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क्यों हाथ जोड़ने व पांव छूने लगे हैं…?

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विशेष प्रतिनिधि
29 नवम्बर, 2022

PATNA : यूं ही कोई सुशासन बाबू नहीं बन जाता. जो सो आदमी सुशासन बाबू बन पाता तो इस देश में अनगिनत सुशासन बाबू हो गये होते. अनगिनत नहीं बने. एक पीस बने और वह बिहार (Bihar) को ही मिले. अब अगली तैयारी उन्हें देश का सुशासन बाबू बनाने की है. माने कि नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) की जगह नयी दिल्ली (New Delhi) में गद्दी पर बैठेंगे. पूरे देश में सुशासन की लहर पैदा कर देंगे. यह सुविचार उनके शुभचिन्तकों के मन में है. बात-बात पर झल्लाने और झिड़कने की जगह हर कोई के सामने हाथ जोड़ने और पांव छूने के नये ‘संस्कार’ को उसी से जोड़कर देख रहे हैं.


एक बार तो यहां तक कह दिया था कि जिस कुर्सी पर राबड़ी देवी बैठ गयी हैं, उस कुर्सी पर भला हम कैसे बैठेंगे. उस कुर्सी पर बैठने के लिए उन्होंने क्या-क्या नहीं किया, राज्य के लोगों ने देखा और आज भी देख रहे हैं.


खुद करते हैं इनकार
खुद सुशासन बाबू इनकार करते हैं. कुछ लजा कर और उससे भी अधिक सकुचा कर कहते हैं कि उनके मन में ऐसी कोई इच्छा नहीं है. जबकि भाजपा (BJP) वाले बता रहे हैं कि उनके मन में राष्ट्रपति (President) बनने का ख्याल आया था. उसमें सफलता नहीं मिली तो उपराष्ट्रपति (Vice President) बनने के लिए भी राजी हो गये थे. भाजपा ने उपराष्ट्रपति बनाने से भी इनकार कर दिया. एक समय में उनके बेहद करीबी रहे भगवानजी (Bhagwanji) भविष्यवाणी कर चुके हैं कि इस जनम में क्या अगले सात जनम में भी सुशासन बाबू दिल्ली की गद्दी पर नहीं बैठ सकते हैं. आगे क्या होगा, देश की जनता (Janta) जाने. फिर भी सुशासन बाबू की प्रधानमंत्री (Prime Minister) बनने की ना में कोई आदमी हां सुन सकता है. इतिहास (History) यही बता रहा है कि पद पाने को लेकर जब कभी सुशासन बाबू ने ना कहा, उसका वास्तविक उत्तर हां में ही आया. एक समय मुख्यमंत्री (Chief Minister) बनने के सवाल पर भी वह इसी तरह सकुचा जाते थे.


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वे ना कहें तो हां मानें
एक बार तो यहां तक कह दिया था कि जिस कुर्सी पर राबड़ी देवी (Rabri Devi) बैठ गयी हैं, उस कुर्सी (Chair) पर भला हम कैसे बैठेंगे. उस कुर्सी पर बैठने के लिए उन्होंने क्या-क्या नहीं किया, राज्य के लोगों ने देखा और आज भी देख रहे हैं. एक बार तैश में बोल गये कि मिट्टी में मिल जायेंगे, लेकिन भाजपा (BJP) से समझौता नहीं करेंगे. बिना मिट्टी में मिले भाजपा से जोरदार समझौता कर लिया. राजद (RJD) से अलग होने के बाद भी राजद ने फिर मिलने के बारे में ऐसा ही कहा था कि अब राजद से दोस्ती नहीं करेंगे. दोस्ती (Friendship) इतनी तगड़ी हुई कि उसी के दम पर प्रधानमंत्री बनने तक का सपना देखने लगे हैं. इस तरह के ना में हां वाले कितने उदाहरण हैं.

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