एक विभाग में पांच मंत्री, एक बाप और चार बेटा!
राजनीतिक विश्लेषक
25 अगस्त, 2021
पटना. यह नहीं है कि भाजपा सिर्फ नारा लगाती है. वह उस पर अमल भी करती है. पार्टी का चर्चित नारा है-सबका साथ, सबका विकास. विरोधी लोग आरोप लगाते हैं कि यह नारा नहीं, सुनियोजित ढंग से दिया जाने वाला धोखा है. हो सकता है कि आमलोगों तक इस नारा का प्रभाव नहीं पहुंचा हो. लेकिन, पार्टी के लोगों तक न सिर्फ यह नारा पहुंचा है, बल्कि सबके एक साथ रहने के कारण उनका विकास भी हो रहा है. किसी को अगर भाजपा के इस नारे पर भरोसा नहीं हो रहा है तो वह कहीं और न जाये, बस बिहार आ जाये. बिहार कैबिनेट में भाजपा ने पुराने मंत्रियों को बहुत कम जगह दी है. पुराने में सिर्फ उन्हीं मंत्रियों को जगह दी गयी, मंत्री रहने के बावजूद जिनका पूरा विकास नहीं हो पाया. पार्टी ने अपने स्तर से हरेक मंत्री के विकास का दस्तावेज जुटाया. उसे विशेषज्ञों को दिखवाया. रिपोर्ट ली. जिन मंत्रियों के बारे में रिपोर्ट आयी कि उनका पूरा विकास हो चुका है, इससे अधिक विकास हो गया तो जेल जाने की नौबत आ सकती है, उन्हें कैबिनेट में जगह नहीं दी गयी. एक-एक मंत्री के बारे में बताया गया कि किस आर्थिक स्थिति में वह दल में शामिल हुए थे और आज उनकी हालत कितनी अच्छी है. किसी-किसी की इतनी अच्छी हो गयी है कि स्कूटर पर सवार होकर पार्टी में आये थे और आज मन हो तो हेलीकाप्टर खरीद लें. पार्टी ने तय किया कि अब इनका अधिक विकास नहीं करना है. सो, नये लोगों को विकास करने का अवसर दिया गया. मंत्री लोग भी विकास के काम में जी जान से जुट गये. एक नये मंत्री के बारे में बताया जा रहा है कि वह भी जी जान से जुट गये हैं. बड़ा परिवार है. चार बेटे हैं. एक दिन मंत्री ने अपने विभाग के सेक्रेटरी को बुलावा भेजा. सेक्रेटरी साहब आये. मंत्री ने चारों बेटों को उनके सामने खड़ा किया. बताया कि दस्तखत हम कर देंगे. आप इन चारों के आदेश को मंत्री का ही आदेश माना कीजिये. बेचारे सेक्रेटरी साहब चकरा गये. एक विभाग में पांच मंत्रियों का आदेश मानना किसी भी सेक्रेटरी के लिए संभव नहीं है. सेक्रेटरी साहब ने सीधे मना नहीं किया. आफिस आये. नल जल योजना की शपथ लेेकर बोले कि आज के बाद कभी अपने मंत्री के आवासीय कार्यालय पर नहीं जायेंगे. चाहें हमारा तबादला ही क्यों न हो जाये. हालांकि, इस शपथ पर ज्यादा दिनों तक अमल करने की जरूरत नहीं पड़ी. एक बेटा मंत्री के बदले विभागीय योजनाओं का निरीक्षक करते धरा गया. मंत्री का दस हाथों से बटोरने का मंसूबा धरा रह गया. बटोरने के संदर्भ में बाकी कई मंत्रियों के बारे में भी यही शिकायत मिल रही है कि वे जल्दी से जल्दी, मतलब फौरन से पेश्तर अपना विकास कर लेना चाह रहे हैं. पता नहीं, क्यों इतनी जल्दबाजी में हैं.