कुढ़नी उपचुनाव : भाजपा को याद आयी कहानी फिर बोचहां की
विभेष त्रिवेदी
11 नवम्बर, 2022
MUZAFFARPUR : भाजपा के लिए एक अवसर है. लेकिन, दुर्भाग्यवश भाजपाइयों को यह बड़ा संकट नजर आ रहा है. विधानसभा (Vidhan Sabha) का उपचुनाव आमतौर पर सत्ताधारी दल के लिए चुनौती और विपक्ष के लिए मौका होता है. उपचुनावों में विपक्षी दल बड़ी आसानी से सत्तारूढ़ दल को पटखनी देते रहे हैं. परन्तु, बिहार (Bihar) में विपक्ष में होते हुए भी भाजपा (BJP) के रणनीतिकारों के हाथ-पांव फूल रहे हैं. गोपालगंज (Gopalganj) की कामयाबी के बावजूद सिलसिला बनाये रखने का भरोसा नहीं जम रहा है. कारण कि पटना (Patna) से दिल्ली (Delhi) तक जिन मंत्री, सांसद व पार्टी पदाधिकारियों का दबदबा है, उनमें से अधिसंख्य चुनाव में वोट ट्रांसफर कराने की कूबत नहीं रखते. मुजफ्फरपुर में सात-आठ महीने के अंदर दूसरे उपचुनाव (By Election) में उन महारथियों की अग्निपरीक्षा होने वाली है. अप्रैल 2022 में बोचहां (Bochaha) उपचुनाव में राजद (RJD) उम्मीदवार अमर पासवान ने प्रदेश भाजपा की महामंत्री एवं पूर्व विधायक बेबी कुमारी (Bebi Kumari) को 36 हजार 863 मतों के भारी अंतर से करारी मात दी.
हार की मिट्टी भी नहीं झाड़ पायी कि…
अब कुढ़नी (Kurhani) विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव की नौबत आ गयी है. अदालत (Court) के फैसले के आलोक में कुढ़नी के राजद विधायक अनिल सहनी (Anil Sahani) की सदस्यता खत्म हो गयी है. बोचहां उपचुनाव के समय जदयू (JDU) भी भाजपा के साथ था. दो उपमुख्यमंत्रियों, केंद्र व राज्य सरकार के मंत्रियों, दो दर्जन सांसद-विधायकों की फौज उतार देने के बावजूद भाजपा राजद की प्रचंड जीत को रोक नहीं पायी. जबकि सरकार (Government) अपनी थी. पटखनी खा चुके भाजपाई हार की मिट्टी भी नहीं झाड़ पाये कि उन्हें अगली जंग में उतरना पड़ रहा है. कल का भाई जदयू आज बड़े दुश्मन की भूमिका में तीर तानकर खड़ा है. भाजपाइयों को अभी की बेचारगी को देख राजनीतिक विश्लेषक कह उठते हैं – ‘बोचहां, फिर तेरी कहानी याद आयी.’
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खतरे की घंटी
कुढ़नी का उपचुनाव भाजपा (BJP) उम्मीदवार के भाग्य का फैसला तो करेगा ही, मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) के सांसद अजय निषाद (Ajay Nishad), प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल (Dr. Sanjay Jaiswal) और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय (Nityanand Ray) का राजनीतिक भविष्य भी तय कर देगा. एक सांसद के निर्वाचन क्षेत्र में उसकी पार्टी सात-आठ महीने में दो उपचुनाव हार जाये, तो यह उनके लिए खतरे की घंटी ही मानी जायेगी. बोचहां में भाजपा के परंपरागत वोटरों में प्रदेश महामंत्री बेबी कुमारी से नाराजगी तो थी ही, लोगों ने केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं क्षेत्रीय सांसद अजय निषाद तथा राज्य के तत्कालीन मंत्री रामसूरत राय (Ramsurat Ray) को सबक सिखाने के लिए मतदान किया था.
भगवान ही बचा पायेंगे
सांसद की हैसियत का आलम यह था कि सजातीय मतदाता (Voter) तक उनकी बात सुनने को तैयार नहीं थे. वह सामाजिक समूहों में चुनाव प्रचार की खानापूर्ति करते रहे. मल्लाह मतदाताओं ने मुकेश सहनी (Mukesh Sahani) की विकासशील इंसान पार्टी का खुलकर साथ दिया. इसके मद्देनजर अजय निषाद (Ajay Nishad) के समर्थकों का कहना है कि जो सांसद दो उपचुनावों में पार्टी की लाज नहीं बचा सकता, उसे तो भगवान (God) ही बचा सकते हैं. ऐसी स्थिति में राजद (RJD) ने कुढ़नी में फिर मल्लाह जाति से ही उम्मीदवार बनाया तो भाजपा (BJP) को नाकों चने चबाना पड़ जा सकता है. अजय निषाद इस उपचुनाव में भी स्वजातीय वोट ट्रांसफर कराने में विफल रहे, तो 2024 के संसदीय चुनाव में उनकी दावेदारी खुद-ब-खुद बेहद कमजोर हो जायेगी.
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