नहीं सुधरे तो होगी तेजप्रताप यादव के खिलाफ कार्रवाई
राजनीतिक विश्लेषक
19 अगस्त 2021
पटना. राजद विधायक तेजप्रताप यादव उल जलूल हरकतों के जरिये अपने खिलाफ कड़ी अनुशासनिक कार्रवाई को आमंत्रित कर रहे हैं. बुरी खबर यह है कि पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद भी उनकी हरकतों से आजिज आ गये हैं. छात्र राजद के प्रभार से उन्हें प्रदेश राजद अध्यक्ष जगदानंद ने मुक्त नहीं किया है. प्रदेश अध्यक्ष ने सिर्फ राष्ट्रीय अध्यक्ष के आदेश को लागू किया है. आदेश यह भी है कि तेजप्रताप यादव रास्ते पर नहीं आयें तो निलंबित किया जाये. उसके बाद भी सुधार नहीं हुआ तो पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाये. अंदरूनी सूत्रों का यहां तक दावा है कि लालू प्रसाद ने तेजप्रताप यादव को सीमा में रहने की सलाह दी है. लोग यहां तक कहने लगे हैं कि मेहनत से सुधरी राजद की छवि को ये अकेले मिट्टी में मिला देंगे.
सिर्फ नुकसान ही किया
तेजप्रताप यादव खुद को तेजस्वी प्रसाद यादव का श्रीकृष्ण बताते हैं जबकि व्यवहार में वह उनके लिए दुर्योधन साबित हो रहे हैं. राज्य की जनता तेजस्वी प्रसाद यादव में विकल्प देख रही है. लोगों को भरोसा है कि तेजस्वी प्रसाद यादव अगर शासन में आये तो अराजक तत्वों को बढ़ावा नहीं देंगे, जो लालू प्रसाद के राजनीतिक जीवन में काल साबित हुए थे. लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में तेजस्वी प्रसाद यादव के किसी भी एक्शन में पुराने राजद का प्रतिविम्ब नहीं दिखा. उस समय भी तेजप्रताप यादव अपनी हरकतों से बाज नहीं आये. जहानाबाद और शिवहर में उन्होंने राजद के आधिकारिक उम्मीदवारों को हराने का प्रयास किया. इन सीटों पर राजद की हार भले ही अन्य कारणों से हुई हो, तेजप्रताप यादव के योगदान को नकारा नहीं जा सकता है. विधानसभा चुनाव में एक दो टिकट देकर उन्हें शांत किया गया. अब उनके निशाने पर संजय यादव हैं, जिन्हें हरियाणा वासी होने के कारण प्रवासी सलाहकार बता कर अपमानित करने की कोशिश कर रहे हैं.
साधु परम्परा के हैं संजय
तेजप्रताप यादव इस समय तेजस्वी प्रसाद यादव के राजनीतिक सलाहकार संजय यादव के खिलाफ मोर्चा खोल कर बैठ गये हैं. सच यह है कि विधानसभा चुनाव में राजद की शानदार जीत में संजय यादव का बड़ा योगदान है. उम्मीदवारों के चयन से लेकर रणनीति बनाने तक में संजय यादव ने काफी मेहनत की. संजय यादव सचमुच साधु परम्परा के हैं. सात्विक और विशुद्ध वैष्णव. तेजस्वी प्रसाद यादव के साथ यात्रा के दौरान उनका भोजन ऐसे कार्यकर्ता के परिवार से आता है, जिसके सभी सदस्य वैष्णव हों. हां, उन्हें यह सख्त नापसंद है कि कोई गलत आदमी तेजस्वी प्रसाद यादव के आसपास फटके. यही बात तेजप्रताप यादव को पसंद नहीं है. संजय यादव को लालू प्रसाद भी पसंद करते हैं. जगदानन्द से भी बढ़िया तारतम्य है. तेजप्रताप यादव का आकलन है कि संजय यादव अगर तेजस्वी प्रसाद यादव से अलग होते हैं तो मनमर्जी चलेगी. मगर, खुद लालू प्रसाद ऐसा नहीं चाहते हैं.
पर्दे के पीछे मीसा हैं
असल में तेजप्रताप यादव को बहन मीसा भारती का समर्थन हासिल है. राजनीति में रहने के कारण मीसा भारती की महत्वाकांक्षा समझी जा सकती है. वह देख रही हैं कि तेजस्वी प्रसाद यादव आज न कल सत्ता में आ ही जायेंगे. उस समय तेजप्रताप यादव यदि सत्ता के समानांतर केन्द्र रहेंगे तो शासन में हिस्सा मिलेगा. यह प्रयोग महागठबंधन की सरकार में हो चुका है. तेजप्रताप यादव के स्वास्थ्य मंत्रालय के संचालन में मीसा भारती की महती भूमिका थी. क्योंकि वह डाॅक्टर भी हैं, इसलिए स्वास्थ्य विभाग की उन्हें बुनियादी समझदारी भी है. वह भविष्य में भी तेजप्रताप यादव के माध्यम से संगठन और संभावित सरकार में इस भूमिका को जारी रखना चाहती हैं. लेकिन, मुश्किल यह है कि उनकी योजना का पता सबको चल गया है. राजद समर्थकों ने तेजस्वी प्रसाद यादव को लालू प्रसाद का उत्तराधिकारी मान लिया है. सच यह भी है कि तेजप्रताप यादव के खिलाफ जिस क्षण कड़ी कार्रवाई होती है, बुलाने पर भी कोई राजद कार्यकर्ता उनकी देहरी का रुख नहीं करेगा. संभव है कि अगले कुछ दिनों में तेजप्रताप यादव मथुरा-वृन्दावन की यात्रा पर निकल जायें.