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रोज पीते हैं, शान से जीते हैं, कोई कुछ बिगाड़ नहीं पाता…!

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विशेष प्रतिनिधि
04 अक्तूबर 2023

Patna : बिहार में शराबबंदी कानून (prohibition law) को लेकर दो मत है. वे लोग अल्पमत में हैं, जिनकी राय है कि शराबबंदी कानून बहुत सख्त है. उनकी संख्या अधिक है जो इस कानून को ढीला-ढाला और वाहियात मानते हैं. क्योंकि असरदार लोग रोज पीते हैं. शान से जीते हैं. उनका कोई कुछ बिगाड़ नहीं पाता है. कई लोग तो घर में पीने के बाद दोस्तों-रिश्तेदारों के घर का भी चक्कर लगा आते हैं. यह दिखाने के लिए कि कोई भी कानून कमजोर ही होता है, बस आप में उसे तोड़ने की ताकत होनी चाहिए. ऐसा होता भी है.

सचमुच सख्त है जी…
मगर, भाजपा (B J P) के एक बुद्धिजीवी नेता को अब पता चल रहा है कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का शराबबंदी वाला कानून बहुत सख्त है. इसका प्रभाव व्यापक है. अगर पुलिस और उत्पाद विभाग की नजर में आप बच कर निकल भी गये, तो दूसरे तरीके से आप इसकी चपेट में आ जायेंगे. कहते हैं न कि पाप करके कोई भले ही आदमी के बनाये कानून से बच जाये, लेकिन ईश्वर के कानून से नहीं बच सकता है. इसलिए कि कोई देखे या न देखे अल्लाह देख रहा है वाला किस्सा है. समझ लीजिये कि शराबबंदी कानून के साथ भी कुछ ऐसा ही मामला पेश हो रहा है.


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किस्सा यह उनका है
किस्सा यह कि भाजपा के यह नेता देश के बड़े शिक्षण संस्थान में पढ़कर राजनीति (Politics) में आये हैं. पार्टी में उनके ज्ञान का आतंक चलता है. अंग्रेजी के कमजोर प्राणियों के सामने धारा प्रवाह अंग्रेजी बोलते हैं. कम पढ़ा – लिखा आदमी बड़ी मुश्किल से जान बचा पाता है. इसी ज्ञान के बल पर उन्हें पार्टी में पद मिला. माननीय  का दर्जा भी मिल गया. कहते हैं कि दिल्ली दरबार में उनकी सीधी पैठ है. यह पैठ नजर भी आती है. पार्टी के बड़े – बड़े नेता जहां जाने के लिए लालायित रहते हैं, यह सीधे प्रवेश कर जाते हैं.

महफिल जमी, अंग्रेजी चली
बात उन दिनों की है, जब राज्य सरकार में इनकी पार्टी की भागीदारी थी. रात की महफिल देर रात तक चली. अंग्रेजीदां लोगों के साथ अंग्रेजी चली. आधी रात बाद तय पाया गया कि सभा विसर्जित किया जाये. सभा विसर्जित हुई. सब लोग अपने घरों की ओर चले. नेताजी का घर बगल में था, महफिल से निकल कर वह सीधे घर चले गये. साथ वाले लोग पुलिस के हत्थे चढ़ गये. हंगामा हुआ तो नेताजी भी बीच बचाव करने आ गये. अपना लंबा-चौड़ा परिचय दिया. पुलिस वालों ने सोचा कि इनको छोड़ देंगे तो बखेड़ा होगा. सो, सबके साथ नेताजी को भी थाना का दर्शन करा दिया गया. खून-पेशाब की जांच हुई. सरकार में पार्टनर होने का लाभ मिला. शराब के आरोप से मुक्त हो गये. इधर पार्टी की नजर में गुनहगार बने रहे. परिणाम सामने है. पार्टी की नयी प्रदेश कमेटी में इन्हें जगह नहीं दी गयी. देर से ही सही, बेचारे शराबबंदी कानून की चपेट में आ ही गये.

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