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साइबर ठगी : कलंक ढो रहा करमाटांड़ !

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राजकिशोर सिंह
28 जुलाई, 2023

Jamtara : भारतीय स्टेट बैंक (SBI) में खाता हो या नहीं, स्मार्ट फोन धारक के कान में तब यह वाक्य अक्सर गूंज उठता था- ‘एसबीआई मेन ब्रांच से बोल रहा हूं. केवाईसी जमा नहीं होने से आपका डेविट कार्ड ब्लॉक हो गया है, एकाउंट बंद होने जा रहा है. जल्दी से केवाईसी (KYC) अपडेट करवायेंकृ’ झांसे में आ गये लोगों की बात खत्म होते-होते उसका खाता साफ हो जाता था. यानी उस खाते के तमाम पैसे रॉकेट की रफ्तार से झांसा देने वाले के बेनामी खाते में पहुंच जाते थे. अन्य की बात छोड़ दें, प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) को भी इस तरह का अप्रत्याशित झटका लगा था. वह ऐसे ही किसी ‘कॉल’ में फंस गये थे या जालसाजों ने कोई दूसरा हथकंडा अपनाया था, चूना उन्हें भी लग गया. इसका खुलासा उन्होंने खुद किया. बात थोड़ी पुरानी है, लेकिन वर्तमान संदर्भ में उसकी प्रासंगिकता बनी हुई है.

अमिताभ बच्चन भी आ गये थे चपेट में
उस दिन ‘कौन बनेगा करोड़पति’ की हॉट सीट पर देवघर (Deoghar) का कोई लड़का बैठा था. देवघर का नाम सुनते ही अमिताभ बच्चन को खुद का भोगा यथार्थ याद आ गया. बड़ी संजीदगी से उन्होंने चर्चा की. बताया कि कैसे किसी ने बैंक मैनेजर बनकर मोबाइल फोन पर बात की और उनके खाते से पांच लाख रुपये निकल गये. ऐसा कैसे और किस तकनीकी से हुआ, यह जानने-समझने के लिए उन्होंने उस ‘प्रणम्य देवता’ से मिलने की इच्छा जतायी थी, जो शायद पूरी नहीं हो पायी. उन्हें बस इतनी ही जानकारी मिली कि ऐसे ‘करामाती’ लोग जामताड़ा-करमाटांड़ के हैं, जो झारखंड (Jharkhand) राज्य में देवघर के समीप है.

हतप्रभ रह गये थे अमिताभ बच्चन.

वीआईपी भुक्तभोगी!
इस ऑन लाइन ठगी के भुक्तभोगी अकेले अमिताभ बच्चन ही नहीं हैं, हाथ मलने वाले ऐसे असंख्य लोगों में बड़े-बड़े राजनेता, अभिनेता, अधिकारी, व्यवसायी और न्यायाधीश भी हैं. आश्चर्य यह जानकर होगा कि पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह (Captain Amarinder Singh) की सांसद पत्नी परिणीता कौर (Parineeta Kaur) भी इस ठगी का शिकार हो गयीं. 01 अगस्त 2019 को ठगों ने उनके बैंक खाते में एकमुश्त 23 लाख का चूना लगा दिया. बहरहाल, लगभग डेढ़ दशक से ठगी का यह सिलसिला बना ही हुआ नहीं है, नये-नये रूप में विस्तार पा रहा है. इस पर अंकुश लगाने की तमाम तकनीकी विफल है.

अमेरिका भी है हैरान!
पुलिस की सख्ती से साइबर क्राइम (Cyber Crime) की शैली बदल जरूर गयी है, पर ‘ठगी की तकनीकी’ का रहस्य अब भी अनसुलझा है. अब तो खाताधारक को बजाप्ते बताकर रुपये निकाल लिये जा रहे हैं. बगैर किसी शिक्षण-प्रशिक्षण के इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी (Information Technology) में महारत हासिल कर रखे कच्ची उम्र के कम पढ़े-लिखे साइबर ठग चुटकी बजा कर खाता खाली कर दे रहे हैं और आईटी इंजीनियर (IT engineer) इस तकनीकी को पकड़ नहीं पा रहे हैं! अन्य की बात अहलदा है, आर्थिक अपराध की इस ‘ऑनलाइन टेक्निक’ को सुन-गुन अमेरिका (America) भी हैरान रह गया. इसकी खास वजह है. यह कि ठगी के इस धंधे से अधिकतर किशोरावस्था के लोग जुड़े हैं. न कोई अधिक शिक्षा और न तकनीकी तालीम. इसके बावजूद लैपटॉप और स्मार्ट फोन पर जिस सधे अंदाज में उनकी अंगुलियां नाचती हैं वे हर कोई को हैरान कर देती है.


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नहीं बदला संस्कार
जामताड़ा जिला मुख्यालय से तकरीबन 17 किलोमीटर दूर है करमाटांड़. हावड़ा-नयी दिल्ली मुख्य रेलमार्ग का यह एक स्टेशन है. गांव स्टेशन से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर बसा है. यह जगह कभी महान शिक्षाविद् और समाज सुधारक पंडित ईश्वर चन्द्र विद्यासागर (Pandit Ishwar Chandra Vidyasagar) की कर्मभूमि थी, प्रयोगस्थली भी. वहां उन्होंने अपनी जिन्दगी के अठारह साल बिताये थे. समाज सुधार का प्रयोग और प्रयास कितना सफल रहा, यह कहना कठिन, पर इलाकाई अवांछित गतिविधियां इस धारणा को मजबूत बनाती हैं कि उनके सान्निध्य से वहां के बाशिंदों का संस्कार तनिक भी नहीं बदला. बल्कि वर्तमान में तो यह साइबर ठगों के गांव के रूप में दुनियाभर में बदनाम हो चुका है.

बनी हुई है सर्वोच्चता
वैसे, प्रबुद्ध लोग पंडित ईश्वर चन्द्र विद्यासागर से जुड़ी इस भूमि को अब भी ससम्मान नमन करते हैं. रेलवे ने भी करमाटांड़ स्टेशन का नाम विद्यासागर स्टेशन कर दिया है. जंगलों और पहाड़ियों से घिरा जामताड़ा झारखंड राज्य के आर्थिक दृष्टि से सर्वाधिक पिछड़े जिलों में शामिल है. वहां की साक्षरता दर 63.31 प्रतिशत है. झारखंड राज्य की साक्षरता दर 66 .41 प्रतिशत से 3.10 प्रतिशत कम. कम्प्यूटर शिक्षा (Computer Education) में इस राज्य का स्थान 14वां है. पर, जामताड़ा और करमाटांड़ के शातिर दिमागियों ने साइबर क्राइम के नय-नये तरीकों का इजाद कर इसे ‘सर्वोच्च स्थान’ पर ला देश भर की पुलिस (Police) और जांच एजेंसियों (Investigative Agencies) की नाक में दम कर रखा है.

‘ठगी’ की फ्रेंचाइजी
अब तो दूसरे इलाकों के छोटे-छोटे गिरोहों को ‘ठगी’ की फ्रेंचाइजी भी देने लग गये हैं. फ्रेंचाइजी सिस्टम (Franchise System) के तहत चार से तीस प्रतिशत कमीशन पर ठगी कराये जा रहे हैं. ट्रेनिंग के बाद साफ्टवेयर, वेबसाइट और लिंक मुहैया कराये जा रहे हैं. बिहार (Bihar) में उभर रहे अपराध की इस नयी शैली से पिछले सिर्फ चार माह में 74 करोड़ की ठगी हो चुकी है. चिंता की बड़ी बात यह कि सिलसिला बना ही हुआ है. बिहार में यह अपराध का नया चेहरा बनता जा रहा है.

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