तापमान लाइव

ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल

मधेपुरा वीडियो प्रकरण : खुलासे के बाद भी नहीं खुला रहस्य!

शेयर करें:

मधेपुरा के बहुचर्चित वीडियो प्रकरण ने हर समझदार को झकझोर दिया था. लोग हैरान रह गये कि ऐसा पुलिस महकमे में भी होता है! हैरानी इस बात पर भी हुई कि सरकार और पुलिस मुख्यालय ने महकमे को शर्मसार करनेवाले इस मामले में गंभीरता नहीं दिखायी. ऐसा क्यों? चार किस्तों के इस आलेख में इसी ‘क्यों’ की पड़ताल की गयी है. प्रस्तुत है दूसरा अंश :


शिवकुमार राय
19 अप्रैल, 2023

MADHEPURA : पुलिस अधीक्षक के मोबाइल फोन की चोरी मधेपुरा के पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय) अमरकांत चौबे (Amarkant Chaubey) के आवास से हुई. आवास से ही चोरी हुई या कहीं और से, आवास से चोरी हुई तो किसने की और कैसे की, पुलिस (Police) के खुलासे के बाद भी इस रहस्य से धुंध पूरी तरह छंटी नहीं है. कॉल गर्ल सप्लाई करने वाली महिला ने खुले तौर पर कहा था कि मोबाइल (Mobile) फोन की चोरी उस कॉल गर्ल ने की जिसे वह कथित रूप से पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय) के आवास पर भेजती थी. तय रकम नहीं मिलने पर उसने शयन कक्ष में तकिया के नीचे रखे मोबाइल फोन की चोरी कर ली. कोशी प्रक्षेत्र के पुलिस उपमहानिरीक्षक शिवदीप वामन लांडे (Shivdeep Vaman Lande) ने उस महिला की बातों को बकवास और आधारहीन बता पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय) अमरकांत चौबे के चरित्र को बेदाग करार दिया. पूरे प्रकरण को सुनियोजित साजिश बताया. साजिश किसी और की नहीं, मधेपुरा (Madhepura) और सहरसा (Saharsa) के पुलिसकर्मियों की. हो सकता है यही सच हो. लेकिन, सवाल यहां यह है कि पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय) के आवास से मोबाइल फोन गायब कैसे हो गया? सहरसा के मीरा सिनेमा हॉल रोड में रहने वाली उस महिला के पास कैसे पहुंच गया जिसके यहां से बरामदगी हुई? ये दोनों सवाल अनुत्तरित हैं.


पुलिस उपमहानिरीक्षक शिवदीप लांडे ने प्रेस को जो जानकारी उपलब्ध करायी, उसके मुताबिक खुद को मधेपुरा सदर अस्पताल की नर्स बता रीना देवी उस मकान में किराये पर रहती थी. समय पर किराया नहीं देने के कारण मकान से उसे निकाल दिया गया था. चोरी के मामले में फंसाने के उद्देश्य से उसने उसी घर में मोबाइल फोन बेचा. हो सकता है ऐसा ही हुआ हो, पर सामान्य गले में यह आसानी से नहीं उतरता.


उसी घर में क्यों?
वैसे, महिला के परिजनों का कहना रहा कि चार-पांच दिन पहले पुरुषों की गैरमौजूदगी में रीना देवी (Reena Devi) घर पर आयी और बिल्कुल घरेलू परिवेश की घर की बहू से बच्चे की बीमारी का बहाना बना एक हजार रुपये में मोबाइल फोन बेच गयी. लोग यह जानना अवश्य चाहेंगे कि कॉल गर्ल सप्लायर महिला चोरी का मोबाइल फोन बेचने उसी घर में क्यों और कैसे पहुंच गयी? यह महज संयोग था या पहले से कोई जान-पहचान थी? पुलिस उपमहानिरीक्षक शिवदीप लांडे ने प्रेस को जो जानकारी उपलब्ध करायी, उसके मुताबिक खुद को मधेपुरा सदर अस्पताल (Hospital) की नर्स बता रीना देवी उस मकान में किराये पर रहती थी. समय पर किराया नहीं देने के कारण मकान से उसे निकाल दिया गया था. चोरी के मामले में फंसाने के उद्देश्य से उसने उसी घर में मोबाइल फोन बेचा. हो सकता है ऐसा ही हुआ हो, पर सामान्य गले में यह आसानी से नहीं उतरता.

कैसे लगी सुरक्षा में सेंध
पुलिस की ओर से ऐसा बताया गया कि किसी कॉल गर्ल ने नहीं, आरोप उछालने वाली दबंग महिला ने ही पुलिस उपाधीक्षक के आवास से मोबाइल फोन की चोरी की. पुलिस की इसी कहानी को सच माना जाये, तो क्या पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय) का आवास इतना असुरक्षित था कि एक बदनाम महिला ने वहां की सुरक्षा में सेंध लगा दी? पुलिस उपमहानिरीक्षक के बयान से तो ऐसा ही लगता है कि सुरक्षा का वहां कोई इंतजाम नहीं था. मुख्य दरवाजा रस्सी से बंधा रहता था. महिला आसानी से अंदर घुस मोबाइल फोन उठा ले गयी. पुलिस उपमहानिरीक्षक के इस खुलासे को चुनौती नहीं दी जा सकती. पर, आमलोगों की समझ में यह नहीं आया. पुलिस अधिकारी के घर में घुसने की हिम्मत दिखाने वाली महिला सिर्फ मोबाइल फोन ही चुरायेगी? मकसद सिर्फ यही रहा होगा तो वह अलग बात है.वैस, मोबाइल फोन की चोरी के कुछ और किस्से उससे जुड़े रहे हैं.


इन्हें भी पढ़ें :
मधेपुरा वीडियो प्रकरण : ‘कारण बताओ’ की ‘पुड़िया’ में बंध गया मामला
मोतिहारी : ‘सिर पर हाथ’ न रख दे ‘शातिर समाजसेवी’


चोरी हुई या कहीं गिर गया?
मधेपुरा के पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार (Rajesh Kumar) 21 से 31 अगस्त 2022 तक अवकाश पर थे. संभवतः निजी कार्य से दिल्ली गये थे. पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय) अमरकांत चौबे पुलिस अधीक्षक के प्रभार में थे. इस वजह से पुलिस अधीक्षक का सरकारी मोबाइल फोन उनके जिम्मे था. 22-23 अगस्त की रात में वह गायब हो गया और दबंग महिला के जरिये सहरसा के मीरा सिनेमा हॉल रोड (Mira Cenema Hall Road) की उक्त महिला के पास पहुंच गया. पुलिस उपाधीक्षक अमरकांत चौबे ने ऐसा जानबूझकर किया या उनसे चूक हो गयी, उन्होंने चोरी की प्राथमिकी दर्ज नहीं करा, सनहा दर्ज करा दिया. यानी जांच की जरूरत नहीं समझी. वैसे, उनका कहना रहा कि मोबाइल फोन की चोरी नहीं हुई थी, वह कहीं गिर गया था. सनहा इसी वजह से दर्ज कराया गया था. इसमें एक किस्सा इस रूप में जुड़ता है कि अमरकांत चौबे का एक अड्डा मधेपुरा सदर थाना के सामने जमता है. संभव है मोबाइल फोन उसी अड्डे पर छूट गया हो या फिर गिर गया हो. जो हो, इसकी विधिवत सूचना उन्होंने वरीय अधिकारियों को नहीं दी. कहते हैं कि पुलिस अधीक्षक के लिए उसी सिम के साथ नया मोबाइल फोन की व्यवस्था करा दी गयी.

अगली कड़ी
मधेपुरा वीडियो प्रकरण : डीआईजी पर भारी पड़ गये डीएसपी?

अपनी राय दें