गांव की सत्ता के लिए पकड़ ली समाजसेवा की राह
राजेश कुमार
26 अगस्त 2021
बाढ़. बाढ़ के दक्षिणी टाल क्षेत्र में बसा परसावां पंचायत आबादी की दृष्टि से बहुत बड़ी है. इसके तहत परसावां समेत चार-पांच गांव हैं. परसावां ब्रह्मर्षि बहुल बड़ा गांव है. पंचायत की राजनीति और चुनाव की तस्वीर मुख्य रूप से यही गढ़ता है. परसावां मठ के महंत स्वामी चक्रपाणि अभी वहां के मुखिया हैं. पंचायत के लोगों ने बड़ी उम्मीद से उन्हें नेतृत्व सौंपा था. उस उम्मीद पर वह कितना खरा उतरे यह नहीं कहा जा सकता. लेकिन, यह चर्चा जोर पकड़े हुए है कि पंचायत की राजनीति से अब उन्हें विरक्ति हो गयी है.
इस बार शायद चुनाव नहीं लड़ेंगे. मुखिया बनने की चाहत रखने वाले अपने शिष्यों-शागिर्दों को आशीर्वाद देंगे या नहीं, यह भी अस्पष्ट है. स्वामी चक्रपाणि से पहले पूनम देवी मुखिया थीं. चुनाव से पहले ही उन्होंने समाजसेवा की राह पकड़ ली थीं. इसका लाभ मिला और वह मुखिया निर्वाचित हो गयीं. समाजसेवा की उसी भावना के तहत सपना सिंह पंचायत में सक्रिय हैं. वह मददपुर गांव की हैं जो इस परसावां पंचायत में ही है. उनके पति प्रेम सिंह इंजीनियर है. पटना में कार्यरत हैं. पंचायत की सत्ता पर काबिज होने के लिये सपना सिंह ने परसावां में कई तरह के सामाजिक कार्य किये हैं, ऐसा उनके समर्थकों का कहना है. इधर बिहार पृथ्वी दिवस पर तो मौका नहीं मिला, लेकिन उसके कुछ ही दिनों बाद उन्होंने परसावां पंचायत क्षेत्र के ‘साध बाबा से लेकर राईस गांव’ तक सड़क के दोनों किनारे पौधारोपण कराया. हालांकि, साध बाबा से कुछ दूर तक का क्षेत्र बाढ़ प्रखंड की सहरी पंचायत में आता है. बावजूद इसके उन्होंने वहीं से पौधारोपण की शुरुआत की. इस बाबत उनका कहना रहा कि मौजूदा समय में पौधारोपण से अच्छा कोई काम नहीं और इस नेक काम को पंचायत की सीमा में बांध कर देखना उचित नहीं. उनका यह भी कहना रहा कि पूर्व में उनके द्वारा निर्मित यात्री शेड को लेकर आज कुछ लोग बातें जो करें, लेकिन पंचायत स्तर पर लोगों को उसका भरपूर फायदा मिल रहा है. सपना सिंह की मानें तो पंचायत चुनाव में जीत-हार अपनी जगह है, लेकिन परसावां पंचायत के लोगों की सुख-सुविधा के लिए वह निरंतर प्रयास करती रहेंगी. इसलिए कि यह उनका गृह पंचायत है. सामाजिक स्तर पर इस पंचायत के लोगों के सुख-दुख का ख्याल रखना वह अपना नैतिक दायित्व मानती हैं.