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दिलचस्प कथा है टोपी पहनने और पहनाने की

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विशेष प्रतिनिधि
18 मई 2023

PATNA : टोपी पहनाना मुहावरा है. शब्दकोष में इसे देखें तो दो बातें समझ में आयेगी. पहली-बेवकूफ बनाना. दूसरी-झांसा देना. राजनीति की दुनिया में देखें तो इसका अर्थ बदलता दिखेगा. लेकिन, टोपी पहनने और पहनाने वाले के भाव की व्याख्या करें तो अंततः मुहावरे की बात ही समझ में आयेंगी. मतलब बेवकूफ बनाना और झांसा देना. रोजमर्रे की राजनीति में यही चल भी रहा है. कहीं-कहीं तो धड़ल्ले से चल रहा है. खास बात यह है कि टोपी पहनने वाला भी पहनाने वाले के भाव को समझता है. फिर भी मन ही मन यह सोचकर टोपी पहन लेता है कि पट्ठा, तू क्या मुझको झांसा देगा, हम दूसरों को बेवकूफ बनाकर ही तो यहां तक पहुंचे हैं. हाल के इफ्तार की दावत में टोपी पहनाने की खूब चर्चा हुई.

लालू प्रसाद केे घर जा रहे नीतीश कुमार.

कला जान गये
आयोजन राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के सरकारी आवास पर हुआ था. तेजस्वी प्रसाद यादव मेजमान की भूमिका में थे. जितने बड़े लोग आ रहे थे, सबको बारी-बारी से टोपी पहनाये जा रहे थे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके आसपास के लोगों को बारी-बारी से टोपियां पहनायी जा रही थी. रंगों का ख्याल रखा गया था. सभी बड़े लोगों के लिए अलग-अलग रंग की टोपियां थीं. किसी ने तेजस्वी प्रसाद यादव के टोपी पहनाने के अंदाज को गौर से देखा. मुंह से निकला-बंदा टोपी पहनाने की कला जान चुका है. नीतीश कुमार को भी टोपी पहना ही दिया. दूसरे ने टोका-नीतीश कुमार को कोई क्या टोपी पहनायेगा. इस धंधे में तो इन्हें महारत हासिल है. तेजस्वी प्रसाद यादव को कौन पूछे, उनके पिताश्री को भी वह टोपी पहना चुके हैं.


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जवाब नहीं इनका
सच पूछिये तो नीतीश कुमार से अधिक किसी नेता ने दूसरों को टोपियां नहीं पहनायी होगी. खूबी यह कि ये खुद भी दूसरे की टोपी पहन लेते हैं. नजर दौड़ा कर देख लें. इनकी टोपी से कोई बच गया हो, ऐसा उदाहरण नहीं मिलेगा. ये किसकी टोपी किसके सिर पर रख कर मौज लेने लगेंगे, आज तक कोई नहीं जान पाया है. खैर, दावत-ए-इफ्तार में रंगीन टोपियों की खूब धूम रही. लोगों ने नोट किया कि विजय कुमार चौधरी ने टोपी में दिलचस्पी नहीं दिखायी. इधर, सिर पर टोपी रखी गयी, तेजस्वी प्रसाद यादव के आगे बढ़ते ही उन्होंने टोपी उतार कर रख दी. वहां मौजूद लोगों ने उनकी टोपी कथा को दूसरे रूप में लिया. उनका कहना था कि सबको रंगीन और उन्हें सफेद टोपी दे दी गयी थी. इसलिए उतार कर रख दी. सही भी है. बढ़ी हुई उम्र की चुगली के लिए सिर के बाल क्या कम होते हैं जो सफेद टोपी पहन लेते. उतार दिया तो अच्छा ही किया.

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