तापमान लाइव

ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल

भारत नाम में गलत क्या है?

शेयर करें:

अनिल विभाकर
08 अक्तूबर 2023

चमुच यह देश का अमृतकाल है. अमृतकाल ही है यह क्योंकि पहली बार इस देश ने किसी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर इंडिया (India) की जगह भारत (Bharat) नाम से शिरकत की. इससे पहले किसी भी अंतर्राष्ट्रीय आयोजन (International Event) में यह देश इंडिया नाम से शामिल होता था. नयी दिल्ली (New Delhi) में सितंबर में भारत की मेजबानी में अत्यंत ही भव्यता से जी-20 शिखर सम्मेलन (G-20 Shikhar Sammelan) का आयोजन हुआ. इसमें इस देश ने इंडिया नाम से परहेज तो नहीं किया मगर भाग लिया भारत नाम से. इससे पहले जब भी कहीं इस तरह के बड़े आयोजन हुए, भारत की भागीदारी इंडिया नाम से हुई. शिखर सम्मेलन में अमेरिका (America) के राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन (Britain) के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, फ्रांस (France) के राष्ट्रपति इम्मैनुएल मैक्रो, यूएई के किंग मोहम्मद बिन जाएद अल नाह्यान, इटली, जापान और जर्मनी समेत लगभग चालीस देशों के राष्ट्राध्यक्ष और प्रतिनिधि उपस्थित थे. रूस (Russia) के राष्ट्रपति यूक्रेन से हो रहे युद्ध की वजह से और चीन (China) के राष्ट्रपति कुछ कारणों से इसमें उपस्थित नहीं हुए. मगर दोनों देशों के प्रतिनिधि शामिल थे.

बढ़ा भारत का मान और सम्मान
जी-20 के इस शिखर सम्मेलन ने भारत की अध्यक्षता में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया. इससे पहले इस संगठन के 17 बार सम्मेलन हुए मगर जिस भव्यता से यह भारत में हुआ वैसा पहले कहीं नहीं हुआ था. इसमें भाग लेने आये प्रायः सभी विदेशी मेहमानों और हस्तियों ने यह बात महसूस की जिससे दुनिया में भारत का मान और सम्मान बढ़ा. सबसे महत्वपूर्ण और गौर करने वाली बात यह है कि आजादी के सात दशक से भी अधिक वर्षों बाद इस देश ने दुनिया में अपने को इंडिया की जगह भारत कहना शुरू कर दिया. यहां से अंग्रेजों के जाने के बाद भी इतने वर्षों तक पूरी दुनिया में आधिकारिक तौर पर इस देश को इंडिया नाम से ही ज्यादा जाना जाता था.

खड़ा कर दिया विवाद
संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में यह देश आधिकारिक तौर पर अब भी इंडिया के नाम से जाना जाता है. हालांकि, कुछ दिनों पहले संयुक्त राष्ट्र की ओर से कहा गया है कि इंडियन गवर्नमेंट की ओर से इंडिया का नाम भारत करने का यदि प्रस्ताव और अनुरोध आया तो उस पर विचार किया जा सकता है क्योंकि अभी हाल में तुर्की (Türkiye) ने अपना नाम बदल कर तुर्किए कर लिया है. वहां की सरकार के अनुरोध पर तुर्की का नाम तुर्किए किया गया है. सुखद बात यह है कि विगत दस वर्षों से विश्व पटल पर भारत का मान-सम्मान और दबदबा तेजी से बढ़ा है मगर चिंता की बात यह है कि भारत विरोधी शक्तियां यह देखकर बहुत परेशान हैं. पड़ोसी चीन और पाकिस्तान परस्त यहां के कुछ बुद्धिजीवियों, पत्रकारों और विपक्षी दलों के नेता भारत को अस्थिर और कमजोर करने में लगातार सक्रिय हैं. ताज्जुब की बात तो यह है कि नयी दिल्ली में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन के अवसर पर कांग्रेस (Congress) और उसके सहयोगी दलों के नेताओं ने भारत नाम पर ही विवाद खड़ा कर दिया.

विपक्ष का आरोप
जी-20 सम्मेलन में शामिल होने आये विदेशी मेहमानों के सम्मान में देश की राष्ट्रपति (President) की ओर से दिये गये रात्रि भोज के लिए जारी निमंत्रण पत्र पर प्रेसिडेंट आफ भारत  लिखा देख बवाल खड़ा कर दिया. कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने कहा कि मोदी सरकार इंडिया गठबंधन से डर कर देश का नाम बदलने जा रही है. कई नेताओं ने तो यहां तक कहा कि यह फासिस्ट सरकार है. यह सरकार देश का नाम बदलकर संविधान विरोधी (Anti Constitutional) काम करने जा रही है. विपक्षी नेताओं, कुछ कथित बुद्धिजीवियों और कुछ पत्रकारों का यह कहना दरअसल भारत का ही विरोध करना तो है. क्या इस देश का नाम भारत नहीं है? क्या भारत के संविधान में अंग्रेजी के साथ ही अन्य किसी भाषा में भारत लिखने पर प्रतिबंध है? और यह भी कि इंडिया की जगह भारत लिखना देश का नाम बदलने जैसा है क्या?


ये भी पढ़ें:

कहां चरित्तर चाचा और कहां भतीजा बिहारी!

कई अड़चनें हैं ‘एक देश : एक चुनाव में’

राजनीति में पूर्व अधिकारी : ऐसा है अनुभव नीतीश कुमार का


संविधान देश का है
ऐसा तो बिल्कुल नहीं है. फिर राष्ट्रपति की ओर से जारी रात्रि भोज के निमंत्रण पत्र पर भारत लिखे जाने पर कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को इतनी आपत्ति क्यों हुई? यह तो भारत का विरोध करने जैसा है. कुछ अतिक्रांतिकारी चिंतक और विमर्शकार तो यहां तक कहते पाये जाते हैं कि यह बाबा साहेब के संविधान (Constitution of Baba Saheb) से छेड़छाड़ है. ऐसी जहरीली सोच वाले चिंतकों और विमर्शकारों को पहले तो यह समझना चाहिये कि इस देश में बाबा साहब का कोई संविधान नहीं चलता. यहां जो संविधान है वह देश का संविधान है. इसलिए बाबा साहब का नाम लेकर देश में सामाजिक विद्वेष पैदा करने की कोशिश से उन्हें बाज आना चाहिये.

दो नाम भी करा दिये अंग्रेजों ने
देश को आजाद हुए अभी सौ साल भी नहीं हुए मगर भारत के मूल संविधान में अब तक लगभग 126 संशोधन हो चुके हैं. तो क्या संविधान संशोधन कर इस देश का एक नाम नहीं किया जा सकता? दुनिया में सिर्फ भारत ही है जिसके दो नाम हैं. दुर्भाग्य यह है कि अंग्रेजों ने इस देश को आजाद करने के पहले इसे न सिर्फ दो हिस्सों में बांटा बल्कि अंग्रेजों से सम्मोहित कांग्रेस के नेताओं के माध्यम से इसके दो नाम भी करा दिये-इंडिया और भारत. फूट डालो और राज करो की नीति के तहत यह खेल अंग्रेजों का है. अंग्रेजों ने इस देश में सांप्रदायिक दंगे कराये, अपने मन मुताबिक जवाहर लाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनवा दिया. जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) का नाम प्रधानमंत्री के लिए किसी ने प्रस्तावित नहीं किया था. इकलौता नाम तो सिर्फ सरदार वल्लभ भाई पटेल (Sardar Vallabh Bhai Patel) का प्रस्तावित हुआ था मगर महात्मा गांधी ने लोकतंत्र का सम्मान न कर अपने प्रभाव से जहवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनवा दिया.

यह भी अंग्रेजों की योजना थी
दरअसल जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनवाने की गुप्त योजना अंग्रेजो ने पहले ही बना ली थी. आजादी के आंदोलन को कमजोर करने के लिए कांग्रेस की स्थापना भी अंग्रेजों ने ही की थी. आज भी कांग्रेस जवाहरलाल नेहरू के परिवार की जेब में ही है जो केंद्र की सत्ता से बेदखल होने पर भारत के विरोध में रह-रह कर बवाल करती रहती है. तमिलनाडु (Tamil Nadu) की डीएमके सरकार के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म (Sanatan Dharm) के उन्मूलन का आह्वान यों ही नहीं किया. भाजपा विरोधी वही दल इस समय खुलकर सनातन धर्म के खिलाफ जहर उगल रहे हैं जो कांग्रेस के साथ हैं. चिंता की बात यह है कि भाजपा (B J P) का विरोध करते-करते इन दलों के नेता भारत का विरोध करने लगे हैं.

#tapmanlive

अपनी राय दें