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तो इस डर से साथ रखते हैं भूतपूर्व अध्यक्षजी को!

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विशेष प्रतिनिधि
01 फरवरी 2024

Patna : यह कहें कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) गुणों के भंडार हैं, तो वह कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. उन्होंने राज्य का जितना विकास किया, उतना किसी और ने नहीं किया. दुश्मन भी इस मामले में उनका विरोध नहीं कर पाता है. उनकी ढेर सारी खूबियों में यह भी है कि वह किसी का अहसान नहीं मानते हैं. आप उनके लिए जान दे दें, खून दे दें, फर्क नहीं पड़ता है. जब कभी आपसे मन भरेगा, ऐसे आंख फेरेंगे कि लगेगा कि इससे पहले कभी मुलाकात नहीं हुई है. उनके इस गुण से सभी लोग परिचित हैं. तभी तो इनके बारे में प्रचारित है कि ऐसा कोई इस धरती पर नहीं है, जिसे इन्होंने धोखा नहीं दिया है.

देखते- देखते हो गये भूतपूर्व
उनके हालिया शिकार जदयू के अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह हैं, जो देखते – देखते भूतपूर्व हो गये हैं. उनको सिर्फ इस कानाफूसी के आधार पर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया कि वह बड़े भाई यानी लालू प्रसाद (Lalu Prasad) के साथ मिलकर सरकार पलट रहे थे. इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला. भूंजा पार्टी के कुछ सदस्यों ने गोपनीय सूचना (Confidential Information) जुटाकर कान में डाल दिया. बस, आपरेशन शुरू. नीतीश कुमार का एक गुण और भी है. वह डरते भी बहुत हैं. अध्यक्ष पद से हटाने के बावजूद भूतपूर्व अध्यक्षजी से डर-डर कर ही रहते हैं.

इस मामले में हैं मजबूत
क्योंकि भूतपूर्व अध्यक्षजी के बारे में उन्हें पता है कि कागज पत्तर के मामले में बहुत मजबूत हैं. पशुपालन घोटाला के लिए जहां-तहां से कागज जुटाने का जिम्मा उन्हें ही दिया गया था. कागज ही नहीं जुटाया. कागज जुटने के बाद जब लालू प्रसाद की सत्ता से विदाई तय हो गयी थी, नीतीश कुमार धन की कमी के कारण उड़ नहीं पा रहे थे. उन्होंने ही उस समय के एक बड़े कारोबारी से धन का बंदोबस्त किया. हेलीकाप्टर उड़ा और ताजपोशी भी हो गयी. उससे पहले रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) की पार्टी लोजपा में तोड़फोड़ मचाने के मोर्चा को पूर्व अध्यक्षजी ने ही संभाला था.


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एक दुर्लभ गुण यह भी
बेचारे रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान (Chirag Paswan) आज भी उस दृश्य को नहीं भूल पा रहे हैं, जब चाबी कमर में लटकी रह गयी थी और सारा माल गायब हो गया था. बहरहाल, और भी ढेर सारी बातें हैं, जिसमें पूर्व अध्यक्ष जी के चलते उनका बेड़ा पार हुआ. नीतीश कुमार के गुणों में एक दुर्लभ गुण यह भी है कि सामने वाले को सफाई देने का मौका नहीं देते हैं. आपको उनके दो करीबी सेवकों का किस्सा याद होगा, जो उनके रेल मंत्रित्व काल में उनके सरकारी आवासीय परिसर में अस्थायी आवास बना कर रहते थे. नीतीश कुमार को शिकायत मिली कि दोनों ने फोर्थ ग्रेड की बहाली में रेलवे के किसी अधिकारी से पैरवी (Lobbying) कर दी है. बिना उन दोनों का पक्ष जाने नीतीश कुमार ने उनके अस्थायी निवास को स्थायी रूप से ध्वस्त करवा दिया.

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