बड़ी चिंता : विलुप्त हो जायेगी गंगा तब…?
विष्णुकांत मिश्र
28 मई 2023
PATNA : सनातन संस्कृति (Sanatan Sanskrti) में पापनाशिनी गंगा (Ganga) को मां सरीखी श्रद्धा मिली हुई है, मोक्षदायिनी भी कहा गया है. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित मान्यताओं के मुताबिक धरती पर गंगा भगवान शिव (Lord Shiv) की जटाओं से आती हैं. इस वजह से शास्त्रों में उन्हें ‘शंभुमौलिविहारिणी’ नाम भी दिया गया है. गंगा अवतरण से संबंधित एक अन्य मान्यता है कि वामन रूप में भगवान विष्णु (Lord Vishnu) ने जब पैर आकाश की ओर उठाया था तब ब्रह्माजी (Lord Brahma) उनके चरण धोकर उस जल को अपने कमंडल में भर लिया था. चरणामृत रूपी उसी जल के तेज से गंगा का जन्म हुआ. बाद में ब्रह्माजी ने गंगा को पर्वतराज हिमालय (Parvatraj Himalaya) को सौंप दिया. इस कारण माता पार्वती (Mata Parvati) और मां गंगा (ganga) बहन हो गयीं.
शिव को पति बनाना चाहती थीं गंगा
शिव पुराण (Shiv Puran) में कहा गया है कि मां गंगा को भगवान शिव के प्रति आशक्ति हो गयी थी. उन्हें वह पति स्वरूप पाना चाहती थीं. इसके लिए उन्होंने लंबे समय तक घोर तपस्या की. भगवान शिव प्रसन्न हुए, साथ रहने का वरदान दिया. लेकिन, मां गंगा का वेग इतना प्रबल था कि उनके जल प्रवाह से त्राहिमाम मच गया. बचाव का और कोई उपाय न देख भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में समा लिया. ऐसी मान्यता है कि उन्हीं की जटाओं से निकलकर गंगा धरती पर आती हैं. गंगा के अवतरण के संदर्भ में श्रीमद्भागवत पुराण (Srimad Bhagwat Purana) की कथा कुछ अलग है.
यह भी है एक कथा
श्रीमद्भागवत पुराण के मुताबिक स्वर्गलोक में एक बार मां गंगा और सरस्वती (Saraswati) में किसी मुद्दे को लेकर विवाद हो गया. मध्यस्थता करने लक्ष्मी जी (Lakshmi ji) पहुंच गयीं. इससे क्रोधित मां गंगा ने उन्हें पृथ्वी पर नदी बन जाने का श्राप दे दिया. देवी लक्ष्मी पद्मा नदी के रूप में पृथ्वी पर आ गयीं. बाद में गंगा और सरस्वती के बीच भी विवाद हुआ और एक दूसरे के श्राप से इन दोनों को भी धरती पर नदी के ही रूप में आ जाना पड़ा. कालांतर में भगवान विष्णु को नारद मुनि के जरिये इसकी जानकारी मिली तब उन्होंने उन्हें आश्वस्त किया कि कलयुग के पांच हजार वर्ष पूरे होने पर धरती पर धर्म का लोप होने लगेगा.
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स्वर्गलोक लौट रही हैं गंगा!
वैसी स्थिति में इन तीनों देवियों- मां लक्ष्मी, मां गंगा और मां सरस्वती को स्वर्ग लौटना पड़ जायेगा. पद्मा (लक्ष्मी) और सरस्वती स्वर्ग लोक लौट गयी हैं. मतलब विलुप्त हो गयी हैं. यह जानकर हैरानी भरी चिंता होगी कि पुण्यसलिला गंगा भी स्वर्गलोक लौट रही हैं. यानी धरती पर अस्तित्व खो रही हैं. श्रीमद्भागवत पुराण में भी कहा गया है कि कलयुग(Kalyug) के पांच हजार वर्ष पूरा होने पर गंगा स्वर्गलोक में लौट जायेंगी. कलयुग ने अपना पांच हजार वर्ष का समय पूरा कर लिया है. यह तो रही धर्मशास्त्र (Dharmashastr) की बात, वैज्ञानिकों का भी मानना है कि गंगा नदी लुप्त होने के कगार पर हैं.
तीर्थ स्थल भी होंगे प्रभावित !
वैसे तो कारण अनेक हैं, पर मुख्य बात यह है कि जिस गोमुख ग्लेशियर (Gomukh Glacier) से मां गंगा की अविरल धारा निकलती है वही लुप्त हो रही है. इसे गंगा के लुप्त हो जाने का प्राकृतिक संकेत माना जा रहा है. यहां यह जानने की भी जरूरत है कि गंगा का धरती पर पहला कदम तीर्थनगरी हरिद्वार (Haridwar) में पड़ता है. श्रीमद्भागवत पुराण में वर्णित है कि कलयुग के पांच हजार वर्ष पूरा हो जाने के बाद काशी और वृंदावन को छोड़ शेष सभी तीर्थ स्थल भी लुप्त हो जायेंगे.
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