों के मुताबिक करिश्मा कुमारी को‌ 12 हजार 800 मत प्राप्त हुए. ममता देवी 05 हजार 300 मतों के आसपास अटक गयीं. यादव – मुस्लिम बहुल क्षेत्र में एक क्षत्राणी की इतनी बड़ी जीत सुरेन्द्र प्रसाद यादव की कल्पना से परे थी. विश्लेषकों की मानें तो उस जीत में उन्हें विधानसभा के अगले चुनाव में अपनी हार की अश्क दिखी. करिश्मा कुमारी के खिलाफ टिप्पणी को लोग उनकी उस चिंता से भी जोड़ कर देख रहे हैं.

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