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आखिर, उलझ ही गया विपक्ष नरेन्द्र मोदी की इस भूलभुलैया में!

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प्रियरंजन भारती
03 सितम्बर 2023

Patna : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) को सत्ता से उखाड़ फेंकने की विपक्षी दलों (opposition parties) की मुहिम तमाम कोशिशों के बावजूद अभी रफ्तार नहीं पकड़ पायी है. आगे क्या होगा यह नहीं कहा जा सकता, पर फिलहाल ‘नौ दिन चले ढाई कोस’ मुहावरे को ही चरितार्थ कर रही है. नरेन्द्र मोदी विरोधी नेताओं की मुम्बई (Mumbai) की बैठक का फलाफल संचालन समिति (Steering Committee) के गठन तक सिमटा रहा. संयोजक (coordinator) और लोगो (logo) के चयन-निर्धारण का मामला आगे के लिए बढ़ गया. सीट बंटवारे पर घमासान की स्थिति बनती जा रही है. इससे इन दलों के समर्थकों में इस मुहिम के प्रति कोई अतिरिक्त उत्साह नहीं जग पा रहा है. इन नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए ही लोकसभा (Lok Sabha) का चुनाव निर्धारित समय से पहले करा लिये जाने का शिगूफा छोड़ा जा रहा है. लोकसभा का चुनाव अप्रैल-मई 2024 में होना है.

विपक्षी दलों में बेचैनी
इस बीच नरेन्द्र मोदी की सरकार ने ‘एक देश एक चुनाव’ (one nation one election) के लिए शुरुआती पहल कर विपक्षी दलों में बेचैनी भर दी है. हालांकि, ‘एक देश एक चुनाव’ पर अमल में वक्त लगेगा. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (EX President Ramnath Kovind) की अध्यक्षता में आठ सदस्यीय समिति गठित हुई है. समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद कई औपचारिकताएं निभायी जायेंगी. इसके साथ ही नरेन्द्र मोदी ने 18 से 22 सितम्बर 2023 तक संसद (Parliament) का पांच दिवसीय विशेष सत्र (special session) बुलाने की घोषणा कर विपक्ष की बेचैनी और बढ़ा दी है. इस विशेष सत्र का एजेंडा (Agenda) क्या है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) और गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के अलावा किसी को नहीं मालूम. सब के सब सिर्फ कयास लगा रहे हैं.


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महिला आरक्षण विधेयक
आमतौर पर कुछ विशेष कार्यों के निष्पादन के लिए ही संसद का विशेष सत्र आहूत होता है. जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने के लिए विशेष सत्र बुलाया गया था. उस वक्त भी सत्र शुरू होने से पहले किसी को कुछ मालूम नहीं था. अब यहां सवाल है कि आखिर नरेन्द्र मोदी की सरकार ने यह पांच दिवसीय विशेष सत्र क्यों बुलाया है? एक संभावना महिला आरक्षण विधेयक (Women’s Reservation Bill) को संसद की स्वीकृति दिलाने की है. बहुचर्चित रोहिणी आयोग (Rohini Commission) की रिपोर्ट को भी इस सत्र में पेश किया जा सकता है.महिला विधेयक लंबे समय से राज्यसभा (Rajya Sabha) में लंबित है. डा. मनमोहन सिंह (Dr. Manmohan Singh) के नेतृत्व वाली संप्रग की सरकार के कार्यकाल में लोकसभा से यह पारित हुआ था. समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और राजद (RJD) के विरोध के कारण राज्यसभा में पारित नहीं हो पाया था. कांग्रेस (Congress) यदि चाहती तो अब तक यह कानून बन गया रहता. लेकिन, इसके प्रति उसने कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखायी.

तब बढ़ जायेंगी सीटें
वर्तमान में जदयू (JDU) और राजद (RJD) इस विधेयक का विरोध करने की स्थिति में शायद नहीं हैं. यह विधेयक कानून बन गया तो लोकसभा की सीटें 33 प्रतिशत बढ़ जायेंगी. इसी के मद्देनजर नये संसद भवन में कुल 01 हजार 248 सांसदों के बैठने की व्यवस्था है. समझा जाता है कि विशेष सत्र इसी नये संसद भवन में होगा. यहां गौर करने वाली बात है कि पिछले दिनों विपक्षी दलों ने नये संसद भवन के उद्घाटन का विरोध किया था. उसमें यदि विशेष सत्र होता है तो उनका क्या रुख होगा यह कहना कठिन है.

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