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कभी इनकी भी तान थी सुरीली

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सत्येन्द्र मिश्र
07 मई 2023

MuMbai : वह भी एक जमाना था… नब्बे के दशक का जमाना. उस जमाने में कई ऐसे गायक-गायिका थे जिनके सुर इतने सुरीले थे कि लोग सुनने और गुनगुनाने के लिए बाध्य हो जाते थे. वैसी ही गायिकाओं में थीं अलीशा चिनॉय (Alisha Chinai). उनका पहला एल्बम ‘जादू’ 1985 में आया. श्रोताओं को रास नहीं आया. उन्हें लोकप्रियता ‘मेड इन इंडिया’(Made in India) से मिली. ऐसी कि हर संगीतप्रेमी की जुबां पर बैठ गयीं. फिर तो ‘क्वीन ऑफ इंडिपॉप’ के रूप में मशहूर हो गयीं. ‘काटे नहीं कटते’, ‘रुक-रुक-रुक’, ‘कजरारे’ और ‘डूबी डूबी’ आदि उनके कुछ सुपरहिट गाने हैं.

बना रखा था प्रशंसकों को दीवाना
‘दिल्ली मेरी जान, दिल्ली मेरी शान ’ से लोकप्रिय हुए पलास सेन हिन्दी रॉक के सरताज माने जाते हैं. वह पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने रॉक संगीत पर तबले और बांसुरी के साथ हिन्दी में गाया. आजकल वॉलीवुड से दूर-दूर रहने वाले पलास सेन (Plash sen)के ‘मायेरी’, ‘आना मेरी गली’, ‘धूम

फाल्गुनी पाठक

पिचक’ आदि ऐसे गाने हैं जिन्होंने प्रशंसकों को दिवाना बना रखा था. वे आज भी इन गानों को सुनते हैं. उन्हें इंडियन पॉप बैण्ड यूफोरिया के फाउंडर के रूप में जाना जाता है.

मैंनेे पायल है छनकाई…
फाल्गुनी पाठक (Falguni Pathak). नाम सुनते ही बॉय कट हेयर स्टाइल रखने वाली सिंगर का चेहरा सामने आ जाता है. उनकी पहचान खनक आवाज भी है. लोगों का तो यहां तक कहना है कि नब्बे के दशक में लड़कियों को प्यार करना फाल्गुनी पाठक ने ही सिखाया. ‘याद पिया की आने लगी’, ‘मैंने पायल है छनकाई’, ‘बोले जो कोयल बागों में’ और ‘ओ पिया’ जैसे उनके गानों का जलवा हमेशा बरकरार रहेगा.

शान की भी थी अपनी शान
सोनू निगम  (Sonu Nigam) भी उसी दौर के चर्चित गायक रहे हैं. कभी उनकी चर्चा सर्वश्रेष्ठ पार्श्व और पॉप गायक के रूप में होती थी. ‘संदेशे आते हैं’, ‘तुमसे मिलके दिल का’, ‘तेरा मिलना पल-दो पल का’, ‘दिवाना तेरा’, ‘चंदा की डोली’ और ‘इस कदर प्यार है तुमसे’ सोनू निगम के चर्चित गाने हैं,


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लोकप्रिय भी. सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार जीत चुके शान की भी अपनी शान रही है. मीठी आवाज के लिए वह संगीत प्रेमियों के दिलों पर राज करते हैं. ‘भूल जा’, ‘तन्हा दिल’, ‘चांद सिफारिश’, ‘कुछ तो हुआ है’, ‘जब से तेरे नैना’ गानों ने उन्हें लोकप्रिय बनाया.

पापा कहते हैं…
‘पापा कहते हैं बेटा बड़ा नाम करेगा…’ इस गाने को सुनते ही उदित नारायण (Udit Narayan) का चेहरा स्मृति पटल पर छा जाता है. ‘कुछ-कुछ होता है’, ‘पहला नशा’, ‘तू चीज बड़ी है मस्त-मस्त’, ‘मेंहदी लगा के रखना’ और ‘जादू तेरी नजर’ जैसे गानों को सुनकर यह आसानी से समझा जा सकता है कि नब्बे के दशक के बच्चे उदित नारायण की आवाज के दीवाने क्यों थे. गायक के तौर पर उदित नारायण ने तीन नेशनल अवार्ड और पांच फिल्म फेयर अवार्ड (Filmfare Awards) प्राप्त किये.

कभी पा लिया तो कभी खो दिया
चेहरे पर बड़ी सी बिंदी उषा उत्थुप (Usha Uthup) की पहचान है. उनके गानों के बीट्स आज के जमाने के लोगों को भी झूमने पर मजबूर कर देती है. ‘दिन है ना ये रात’, ‘कभी पा लिया तो कभी खो दिया’, ‘तू मुझे जान से भी प्यारा है’, ‘कोई यहां अहा नाचे नाचे’, ‘हरिओम हरि’, ‘उरी उरी बाबा’, ‘राजा की कहानी’, ‘इंडिया ये है इंडिया’ उषा उत्थुप के लोकप्रिय गाने हैं. अलका याज्ञनिक सुरों की मल्लिका क्यों हैं, इसका अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि वह सात फिल्म फेयर अवार्ड अपने नाम कर चुकी हैं. ‘अगर तुम साथ हो’, ‘टिप टिप बरसा पानी’, ‘बाजीगर ओ बाजीगर’, ‘परदेशी परदेशी’, ‘पूछो जरा पूछो’ उनके सुपरहिट गाने हैं.

कुमार शानू भी कम नहीं
ऐसे ही कई सुपरहिट गाने कुमार शानू (Kumar Shanu) के हैं. ‘अब तेरे बिन जी लेंगे हम’, ‘ये काली काली आंखें’, ‘एक लड़की को देखा तो’, ‘तुझे देखा तो ये जाना सनम’ आदि गानें कुमार शानू की याद दिलाते हैं. नब्बे के दशक के श्रेष्ठ पार्श्व गायकों में वह एक हैं. इन सबके अलावा कविता कृष्ण मूर्ति, अभिजीत भट्ठाचार्य, अनुराधा पौण्डवाल आदि के भी गाने खूब चर्चित हुए.

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