बिहार प्रदेश कांग्रेस : दलित नेताओं में भी हैं अध्यक्ष पद के कई दावेदार
बिहार प्रदेश कांग्रेस के नये अध्यक्ष के चयन की अंतर्कथा की अंतिम कड़ी…
राजेश पाठक
18 अगस्त 2021
पटना. बिहार प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी भक्तचरण दास कभी उग्र कांग्रेस विरोधी राजनीति का हिस्सा रहे हैं. प्रदेश कांग्रेस को मनमाफिक हांकने के लिए उन्हें अपनी टीम चाहिए. इसके लिए उन्होंने जो सामाजिक समीकरण गढ़ा है उसमें दलित प्रदेश अध्यक्ष को प्राथमिकता दी है. ऐसा उन्होंने गुपचुप तरीके से नहीं, प्रभार संभालते ही ऐलानिया तौर पर कह दिया. विश्लेषकों की समझ में आधार यह है कि विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता ब्रह्मर्षि समाज के अजीत शर्मा हैं तो विधान परिषद में ब्राह्मण समाज के डा. मदनमोहन झा. ऐसे में अध्यक्ष पद के लिए सवर्ण समाज का हक नहीं बनता. मुस्लिम और पिछड़ा-अतिपिछड़ा वर्ग को महागठबंधन के घटक राजद के साथ रहने को आधार बना छोड़ दिया. अवसर दलित समाज के लिए सृजित कर दिया. भक्तचरण दास के इस सामाजिक समीकरण से अध्यक्ष पद के लिए लार टपका रहे डा. अखिलेश प्रसाद सिंह, निखिल कुमार, अनिल शर्मा, श्याम सुंदर सिंह धीरज, विधान पार्षद प्रेमचन्द्र मिश्र, समीर कुमार सिंह, विधायक विजय शंकर दूबे आदि सवर्ण नेताओं के मंसूबों पर पानी फिर गया है. प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी के अरमान भी अध्यक्ष पद के लिए लम्बे समय से मचल रहे हैं.
आगे क्या होगा यह अभी नहीं कहा जा सकता, पर फिलहाल मायूसी में वह भी डूबे हुए हैं. कदवा के विधायक शकील अहमद खां और पूर्व मंत्री शकील उज्जमा का भी करीब-करीब यही हाल है. भक्तचरण दास ने नये प्रदेश अध्यक्ष के लिए औरंगाबाद जिले के कुटुम्बा के विधायक राजेश कुमार के नाम की कांग्रेस नेतृत्व के समक्ष अनुशंसा कर उसकी सार्वजनिक घोषणा भी कर दी है. राजेश कुमार अपने जमाने में कांग्रेस के बड़े नेता रहे पूर्व मंत्री दिलकेश्वर राम के पुत्र हैं. कांग्रेस के कुछ नेताओं की नजर में उनकी एक खासियत भक्तचरण दास का स्वजातीय होना भी है. बहरहाल, राजेश कुमार के नाम पर अधिसंख्य सवर्ण नेताओं की भृकुटी तो तनी हैं ही, दलित समाज के अन्य कांग्रेस नेताओं ने भी दावेदारी ठोक रखी है. राजापाकर की विधायक प्रतिमा कुमारी, पूर्व मंत्री तानेश्वर आजाद के पुत्र नागेन्द्र प्रसाद विकल, प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रहे मुंगेरी लाल के भतीजा पूर्व विधान पार्षद लालबाबू लाल आदि उनमें शामिल हैं. पूर्व मंत्री डा. अशोक कुमार तो स्थायी दावेदार हैं ही. एक दावेदार पूर्व मंत्री पूर्णमासी राम के पुत्र पूर्व विधान पार्षद राजेश राम भी थे. कांग्रेस में कोई संभावना नहीं देख तीन-चार दिन पहले जद(यू) में शामिल हो गये. और की बात छोड़ दें, पार्टी के अंदर भी ऐसी चर्चा है कि दलित समाज से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाने का पार्टी नेतृत्व का फैसला बिहार में कांग्रेस के बचे-खुचे जनाधार को भी समेट दे सकता है.