किशनगंज को निगल रहा धन्ना सेठों का सिंडिकेट
अशोक कुमार
30 अगस्त 2021
किशनगंज. सीमांचल के संवेदनशील जिला किशनगंज की लगभग तमाम तरह की गतिविधियां दीर्घकाल से धन्ना सेठ भू-माफियाओं की गिरफ्त में है. इन सबने अघोषित तौर पर सिंडिकेट खड़ा कर सरकारी-गैर सरकारी एवं भूदान की जमीनों की लूट मचा रखी है. इस लूट की कहानी कहां से शुरू हुई और कहां जाकर अंत होगी इसकी कोई थाह नहीं है. प्रायः रोज नये-नये किस्से सामने आ रहे हैं.
जमीन के इन लुटेरे धन्ना सेठों को इसका तनिक भी ख्याल नहीं है कि किशनगंज को बसाने-संवारने में उनके पुरखों का भी अहम योगदान रहा है. इस दृष्टि से इसे धरोहर मान उन्हें इसे संरक्षित रखना चाहिये था तो प्रायः सबके सब लुट-खसोट कर इसके स्वरूप को नष्ट करने में जुटे हैं. शर्म तनिक भी नहीं है. चाहे गौशाला हो या धर्मशाला या मठ-मंदिर, सबके निर्माण में उनके ही पुरखों की पसीने की कमाई लगी हुई है.
इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि नयी पीढ़ी के धन लोलुप लोग उन सबको एक-एक कर निगल रहे हैं. हाल का एक मामला सामने आया है जिसमें शहर के एक बड़े दबंग उद्योगपति की संलिप्तता की चर्चा सरेआम हो रही है.
मामला एक पोद्दार जी की सुन्दरायन मौजा स्थित एक एकड़ बारह डिसमिल जमीन मेंसे 39.6 डिसमिल जमीन के उक्त दबंग उद्योगपति और उनके लोगों द्वारा डकार लिये जाने का है. इसमें संबद्ध अंचल कार्यालय की संलिप्तता की बात भी कही जा रही है. उस अधिकारी की, जो वर्षों से अंचल बदल-बदल कर इसी जिले में जमे हुए हैं और जमीन निगलवाने और उगलवाने में माहिर माने जाते हैं. लोग चकित हैं कि जमीन की कोई खरीद-बिक्री हुई ही नहीं तो फिर पोद्दार जी की 39.6 डिसमिल जमीन कैसे उक्त दबंग उद्योगपति एवं उनके लोगों के नाम दाखिल खारिज हो गयी?
चर्चा है कि पोद्दार जी ने इस संदर्भ में जालसाजी की प्राथमिकी दर्ज करायी है. उनमें धन्ना सेठ भू-माफिया के सिंडिकेट के पांच महत्वपूर्ण लोगों के नाम भी हैं. एक अंचल कर्मचारी का भी. चूंकि जिला प्रशासन में इस सिंडिकेट की मजबूत पैठ है इसलिए कोई कार्रवाई शायद ही हो पायेगी.