कहती है कुंडली : कांग्रेस की संभावना तो है, राहुल गांधी की नहीं !
बी. कृष्णा
19 जुलाई 2023
New Delhi : बात अब कांग्रेस के प्रधानमंत्री पद के संभावित उम्मीदवार राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की. इनकी तुला लग्न की कुंडली है. लग्न में वक्री गुरु है, तृतीय में चंद्र, पंचम में राहु, सप्तम में शनि, अष्टम में बुध, नवम में मंगल व सूर्य, दशम में शुक्र एवं एकादश में केतु है. विंशोत्तरी दशा चल रही है राहु/ गुरु की ,जो मई 2024 तक रहेगी. महादशानाथ राहु कुंडली के पंचम भाव में है. राहु का राश्याधिपति शनि सप्तम में षष्ठेश से दृष्ट है. अन्तर्दशानाथ गुरु तृतीयेश और षष्ठेश होकर लग्न में है एवं चतुर्थेश, पंचमेश शनि से दृष्ट है. चतुर्थ,पंचम का संबंध तो बन रहा है , परंतु नवम, दशम का संबंध नहीं बन रहा है. एक कमजोर स्थिति. चतुर्थेश और षष्ठेश का संबंध संपत्ति विवाद (Property Dispute) को बढ़ाने वाला होगा. गजकेसरी योग का अभाव है.
यह है कांग्रेस की दशा
कांग्रेस (Congress) की कुंडली मीन लग्न की है. लग्न में केतु, चतुर्थ में वक्री गुरु, पंचम में वक्री मंगल, छठे में वक्री शनि, सप्तम में चंद्र राहु, नवम में बुध एवं दशम में सूर्य, शुक्र है. विंशोत्तरी दशा चल रही है गुरु/ राहु की ,जो मार्च 2025 तक चलेगी. एक गजब संयोग है. राहुल गांधी की दशा चल रही है राहु में गुरु की और कांग्रेस की दशा चल रही है गुरु में राहु की. गुरु दशमेश होकर चतुर्थ भाव में है. दशम भाव पर पूर्ण दृष्टि दे रहा है. राहु सप्तम भाव में पंचमेश के साथ है. राहु का राश्याधिपति बुध नवम भाव में है. चतुर्थ, पंचम, नवम एवं दशम का मजबूत संबंध बना हुआ है. गजकेसरी योग भी है.
कोई सुधार संभव नहीं
ज्योतषीय निष्कर्ष (Astrological Findings) यही निकलता है कि कांग्रेस पार्टी की मजबूत, परंतु व्यक्ति की कमजोर कुंडली सत्ता के शीर्ष पद की दावेदारी नहीं कर पाने का संकेत दे रही है. राहुल गांधी की जगह यदि वैसे व्यक्ति पर विचार किया जाये जिनकी कुंडली (Horoscope) में ग्रहों ने गजकेसरी योग और चतुर्थ, पंचम, नवम एवं दशम भाव के बीच मजबूत संबंध बनाये हों तो वह पार्टी के लिए संजीवनी का काम कर सकता है. अन्यथा कांग्रेस की सीटों की संख्या में कोई सुधार होता हुआ नजर नहीं आ रहा है.
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नीतीश कुमार हैं सक्षम
नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की मिथुन लग्न की कुंडली है. तृतीय में केतु, चतुर्थ में वक्री शनि, छठे में चंद्र, नवम में सूर्य बुध गुरु राहु एवं दशम में मंगल शुक्र है. अगले माह से विंशोत्तरी दशा शुरू होगी राहु/ शुक्र की. राहु नवम भाव में दशमेश एवं चतुर्थेश के साथ है. राहु का राश्याधिपति शनि चतुर्थ भाव में है. शुक्र दशम भाव में षष्ठेश, एकादशेश के साथ होकर चतुर्थ भाव से नवमेश शनि से दृष्ट है. गजकेसरी योग भी निर्मित है. निष्कर्ष यह है कि सत्ता के दुर्ग को भेदने में पूरी तरह सक्षम हैं,परंतु इनकी पार्टी की कुंडली उपलब्ध नहीं रहने की वजह से कुछ ठोस एवं निर्णयात्मक कहना सही नहीं है.
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