मधेपुरा वीडियो प्रकरण : तो इसलिए नहीं हुई कार्रवाई?
मधेपुरा के बहुचर्चित वीडियो प्रकरण ने हर समझदार को झकझोर दिया था. लोग हैरान रह गये कि ऐसा पुलिस महकमे में भी होता है! हैरानी इस बात पर भी हुई कि सरकार और पुलिस मुख्यालय ने महकमे को शर्मसार करनेवाले इस मामले में गंभीरता नहीं दिखायी. ऐसा क्यों? चार किस्तों के इस आलेख में इसी ‘क्यों’ की पड़ताल की गयी है. प्रस्तुत है अंतिम अंश :
शिवकुमार राय
21 अप्रैल, 2023
MADHEPURA : ऐसा क्यों हुआ? इस बाबत कहा जाता है कि पुलिस (Police) महकमे में महत्व को लेकर अमरकांत चौबे (Amarkant Chaubey) और अजय नारायण यादव (Ajay Narayan Yadav) में घनघोर प्रतिद्वंद्विता थी. प्रतिद्वंद्विता को गहराई से जानने-समझने के लिए थोड़ा अतीत में जाना होगा. संजय कुमार (Sanjay Kumar) कभी मधेपुरा के पुलिस अधीक्षक (SP) हुआ करते थे. उसी दौरान अमरकांत चौबे की पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय) के रूप में पदस्थापना हुई थी. अमरकांत चौबे सिंहेश्वर और आलमनगर में थानाध्यक्ष रह चुके थे. अनुभव और इलाके की जानकारी के मद्देनजर पुलिस के कार्यों में उन्हें अधिक महत्व मिल रहा था. कहते हैं कि यह अजय नारायण यादव को नागवार गुजर रहा था. कुछ न कुछ वह मानसिकता भी थी, जिसकी चर्चा ऊपर की गयी है. अजय नारायण यादव से पहले उस पद पर वसी अहमद (Wasi Ahmad) थे. संजय कुमार की प्रोन्नति आरक्षी उपमहानिरीक्षक के पद पर हो गयी तब उनकी जगह योगेन्द्र कुमार (Yogendra Kumar) आये. कथित रूप से अमरकांत चौबे किनारे लगा दिये गये. महत्व अजय नारायण यादव का बढ़ गया. योगेन्द्र कुमार जब कभी अवकाश पर जाते थे तब प्रभार उन्हीं को सौंप जाते थे.
बदल गया फिर समीकरण
कुछ समय बाद योगेन्द्र कुमार का तबादला बेगूसराय (Begusarai) हो गया. यहां राजेश कुमार (Rajesh Kumar) की पदस्थापना हुई. समीकरण फिर बदल गया. अजय नारायण यादव की जगह अमरकांत चौबे महत्व पाने लग गये. यह सब तो चल ही रहा था, गणतंत्र दिवस पर अमरकांत चौबे को मिले उत्कृष्ट सेवा पुलिस पदक ने जलन की ज्वाला और बढ़ा दी. बहरहाल, इसका कोई सबूत नहीं है, पर चर्चा अवश्य है कि वीडियो प्रकरण में किसी न किसी रूप से यह प्रतिद्वंद्विता भी जुड़ी हुई है. दबंग महिला की स्वीकारोक्ति वाली जिस वायरल वीडियो (Viral Video) ने पुलिस महकमे की सांसें अटका दी थी, चतुर्दिक थू-थू होने लगी थी, बताया गया कि उसे सहरसा (Saharsa) के आदर्श सदर थाना में तैयार किया गया था. उसमें प्रभारी थानाध्यक्ष ब्रजेश कुमार चौहान (Brajesh Kumar Chauhan), टेक्निकल सेल में नियुक्त सिपाही अमर कुमार सिंह (Amar Kumar Singh), सिपाही अमरेन्द्र सिंह (Amrendra Singh) और महिला सिपाही इंदू कुमारी (Indu Kumari) की भूमिका थी.
थाना प्रभारी निलंबित
लोग कहते हैं कि इन सबके पुलिस उपाधीक्षक अजय नारायण यादव से अच्छे संबंध रहे हैं. इन्हीं के जरिये संबंधित वीडियो मधेपुरा पुलिस के टेक्निकल सेल (Technical Cell) के सिपाही धीरेन्द्र कुमार (Dhirendra Kumar) एवं प्रभात कुमार (Prabhat Kumar) को मिला. धीरेन्द्र कुमार ने उसे अजय नारायण यादव को उपलब्ध करा दिया. अनुमंडलाधिकारी कार्यालय में उनकी मौजूदगी में. वायरल वहीं से हुआ. संदेह स्वाभाविक है कि अमरकांत चौबे के आवास से मोबाइल फोन (Mobile Phone) की चोरी में भी उक्त पुलिस कर्मियों की किसी न किसी रूप में संलिप्तता रही होगी. पुलिस उपमहानिरीक्षक ने थानाध्यक्ष ब्रजेश कुमार चौहान (Brajesh Kumar Chauhan) समेत सभी छह पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया. जैसी कि चर्चा है, अमर कुमार सिंह (Amar Kumar Singh) इस साजिश के महत्वपूर्ण पात्र हैं. हैं तो सिपाही ही, पर ‘पावर’ बहुत रखते हैं.
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कैेसे होती कार्रवाई!
इस पूरे प्रकरण में कौन क्या किया क्या नहीं, यह जांच का विषय है. यहां यक्ष प्रश्न यह है कि दोनों पुलिस उपाधीक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की पुलिस उपमहानिरीक्षक की अनुशंसा को पुलिस मुख्यालय द्वारा नजरंदाज क्यों कर दिया गया? और कुछ नहीं, तो कम से कम दोनों को स्थानांतरित तो किया ही जा सकता था. वह भी नहीं हुआ. ऐसे में पुलिस उपमहानिरीक्षक का अपने महकमे में क्या महत्व रह गया, इसको आसानी से समझा जा सकता है. कार्रवाई क्यों नहीं हुई, इसका कारण राजनीतिक है, ऐसा लोग कहते हैं. मधुबनी (Madhubani) जिला निवासी पुलिस उपाधीक्षक अजय नारायण यादव की ऊर्जा मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव (Bijendra Prasad Yadav) से नजदीकी जुड़ाव है. मधेपुरा के जदयू सांसद दिनेश चन्द्र यादव (Dinesh Chandra Yadav) की भी वह पसंद हैं. संभवतः यही वह मुख्य आधार है कि वर्षों से कोशी क्षेत्र में ही जमे अजय नारायण यादव पर पुलिस उपमहानिरीक्षक की अनुशंसा का कोई असर नहीं पड़ा. जानकारों के मुताबिक अमरकांत चौब कैमूर (Kaimur) जिले के मोहनिया के रहने वाले हैं. उन्हें भी किसी बड़ी राजनीतिक (Political) हस्ती की सरपरस्ती हासिल रहने की बात कही जाती है.
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