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भोजपुरी गीत-संगीत : विवादों से भरा है अश्लीलता से जुड़ा मुद्दा

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भोजपुरी के संस्कारित गीत-संगीत में आकंठ समायी अश्लीलता-फूहड़ता पर आलेख प्रकाशित होते रहते हैं. पर, उनमें गंभीरता नहीं होती. यह विद्रूपता क्यों आयी इसका विशद विश्लेषण नहीं होता. छह किस्तों के इस आलेख में इसके कारकों एवं कारणों का सच उघारा गया है. प्रस्तुत है पांचवी  किस्त :-


राजेश पाठक
7 अक्टूबर, 2021

PATNA. एक कलाकार से मैंने पूछा कि भोजपुरी को आपलोगों ने फूहड़ता का पर्याय क्यों बना दिया है. आजकल अच्छे घरों में भोजपुरी चैनल नहीं देखा जाता. भोजपुरी को हेय नजर से देखा जाने लगा है, जबकि भोजपुरी में भिखारी ठाकुर, महेन्द्र मिश्र जैसे लीजेन्ड्री कलाकार हो चुके हैं.

उसने उत्तर दिया कि आज के जमाने में अश्लीलता ही चलती है. लोग चूंकि अश्लीलता पसंद करते हैं तभी तो हमलोग वैसा करने के लिए बाध्य हो जाते हैं. वास्तव में यह भी एक स्वाभाविक स्थिति है. यदि भोजपुरी (Bhojpuri) क्षेत्र के लोग अश्लीलता का बहिष्कार करें तो वह स्वयं समाप्त हो जायेगी. जो बिकेगा उसे तो लोग बेचना चाहेंगे ही.


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भोजपुरी को बचाना मुश्किल
किसी समाज की रूचि का विकसित होना दो चार दिन की बात नहीं है. इसलिए अश्लीलता में डूबी भोजपुरी को बचाना एक कठिन काम है. कानून भी ज्यादा साथ नहीं दे सकता. चूंकि अश्लीलता से जुड़ा मुद्दा विवादों से भरा हुआ है.

आजकल तो स्मार्ट फोन (Smart Phone) और नेट का जमाना आ गया है और यूट्यूब (YouTube) पर अपलोड कर दे रहा है. भोजपुरी गीतों में ऐसे-ऐसे शब्दों का प्रयोग होने लग गया है जिसे हम बोल भी नहीं सकते.

फूहड़ गीत गा ही नहीं सकती देवी
इस संदर्भ में मैने देवी (Devi) के प्रोफेसर पिता डा. प्रमोद कुमार (Dr. Pramod Kumar) से छपरा (Chhapra) में बातचीत की. उन्होंने कहा कि देवी बहुत ही सुरूचिपूर्ण है, अतः वह फूहड़ और अश्लील गाने गा ही नहीं सकती.

कई बार वह स्टूडियो छोड़कर वापस आ जाती है यदि उसे गाने के बोल पसंद नहीं आते. देवी सिर्फ अपनी गायकी की मेरिट के बल पर लोेकप्रिय है. उसकी आवाज में ऐसा जादू है कि लोग बरबस आकृष्ट हो जाते हैं.


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कभी खुद समाप्त हो जायेगी अश्लीलता
देवी के बारे में यह बताना जरूरी है कि वह केवल भोजपुरी ही नहीं, हिन्दी गीतों को भी बखूबी गाती है. देवी में हम परम्परा और आधुनिकता दोनों को देख सकते हैं. रही बात भोजपुरी में अश्लीलता की, तो वह खुद समाप्त हो जायेगी. स्थायित्व सिर्फ कला की होती है.

देवी के पिता की बातों पर यकीन किया जाय तो हम ऐसी आशा कर सकते हैं कि भोजपुरी गीतों में अवश्य सुधार होगा और अश्लीलता की सही जगह कूड़ेदान होगी.

अश्लीलता फैलानेवाले आ जाते हैं आगे
एक विडम्बना यह भी है कि जब भी फिल्मों से अश्लीलता को हटाने की लहर उठती है, अश्लील गानें वाले भी आगे आकर अश्लीलता के विरुद्ध वक्तव्य देने लग जाते हैं. जिन्होंने स्वयं भोजपुरी को अश्लीलता से कलंकित किया वे ही ज्यादा मुखर हो उठते हैं.

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