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मधेपुरा वीडियो प्रकरण : ‘कारण बताओ’ की ‘पुड़िया’ में बंध गया मामला

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मधेपुरा के बहुचर्चित वीडियो प्रकरण ने हर समझदार को झकझोर दिया था. लोग हैरान रह गये कि ऐसा पुलिस महकमे में भी होता है! हैरानी इस बात पर भी हुई कि सरकार और पुलिस मुख्यालय ने महकमे को शर्मसार करनेवाले इस मामले में गंभीरता नहीं दिखायी. ऐसा क्यों? चार किस्तों के इस आलेख में इसी ‘क्यों’ की पड़ताल की गयी है. प्रस्तुत है प्रथम अंश :


शिवकुमार राय
18 अप्रैल, 2023

MADHEPURA : कोई उम्मीद बर नहीं आती / कोई सूरत नजर नहीं आती /… काबा किस मुंह से जाओगे ‘गालिब’/ शर्म तुमको मगर नहीं आती. मधेपुरा पुलिस (Police) से जुड़ा बहुचर्चित वीडियो प्रकरण मिर्जा गालिब (Mirza Ghalib) के इस शेर को बरबश जुबां पर ला देता है. मामला थोड़ा पुराना अवश्य है, पर संबंधित सवालों के अनसुलझे रहने के कारण इसकी प्रासंगिकता व पाठकीयता बची हुई है. इसकी गंभीरता को इस रूप में सहज समझा जा सकता है कि उस वक्त सहरसा (Saharsa) और मधेपुरा के पुलिस महकमे में फंसने-फंसाने का जो घिनौना खेल हुआ, खुले एवं छिपे रूप में जो बातें कही-सुनी गयीं और पूरे महकमे को शर्मसार करने वाले इस प्रकरण में पुलिस मुख्यालय का जो नकारात्मक रुख रहा उससे इस धारणा को मजबूती मिली कि उसने इसमें तनिक भी संजीदगी नहीं दिखायी. खाकी वर्दी को खाक में मिलाने का प्रयास करने वाले पुलिस अधिकारियों के आपत्तिजनक आचरण को नजरंदाज कर दिया.

मुंह नहीं खुला मुख्यमंत्री का
लोगों को हैरानी इस बात पर भी हुई कि बिहार पुलिस (Bihar Police) के इतिहास में कलंक का अध्याय जुड़ने के मामले पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने मुंह नहीं खोला. पुलिस मुख्यालय ने कोशी प्रक्षेत्र के पुलिस उपमहानिरीक्षक की कार्रवाई की अनुशंसा को ‘कारण बताओ’ की ‘पुड़िया’ में बांध छोड़ दिया. महकमे ने महसूस किया कि तत्कालीन पुलिस महानिदेशक संजीव कुमार सिंघल (S K Singhal) ने इस मामले में आंखें मूंद ली. उनकी सेवानिवृत्ति के बाद कमान संभाल रहे कड़क मिजाज अधिकारी राजविन्दर सिंह भट्टी (R S Bhatti) से जगी कार्रवाई की उम्मीद भी काफूर हो गयी है. इस रूप में कि इधर हुए सामूहिक तबादले में भी इन आरोपित अधिकारियों का नाम नहीं जुड़ा.‘कलंक कथा’ के कथित किरदारों का बाल बांका नहीं हुआ. अपने-अपने पद पर विराजमान सभी पुलिस मुख्यालय का मुंह चिढ़ा रहे हैं. सवाल उठना स्वाभाविक है कि यह आजादी उन्हें क्यों और कैसे मिली हुई है?

अप्रत्याशित नहीं
बिहार की वर्तमान सत्ता राजनीति में इसे अप्रत्याशित नहीं कहा जा सकता. कारण कि इस शर्मनाक खेल के पीछे जो मानसिकता थी, उससे अलग सत्ता की राजनीति (Politics) की नहीं है. सामान्य समझ है कि ऐसी ही मानसिकता में संपूर्ण पुलिस महकमा स्पष्ट तौर पर दो धाराओं में बंटा है. इसका सीधा और गहरा असर विधि-व्यवस्था संधारण पर पड़ रहा है. सत्ता शीर्ष स्वीकार नहीं करेगा, पर विश्लेषकों की समझ में हकीकत यही है. वैसे, यह स्थिति आज पैदा हुई है, वैसी बात भी नहीं. दीर्घकाल से बनी हुई है. लालू प्रसाद (Lalu Prasad) के सामाजिक न्याय की राजनीति में इस मानसिकता को तीक्ष्णता-तिक्तता मिली. परिणाम ‘जंगल राज’ के विस्तार के रूप में सामने आया. प्रारंभिक सफलता के बाद नीतीश कुमार के ‘कानून का राज’ में आये भटकाव के मूल में भी यही है. अब तो ‘कानून का राज’ की कथित नाकामयाबी के गर्भ से ‘जनता राज’ निकल आया है! ‘जनता राज’ की बात किसी और ने नहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही कही है. मतलब घुमा फिरा कर ‘कानून का राज’ की विफलता को वह भी स्वीकार कर रहे हैं!


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तीन महिलाओं की भूमिका
पहले यह जान लें कि वीडियो प्रकरण है क्या? यह मधेपुरा से पुलिस अधीक्षक के सरकारी मोबाइल फोन की चोरी, सहरसा से उसकी बरामदगी और उससे जुड़ी कॉल गर्ल की कहानी है, जिसने सिर्फ पुलिस को ही नहीं, सरकार (Government) को भी शर्मसार कर दिया. शुरू में जो बातें चर्चा में आयी थीं उसके मुताबिक इसमें तीन महिलाओं की भूमिका दिखी थी. मुख्य भूमिका कॉल गर्ल (Call Girl) सप्लाई करने वाली उस दबंग महिला की बतायी गयी, जिसे ऐसे धंधे में खुले रूप में अपनी संलिप्तता स्वीकार करने में थोड़ी भी शर्म नहीं आयी. उस महिला का असली नाम क्या है, यह नहीं मालूम. लेकिन, वह रीना देवी उर्फ मुन्नी देवी (Rina Devi urf Munni Devi) के नाम से जानी जाती है. मूल निवासी कहां की है, यह भी किसी को नहीं पता. वैसे, अस्थायी तौर पर वह सहरसा के गंगजला (Gangjala) मुहल्ले में रहती थी. इस मुहल्ले में कई प्रतिष्ठित लोगों का भी वास है. ऐसी चर्चा है कि उक्त दबंग महिला के गोरखधंधे का फैलाव मधेपुरा, सहरसा और सुपौल (Supaul) तक था. इन शहरों के बदनाम होटलों तक बेधड़क पहुंच थी. मांग के हिसाब से कोशी क्षेत्र के बाहर भी आपूर्ति करती थी, ऐसा कहा गया. वीडियो प्रकरण में उसकी गिरफ्तारी हुई थी. बाद में जमानत पर बाहर आ गयी. अभी वह कहां है, क्या कर रही है यह नहीं मालूम.

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