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बेगूसराय: सब गुड़ गोबर कर देगी भाजपा नेताओं की गुटबाजी !

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विनोद कर्ण
07 फरवरी 2024

Begusarai : भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी विकास वैभव (Vikas Vaibhav) ने बेगूसराय संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने की खुलकर कभी कोई बात नहीं की है. लेकिन, उनके हाव-भाव से स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि वह इस क्षेत्र से चुनाव लड़ने की चाहत रखते हैं और अंदरूनी तैयारी में जुटे हैं. हो सकता है कि सरकारी सेवा में रहने के कारण अभी खुलकर नहीं बोल रहे हैं. विश्लेषकों की समझ है कि ‘लेट्स इंस्पायर बिहार’ के बैनर तले वह बेगूसराय में अपनी राजनीति की जमीन तलाश रहे हैं. प्रशासनिक दृष्टि से उनकी पहचान कड़कमिजाज व कर्त्तव्यपरायण पुलिस अधिकारी की है. पुलिस अधीक्षक के तौर पर उन्हें बिहार के नक्सल प्रभावित और अपराधग्रस्त इलाकों में सेवा करने का अवसर मिला है. उन अवसरों की अतुलनीय कामयाबी को उन्होंने अपनी पहचान से जोड़ दिया है.

चुनाव से जुड़ी सामाजिकता!
विकास वैभव बेगूसराय जिले के चर्चित गांव बीहट के रहने वाले हैं.10 दिसम्बर 2023 को उन्होंने बेगूसराय में ‘लेट्स इंस्पायर बिहार’ के राज्यभर के कार्यकर्त्ताओं का बड़ा जुटान किया. उससे एक अलग पहचान मिली. मकर संक्रांति के अवसर पर बीहट स्थित अपने पैतृक आवास पर मिलन समारोह आयोजित कर जिले के लोगों को यह बताने का भरसक प्रयास किया कि वह आईपीएस अधिकारी तो हैं, बेगूसराय का बेटा भी है. कहीं बाहर के नहीं, उनके अपने हैं. इस तरह का आयोजन वह पहले नहीं करते थे. इसके मद्देनजर उनकी इस सामाजिकता को लोग चुनाव में संभावित सक्रियता (Potential Activation) के नजरिये से देख रहे हैं.

इतिहास रच दिया
एलाइड सर्विस में रहते पेंशन लेने का इंतजार किये बिना केन्द्र सरकार की सेवा से त्यागपत्र देकर 2010 में मटिहानी विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी (Independent Candidate) के रूप में चुनाव लड़ जिले की राजनीति में चमकदार पहचान बनाने वाले विधान पार्षद सर्वेश कुमार को 2015 में भाजपा ने उसी मटिहानी क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया था. 66 हजार से अधिक मत पाने के बावजूद वह नहीं जीत पाये थे. बात – बात में ‘प्रभु कृपा’ व ‘गंगा मइया’ की दुहाई देने वाले सर्वेश कुमार की किस्मत तब चमक उठी जब 2020 में वह दरभंगा स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से विधान पार्षद चुने गये. बेगूसराय, समस्तीपुर, दरभंगा व मधुबनी यानी चार जिलों में विस्तृत क्षेत्र से विधान परिषद का चुनाव जीत उन्होंने इतिहास रच दिया. इस रूप में कि इस क्षेत्र से मधुबनी या दरभंगा के एक खास जाति के लोग ही चुनाव जीतते रहे हैं. सर्वेश कुमार (Sarvesh Kumar) ने इस मिथक को तोड़ दिया.

गंगा समग्र के सहारे…
ईमानदार छवि के सर्वेश कुमार जिला भाजपा व गंगा समग्र के सहारे आमजन से सम्पर्क स्थापित करने में जुटे हुए हैं. 22 जनवरी 2024 को अयोध्या (Ayodhya) के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के दिन बेगूसराय के पवित्र सिमरिया धाम में गंगा समग्र के बैनर तले गंगा तट पर एक लाख दीप प्रज्ज्वलित करने का श्रेय इन्हीं को जाता है. एक लाख दीप की उपलब्धता आसान है, परन्तु इसे ससमय जलाना कठिन. लेकिन, गंगा समग्र ने सिमरिया धाम (Simaria Dham) के मंदिर वाले क्षेत्र में ही नहीं, गंगा आश्रित मल्लिक समाज को जोड़कर श्मशान घाट को भी जगमग कर दिया था.

जो प्रभु की इच्छा…
इसके अलावा सर्वेश कुमार विधान पार्पद के अपने ऐच्छिक कोष से जिले में विकास के भी काम करा रहे हैं. यह जानने वाली बात है कि गंगा समग्र राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा है. भाजपा (BJP) नेतृत्व गंगा समग्र से जुड़े एक भी नेता को बिहार में उम्मीदवार (Candidate) बनाता है तो वह सर्वेश कुमार हो सकते हैं, ऐसा विश्लेषकों का मानना है. वैसे, लोकसभा का चुनाव लड़ने के सवाल पर सर्वेश कुमार मौन हैं. बस, यही कहते हैं कि प्रभु की जैसी इच्छा होगी, वह मंजूर होगा. वैसे, भाजपा के उनके हितचिंतक ‘प्रभु की इच्छा’ को अनुकूल बनाने के प्रयास में जुटे हैं, ऐसा उनके निकट के लोगों का कहना है.


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दावेदारी रजनीश कुमार की
पूर्व विधान पार्षद रजनीश कुमार (Rajnish Kumar) एक समय में भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री थे. स्थानीय राजनीति में अच्छा खासा प्रभाव था. लोकसभा के 2019 के चुनाव में भाजपा के प्रबल दावेदार थे. लेकिन, किस्मत का साथ नहीं मिला. बाद में बेगूसराय-खगड़िया स्थानीय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्र (Constituency) से विधान परिषद का चुनाव हार गये. लगातार दो जीत के बाद तीसरे में पिछड़ जाने से उनकी राजनीति लड़खड़ा गयी. रजनीश कुमार 2024 के संसदीय चुनाव में भी भाजपा के मजबूत दावेदार हैं, पर जिला भाजपा की राजनीति में अनुकूलता नहीं दिख रही है. पार्टी के लोग बताते हैं कि गुटों में बंटी जिला भाजपा के गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) विरोधी गुट का नेतृत्व रजनीश कुमार करते रहे हैं.

लगा देंगे पूरी ताकत
बदले हालात में अपनी राजनीति (Politics) को स्थिरता देने के लिए गिरिराज सिंह से समझौता की गरज से उनकी तारीफ करने लगे. वह तो नहीं पसीजे, गिरिराज सिंह के विरोधी रजनीश कुमार से कन्नी काटने लगे. ऐसा कहा जाता है कि भाजपाइयों के उस तबके का जुड़ाव अब प्रो. राकेश कुमार सिन्हा (Pro. Rakesh Kumar Sinha) से हो गया है. यही वजह है कि रजनीश कुमार की उम्मीदवारी (Candidacy) के लिए भाजपा के अंदर से जो तेज आवाज उठनी चाहिए थी वैसी नहीं उठ पा रही है. हालांकि, उनके समर्थकों को पूरा भरोसा है कि गिरिराज सिंह को विश्राम दिया गया, तो उनका विकल्प रजनीश कुमार ही हो सकते हैं. इसलिए भी कि गिरिराज सिंह बेगूसराय की अपनी विरासत (Heritage) संभालने का अवसर प्रो. राकेश कुमार सिन्हा को कतई उपलब्ध नहीं होने देना चाहेंगे. दोनों के संबंधों में जो खटास है उसके मद्देनजर उन्हें रोकने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दे सकते हैं. बहरहाल, चुनाव में अभी दो माह से अधिक का वक्त है. इस दौरान क्या कुछ हो जायेगा, अभी कहना कठिन है.

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