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आदित्य सचदेवा प्रकरण: नीतीश कुमार के लिए अग्निपरीक्षा!

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अविनाश चंद्र मिश्र
26 जुलाई 2023

Gaya : उस दिन गया शहर में हुई एक हृदय विदारक वारदात से बिहार (Bihar) ही नहीं, पूरे देश के स्मृति-पटल पर लालू-राबड़ी शासनकाल के खौफनाक दृश्य चलचित्र के समान छा गये. ‘जंगल राज’ का जबड़ा फिर से खुलने का भय समा गया. लोग तरह-तरह की आशंकाओं में घिर गये. विडम्बना देखिये, संवेदनशील समाज को सिहरा देने वाली यह घटना उस नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के नेतृत्व वाली महागठबंधन की सरकार के प्रथम सोपान में हुई , जिन्होंने अल्पकाल के लिए ही सही, राज्य में ‘कानून का राज’ कायम किया था और 2015 में प्रतिद्वंद्वियों की नजर में ‘जंगल राज के प्रणेता’ लालू प्रसाद (Lalu Prasad) से नापाक गठजोड़ के वक्त ‘मैं हूं न’ का भरोसा दिलाया था. उस दिन बेवजह बीच सड़क 18 वर्षीय निरीह- निर्दाेष छात्र आदित्य सचदेवा (Aditya Sachdeva) के सिर में गोली ठोक दिये जाने से वह भरोसा खंडित हो गया.

दुखों का पहाड़ टूट गया
तारीख 07 मई, 2016 थी. गया शहर के व्यवसायी श्यामसुंदर सचदेवा (Shyamsundar Sachdeva) और चांद सचदेवा (Chand Sachdeva) के होनहार पुत्र आदित्य सचदेवा अपने दोस्त नासिर हुसैन, आयुष अग्रवाल, मो. कैफी एवं अंकित अग्रवाल के साथ बोधगया में मित्र अभिषेक कुमार के जन्मदिन की दावत खा गया के स्वराजपुरी मुहल्ला स्थित घर लौट रहा था. रास्ते में कार को आगे-पीछे करने (Road Rage) को लेकर राकेश रंजन उर्फ रॉकी यादव (Rakesh Ranjan urf Rocky Yadav) से विवाद हो गया. रामपुर (Rampur) थाना क्षेत्र के पुलिस लाइन रोड में बात इतनी बिगड़ गयी कि रॉकी यादव ने पीछे से आदित्य सचदेवा की कार पर गोली चला दी. कार के शीशे को छेद गोली आदित्य सचदेवा के सिर में घुस गयी. अस्पताल ले जाने के क्रम में उसकी दुखद मौत हो गयी. सचदेवा परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया.

आदित्य सचदेवा (इनसेट में) के माता-पिता.

प्राथमिकी की बातें
आदित्य सचदेवा के भाई आकाश सचदेवा द्वारा 9 मई 2016 को रामपुर थाने में दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में उक्त बातें कही गयीं. घटना के तीन दिन बाद 12 मई 2016 को रॉकी यादव के दबंग पिता बिन्देश्वरी प्रसाद यादव उर्फ बिन्दी यादव के बोधगया (Bodhgaya) स्थित हाट मिक्स प्लांट से उसकी (रॉकी यादव) गिरफ्तारी हुई. घटना के वक्त रॉकी यादव के साथ रहे उसके चचेरा भाई टेनी यादव उर्फ राजीव कुमार और उसकी तब की विधान पार्षद मां मनोरमा देवी (Manorama Devi) के अंगरक्षक राजेश कुमार (Rajesh Kumar) की भी. बाद में बिन्दी यादव (Bindi Yadav) की भी गिरफ्तारी हुई. आरोप साक्ष्य व सबूत मिटाने, आरोपित को शरण-संरक्षण देने तथा सहयोग करने के लगे.

काफी दबंग थे बिन्दी यादव
राजद (RJD) की राजनीति से जुड़े रहे गया जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष बिन्दी यादव ‘सामाजिक न्याय’ के दौर में गया के आतंक माने जाने वाले कुछ सूरमाओं में एक थे. शहर के लोगों की मानें तो ‘कानून के राज’ में भी उनकी दबंगता करीब-करीब वैसी ही रही. खूंख्वारियत थोड़ी कम जरूर हो गयी थी. गौर करने वाली बात यह कि उनकी राजनीति जिला परिषद तक ही सिमट कर रह गयी, पर पत्नी मनोरमा देवी को विधान पार्षद बनवाने में वह सफल रहे. हालांकि, 2021 के चुनाव में मनोरमा देवी हार गयीं. गया जिला परिषद की राजनीति की विरासत बिन्दी यादव के भाई शीतल प्रसाद यादव (Sheetal Prasad Yadav) संभाल रहे हैं. ऐसे दबंग परिवार के रॉकी यादव का ‘बेलगाम’ रहना स्वाभाविक था.

नीतीश कुमार भी गये थे
राष्ट्रीय शर्म का मुद्दा बन गयी आदित्य सचदेवा की हत्या ने बिहार की सत्ता राजनीति को इस कदर हिला दिया था कि 33 दिन बाद ही सही, 10 जून 2016 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सचदेवा परिवार का आंसू पोंछने के लिए उनके घर जाना पड़ गया. मामले की गंभीरता को इस रूप में सहजता से समझा जा सकता है कि जो नीतीश कुमार बड़ी से बड़ी घटनाओं और हादसों पर आमतौर पर कागजी संवेदना ही व्यक्त करते हैं, आदित्य सचदेवा के शोकाकुल परिजनों से मिलने वह गये. न्याय मिलने का भरोसा दे आये. सरकार की पहल पर मामले की त्वरित सुनवाई हुई.

निचली अदालत का फैसला
तकरीबन सवा साल बाद निचली अदालत (Lower court) का फैसला आया. 6 सितम्बर 2017 गया के तत्कालीन प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सच्चिदानंद प्रसाद सिंह (Sessions Judge Sachchidanand Prasad Singh) ने सजा सुनायी. राकेश रंजन उर्फ रॉकी यादव, टेनी यादव उर्फ राजीव कुमार एवं राजेश कुमार को उम्रकैद तथा बिन्देश्वरी प्रसाद यादव उर्फ बिन्दी यादव को पांच साल की सजा मुकर्र हुई. उम्रकैद के साथ एक लाख और पांच साल के कैद के साथ 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया. बिन्देश्वरी प्रसाद यादव उर्फ बिन्दी यादव अब इस दुनिया में नहीं हैं. कोरोना संक्रमण काल में जुलाई 2020 में उनका निधन हो गया.

नीतीश कुमार दिवंगत आदित्य सचदेवा के परिजनों से मिलते हुए.

भरोसा बरकरार है
ऐसा बताया जाता है कि सचदेवा परिवार निचली अदालत के फैसले से संतुष्ट नहीं था. आरोपितों की वैसी ही गति चाहता था जो आदित्य सचदेवा की हुई थी. उसकी वह इच्छा तो पूरी नहीं ही हुई, निचली अदालत के फैसले के पटना उच्च न्यायालय (Patna High Court) में खरा नहीं उतरने से उसे गहरा सदमा पहुंचा है. आदित्य सचदेवा की मौत से जितना दुख हुआ था, उससे कहीं अधिक इससे हो रहा है. इसके बावजूद अदालत और नीतीश कुमार की सरकार पर भरोसा बरकरार है. तो क्या बदले हालात में नीतीश कुमार इस भरोसे पर खरा उतरेंगे? न्याय लौटा पायेंगे? सचदेवा परिवार की सूनी पड़ी आंखों में पीड़ा भरे ये सवाल तैर रहे हैं.

उच्च न्यायालय में खारिज
पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एएम बदर  (AM Badar) एवं हरीश कुमार (Harish Kumar) की दो सदस्यीय खंडपीठ ने 19 जुलाई 2023 को गया के प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सच्चिदानंद प्रसाद सिंह के फैसले को खारिज कर सभी आरोपितों को दोषमुक्त कर दिया. आधार साक्ष्य एवं सबूतों का अभाव बताया. उच्च न्यायालय का कहना रहा कि बिहार सरकार और उसकी पुलिस यह साबित करने में विफल रही कि आदित्य सचदेवा की हत्या इन्हीं तीनों ने की थी. गंभीर बात यह रही कि मामले के चश्मदीद भी मुकर गये.


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तब किसने दिया अंजाम?
दो सदस्यीय खंडपीठ ने अभियोजन पक्ष की तरफ से पुख्ता सबूत पेश नहीं करने और तथ्यों को तर्कसंगत तरीके से नहीं रख पाने के कारण आरोपितों पर अपराध स्थापित होता नहीं पाया. फलतः संदेह का लाभ देते हुए तीनों को बरी कर दिया. जुर्माने की राशि लौटा देने का भी आदेश पारित किया. इस फैसले के परिप्रेक्ष्य में सवाल उठना स्वाभाविक है कि यदि राकेश रंजन उर्फ रॉकी यादव ने आदित्य सचदेवा की हत्या नहीं की, तो फिर इस जघन्य घटना को अंजाम किसने दिया? उच्च न्यायालय के फैसले से स्पष्ट होता है कि अभियोजन पक्ष ने अपने दायित्व का ईमानदार निर्वहन नहीं किया.

अपील दायर करेगी सरकार?
इस बाबत भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) का कहना रहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने पटना उच्च न्यायालय में इस वजह से न पुख्ता सबूत पेश किया और न ठीक से पैरवी की कि राकेश रंजन उर्फ रॉकी यादव की मां मनोरमा देवी जदयू से जुड़ी हैं. सुशील कुमार मोदी के कथन में सत्यतता कितनी है, यह नहीं कहा जा सकता. पर, नीतीश कुमार के समक्ष यक्ष प्रश्न अवश्य खड़ा हो गया है कि 10 जून 2016 को सचदेवा परिवार को न्याय दिलाने का जो वचन वह दे आये थे उस पर कायम रहते हुए पटना उच्च न्यायालय के निर्णय के खिलाफ सर्वोच्च अदालत (Supreme Court) में अपील दायर करेंगे? शायद नहीं, इसलिए कि इससे वोट का मुद्दा जुड़ा हुआ नहीं है!

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चित्र : सोशल मीडिया

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