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तो यह है ‘विधायक पति’ होने का परमसुख!

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विशेष प्रतिनिधि
26 जुलाई, 2022

PATNA : सचमुच राजनीति (Politics) इन दिनों भरोसे के भीषण संकट से गुजर रही है. कौन अपना और कौन पराया. भरोसे का यह रिश्ता कब खत्म (End) हो गया, पता ही नहीं चला. एक सज्जन ने बड़ी मेहनत से घरवाली के लिए टिकट (Ticket) का जुगाड़ किया. जीवन भर के संचित धन का उपयोग कर मैडम (Madam) को सदन में भेज दिया. वह खुशी से फूले नहीं समा रहे थे. मैडम का शुरुआती व्यवहार उनकी खुशी को बढ़ाने वाला ही रहा. लेकिन, जैसे-जैसे मैडम घरेलू माहौल से निकल कर राजनीति (Politics) में रमण करने लगी, उनके व्यवहार में बदलाव परिलक्षित होने लगा. चुनाव (Election) जीतने के तुरंत बाद का दौर था. समर्थक मुलाकात के लिए आते थे. खुशामद में मैडम के बदले पतिदेव को ही विधायकजी (Vidhayakjee) कहकर संबोधित करते थे. पतिदेव को यह संबोधन अच्छा लगता था.


घर से मैडम दनदनाती हुई आयी. मुलाकातियों को कसकर हड़काया-‘शरम नहीं आती है. विधायक हम हैं. आपलोग इन्हें विधायकजी कहते हैं. किसी काम से मेरे पास आइयेगा. मुंह न झड़का दिये तो कहियेगा.’


दनदनाती हुई आयीं मैडम 
गांव-घर का माहौल, वहां मुखिया के पति को ही मुखिया (Mukhiya) कहने का रिवाज अभी तक चल रहा है. अपने बारे में विधायकजी का संबोधन पतिदेव को अच्छा लग रहा था. उन्हें पता नहीं चला कि जनता के इस संबोधन से मैडम (Madam) का खून जला जा रहा है. गांव वाले घर पर आम दिनों की तरह बैठकी लगी थी. कई लोग बैठे थे. पतिदेव ने उन सबके लिए चाय बनाने का आदेश दिया था. लोग चाय (Tea) का इंतजार कर रहे थे. चाय नहीं आयी. घर से मैडम दनदनाती (Dandanati) हुई आयी. मुलाकातियों को कसकर हड़काया-‘शरम नहीं आती है. विधायक (MLA) हम हैं. आपलोग इन्हें विधायकजी कहते हैं. किसी काम से मेरे पास आइयेगा. मुंह न झड़का दिये तो कहियेगा.’ लोगों को तो लगा कि मानों काटो तो खून नहीं. चाय (Tea) का इंतजार कौन करता. सबके सब इज्जत बचाकर भाग गये.


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इज्जत बचा कर भागे 
मामला इतने पर ही ठंडा नहीं हुआ. मैडम (Madam) ने लगे हाथ पतिदेव (Patideo) को भी हड़का दिया. गनीमत यह रही कि पतिदेव को हड़काने का कार्यक्रम उस समय हुआ, जब सभी मुलाकाती चले गये थे. अगला किस्सा और भी मजेददार (Majedar) है. मैडम की डांट खाते समय ही पतिदेव ने संकल्प लिया कि अब वह एमपी (MP) बन कर दिखा देंगे. वह विधायक (MLA) बनकर इतरा रही हैं तो हम एमपी बनकर दिखा देंगे. पतिदेव ने इस संकल्प (Sankalp) को पूरा करने में ज्यादा देर नहीं लगाया. वह उसी क्षण से एमपी बनने की मुहिम में जुट गये हैं. उनके भाग्य को दोष दीजिये. उनकी योजना की भनक मैडम को लग गयी.

कोहराम मचा है इलाके में 
नयी और एकदम से ताजी खबर यह है कि वह भी एमपी बनने की तैयारी में जुट गयी हैं. इलाके में कोहराम (Kohram) मचा हुआ है. शुभचिंतक डरे हुए हैं. डर इस बात का सता रहा है कि एमपी बनने के चक्कर में कहीं परिवार (Pariwar) से विधायक का पद भी न निकल जाये. खैर, लोकसभा (Parliyament) चुनाव में अभी वक्त है. लेकिन, मैडम का रूख देखकर इलाके के ऐसे पति सावधान हो गये हैं, जिनके मन में कुछ दिन पहले तक अपनी मैडमों को विधायक (MLA) बनाने का सपना पलने लगा था. वाजिब बात है भाई. कोई आदमी जलील (Jaleel) होने के लिए अपनी मैडम को विधायक क्यों बनायेगा?

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