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मुंगेर-जमुई सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक : ललन सिंह चाहते हैं उनकी हार!

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राजकिशोर सिंह
08 अप्रैल 2023

LAKHISARAI : पंचायत चुनाव में मनमाफिक कामयाबी नहीं मिलने का गम गिला नहीं हुआ कि विधान परिषद के चुनाव में भारी पराजय की शर्मिंदगी झेलनी पड़ गयी. पूरी ताकत झोंकने के बाद भी उनके उम्मीदवार (Candidate) को मुंह की खानी पड़ गयी. प्रतिष्ठा अब मुंगेर-जमुई सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक (Munger-Jamui Central Co-Operative Bank) के अध्यक्ष पद के चुनाव में फंसी हुई है. सरसरी तौर पर ऐसा कहा जा सकता है. पर, हकीकत यह है कि इस चुनाव (Election) में उन्होंने ‘चित भी मेरी, पट भी मेरी’ की रणनीति अपना रखी है. हालांकि, यह कोई नयी बात नहीं है. लखीसराय की राजनीति (Politics) में उनका ऐसा ही चरित्र दिखता रहा है. हैरान करने वाली बात यह अवश्य है कि इस रणनीति से पीड़ित व प्रभावित व्यक्ति की ‘भक्ति’ में कोई फर्क नहीं पड़ता है. पूर्व की तरह ‘दंडवत’ ही रहता है. पंचायत चुनाव (Panchayat Election) और फिर विधान परिषद के चुनाव परिणामों के बाद के हालात पर गौर करें तो अनेक स्थानीय नेताओं की ऐसी ही रीढ़विहीनता नजर आयेगी. मुंगेर-जमुई सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष पद के लिए चार उम्मीदवार हैं. प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तीन उनके ही ‘कुनबे’ के हैं. ऐसे में जीत-हार को क्या माना जायेगा?

थोड़ी बात अतीत की
बात मुंगेर-जमुई सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक की, तो पहले थोड़ा इसका अतीत जान लें. इस बैंक (Bank) का दायरा सिर्फ मुंगेर (Munger) और जमुई (Jamui) जिलों तक सिमटा नहीं है, लखीसराय (Lakhisarai) और शेखपुरा (Sheikhpura) भी इसके क्षेत्राधिकार में हैं. रामगुलाम शर्मा (Ramgulam Sharma) इसके संस्थापक अध्यक्ष और जगलाल महतो (Jaglal Mahto) अवैतनिक मंत्री हुआ करते थे. बाद के वर्षों में इसकी राजनीति मुख्य रूप सेे लखीसराय में केन्द्रित हो गयी. उस दौर में इस राजनीति पर पिपरिया निवासी (वर्तमान में लखीसराय वासी) पूर्व अध्यक्ष शैलेन्द्र कुमार (Shailendra Kumar) के पिता जगदेव राय (Jagdeo Ray) का दबदबा था.1971 से 1988 तक वह बैंक के अवैतनिक मंत्री रहे. उस कालखंड में शेखपुरा के जगन्नाथ सिंह (Jagnnath Singh) अध्यक्ष हुआ करते थे. तब ‘प्रशासनिक शक्ति’ अवैतनिक मंत्री को हासिल थी. अब वह शक्ति प्रबंध निदेशक को प्राप्त है. यह बदलाव 1988 में आया. हालांकि, उस बदलाव के बाद 14 वर्षों तक राज्य के सभी सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक अवक्रमित रहे.

शैलेन्द्र कुमार के बाद विनोद सिंह
प्रबंध निदेशकीय व्यवस्था में पहला चुनाव 2003 में हुआ. शैलन्द्र कुमार (Shailendra Kumar) को थोड़ी भिन्नता के साथ पिता की विरासत संभालने का अवसर मिल गया. वह मुंगेर-जमुई सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित हो गये. उपाध्यक्ष पद पर चुनचुन सिंह की जीत हुई. शैलेन्द्र कुमार 2011 तक अध्यक्ष पद पर रहे. यानी 2008 में भी उनकी जीत हुई. 2011 के बाद दो वर्षों तक राज्य के तमाम सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक अवक्रमित रहे. 2013 में अध्यक्ष पद के चुनाव का नया कानून लागू हुआ. शहरी क्षेत्र के पैक्स (PACS) अध्यक्ष को सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर दिया गया. शैलेन्द्र कुमार लखीसराय से पैक्स अध्यक्ष थे, इसलिए को-ऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ पाये. उस चुनाव में लखीसराय के लोदिया निवासी विनोद सिंह की जीत हुई. लेकिन, साल भर भी वह इस पद पर नहीं रह पाये. पैक्स में गबन के एक मामले में तत्कालीन जिला सहकारिता पदाधिकारी मनोज कुमार शर्मा (Manoj Kumar Sharma) के साथ जेेल गये और उसके साथ ही अध्यक्ष पद से रूखसती हो गयी. छह वर्षों तक चुनाव लड़ने के अयोग्य भी करार दिये गये.

फिर मैदान में हैं मिंटू देवी
2014 में नये अध्यक्ष का चुनाव हुआ. जमुई जिले के सिकंदरा (Sikandra) थाना क्षेत्र के गोखला गांव निवासी गौरीशंकर सिंह (Gauri Shankar Singh) अध्यक्ष निर्वाचित हुए. विनोद सिंह (Vinod Singh) सहकारी क्षेत्र के दिग्गज नेता रहे पूर्व सांसद स्वर्गीय राजो सिंह (Rajo Singh) के भांजा हैं. इस लिहाज से बरबीघा के जदयू विधायक सुदर्शन कुमार (Sudarshan Kumar) के रिश्ते में चाचा हैं. सुदर्शन कुमार स्वर्गीय राजो सिंह के पोता हैं. सहकारिता के क्षेत्र में विनोद सिंह के पिता चुनचुन सिंह (Chunchun Singh) का भी खूब नाम था. उनकी उस विरासत को विनोद सिंह और उनके भाई विपिन सिंह (Vipin singh) संभाल रहे हैं. 2013 में चूक गये शैलेन्द्र कुमार 2018 में खावा-झपानी से पैक्स अध्यक्ष बन को-ऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष पद के चुनाव में कूद गये. उस चुनाव में विनोद सिंह की पत्नी मिंटू देवी (Mintu Devi) उम्मीदवार थीं. शैलेन्द्र कुमार मुकाबला नहीं कर पाये. 13 मतों के मामूली अंतर से मात खा गये. मिंटू देवी इस बार भी भाग्य आजमा रही हैं. शैलेन्द्र कुमार (Shailendra Kumar) संशोधित कानून के अनुरूप चुनाव नहीं होने के कारण इससे अलग हैं.

बाना भांज रहे नुनू बाबू
पहले इस चुनाव की इतनी चर्चा नहीं होती थी. इस बार कुछ अधिक हो रही है. लगभग 23 साल पुराने मामलेे में विनोद सिंह की गिरफ्तारी और लखीसराय जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष रामशंकर शर्मा उर्फ नुनू बाबू (Ramshankar Sharma urf Nunu Babu) के सक्रिय हो जाने की वजह से. रामशंकर शर्मा उर्फ नुनू बाबू के भतीजा रंजन सिंह (Ranjan Singh) अध्यक्ष पद के उम्मीदवार हैं. वह पिपरिया प्रखंड की मोहनपुर पंचायत के पैक्स अध्यक्ष हैं. पहले इस पंचायत के मुखिया थे. उनके भाई रौशन सिंह (Raushan Singh) पैेक्स अध्यक्ष हुआ करते थे. 2014 में मुंगेर-जमुई सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़े थे. अच्छी संख्या में मत भी मिले थे. बाद में पैक्स में गबन के एक मामले में फंस जाने से चुनाव से अलग हो गये. वर्तमान में चुनाव रंजन सिंह लड़ रहे हैं, पर कमान रामशंकर शर्मा उर्फ नुनू बाबू ने संभाल रखी है. पूर्व विधान पार्षद संजय प्रसाद (Sanjay Prasad) भी उनके साथ पसीना बहा रहे हैं. इससे आमलोगों में यह समझ बन रही है कि क्षेत्रीय सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह (Lalan Singh) की भी इसमें रुचि है. कथित रूप से वह विनोद सिंह की हार चाहते हैं. कारण विधान परिषद के चुनाव में उनके उम्मीदवार का समर्थन नहीं कर, राजद प्रत्याशी अजय कुमार सिंह (Ajay Kumar Singh) का साथ देना माना जाता है. विनोद सिंह की हाल में हुई गिरफ्तारी को भी उसी से जोड़कर देखा जा रहा है. हालांकि, गिरफ्तारी के दूसरे-तीसरे दिन ही उन्हें जमानत मिल गयी और वह जेल से बाहर आ गये.


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प्रह्लाद यादव की भूमिका
10 वर्षों तक बैंक के निदेशक रहे उरैन निवासी सुबोध कुमार (Subodh Kumar) इस बार अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहे हैं. जदयू के नेता हैं और ललन सिंह से जुड़े हुए हैं. अध्यक्ष पद के चौथे उम्मीदवार नीलेश कुमार (Nilesh Kumar) 2014 में उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए थे. वह तारापुर के कमरगामा गांव के रहने वाले हैं. पूर्व मंत्री स्वर्गीय मेवालाल चौधरी (Mevalal Chaudhary) के परिवार से हैं. सूर्यगढ़ा के राजद विधायक प्रह्लाद यादव (Prahlad Yadav) भी पूर्व की तरह इसमें गहरी रुचि ले रहे हैं. उनका खुला समर्थन विनोद सिंह की पत्नी मिंटू देवी को प्राप्त है. राजद (RJD) के विधान पार्षद अजय कुमार सिंह का भी. 2018 में विनोद सिंह का तालमेल उपाध्यक्ष पद के गिद्धौर निवासी उम्मीदवार दिनेश सिंह (Dinesh Singh) से हुआ था. जीत दोनों की हुई थी. दिनेश सिंह पूर्व मंत्री स्वर्गीय दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) के परिवार से आते हैं. चर्चा है कि प्रह्लाद यादव ने इस बार दिनेश सिंह की जगह सिमुलतला (जमुई) के उपाध्यक्ष पद के उम्मीदवार श्रीकांत यादव (Shrikant Yadav) से विनोद सिंह का गठजोड़ करा दिया हैे.

यह क्या दर्शाता है?
लखीसराय की राजनीति में ललन सिंह और प्रह्लाद यादव एक दूसरे के पूरक माने जाते हैं. यहां समझने वाली बात है कि प्रह्लाद यादव खुले रूप में विनोद सिंह (मिंटू देवी) की नैया पार लगाते दिख रहे हैं तो ललन सिंह के तथाकथित स्थानीय मुख्य सिपहसालार रामशंकर शर्मा उर्फ नुनू बाबू ने मिंटू देवी के खिलाफ अपने भतीजे को मैदान में उतार रखा है. यह क्या दर्शाता है? 12 अप्रैल 2023 को अध्यक्ष के साथ उपाध्यक्ष और 11 निदेशकों का चुनाव होना है. परिणाम (Result) भी उसी दिन आ जायेंगे. पैक्स (PACS) और व्यापार मंडलों के अध्यक्ष इसके मतदाता होते हैं. कुल 436 मतदाता हैं. वोट 410 ही देंगे. उनमें ब्रह्मर्षि समाज के मतों की संख्या 132 है. 80 मत यादव समाज के हैं. 90 धानुक-कुर्मी- कोइरी समाज के. शेष अन्य जातियों के हैं. बहरहाल, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पदों के चुनाव के जो परिदृश्य उभर रहे हैं उसमें विनोद सिंह (मिंटू देवी) की मुस्कान खिल जाये, तो वह अचरज की कोई बात नहीं होगी.

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