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इस समाजवादी नेता से ऐसी उम्मीद नहीं थी सुशासन बाबू को!

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विशेष प्रतिनिधि
20 फरवरी 2024

Patna : बच्चे दिल के सच्चे होते हैं. अच्छे होते हैं. मगर राजनीति में अक्सर ऐसा नहीं होता है.राजनीति में किसी राजनेता के बच्चे की महात्वाकांक्षा (Ambition) अपने पिता के लिए अनिष्टकारी और विध्वंसकारी प्रमाणित हो जाती है. इसमें बड़े से छोटे हरेक राजनेता के बच्चे शामिल हैं. कुछ बच्चे पिता की राजनीतिक सत्ता (Political Power) का नाजायज फायदा उठाकर कोहराम मचा देते हैं. बुरे कारनामों के कारण मीडिया में सुर्खियां पाते हैं. एक समय ऐसा आता है कि बच्चे के कारण पिता का कैरियर समाप्त हो जाता है. यह सिलसिला कभी समाप्त नहीं होता है. इस प्रक्रिया में राज्य के कई बड़े राजनेता (Politician) घर बैठ गये. फिर भी बच्चे सबक नहीं ले रहे हैं.

बाध्य कर दिया बेटे ने
हाल का मामला एक पुराने समाजवादी नेता (Socialist Leader) का है. हरेक दल में इनका सम्मान करने वाले लोग हैं. छवि ऐसी कि कभी परिवारवाद या भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा. मगर, बेटा के कारण जीवन भर की अर्जित कमाई दांव पर लग गयी. पहले बेटे ने जिद की कि मनोनयन (Nomination) के माध्यम से राज्यसभा या विधान परिषद में भिजवा दीजिये. राजनीति में परिवारवाद (Familialism) के विरोधी नेताजी ने कभी इसके लिए प्रयास नहीं किया. नेताजी स्वयं किसी सदन में मनोनयन के माध्यम से ही समायोजित थे. बेटे ने एक बार कहा कि आप की उम्र हो चली. कुछ नहीं तो अपनी जगह पर ही सेट कर दीजिये. वह ऐसा नहीं कर पाये. इसके कारण परिवार में नेताजी की परेशानी बढ़ गयी. पानी के सिर से गुजरने का सीन बन गया. बेटे ने आर या पार का निर्णय लेने के लिए बाध्य कर दिया.


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समायोजन का करार
जानकारी जब सुशासन बाबू के पास पहुंची तो वे बहुत नाराज हुए. इतने नाराज हुए कि बातचीत बंद कर दी. यह पहली बार हुआ, जब सुशासन बाबू अपने इस पुराने साथी से इस कदर नाराज हुए. अब समझिये कि नाराजगी का कारण क्या था. सुशासन बाबू को सूचना दी गयी थी कि उन्हें पलटने के अभियान में ये नेताजी भी शामिल थे. इसके एवज में उनके बेटे के समायोजन का करार हो रहा था. बड़े भाई की पार्टी से बातचीत पक्की हो गयी थी. करार यही कि सरकार पलटी तो बेटा को विधान परिषद (Legislative Assembly) में भेज दिया जायेगा. इतना ही नहीं, मंत्री का पद भी दे दिया जायेगा.

निकल गयी हाथ से…
बातचीत का एक अंश यह भी था कि बेटा अगर चुनाव जीत कर ही राजनीति (Politics) में आना चाह रहा है तो उसे शाहाबाद की कोई जीतने वाली सीट दे दी जायेगी. परेशानी यह हुई कि सुशासन बाबू को समय रहते साजिश की जानकारी मिल गयी. मुख्य सूत्रधार (Mastermind) को चलता करने के बाद सहायकों का इलाज किया गया. नेताजी उसी के चपेट में आ गये. मनोनयन सुख – सुविधा भी हाथ से निकल गयी. हालत यह है कि नेताजी को मजबूरी में ही सही बड़े भाई के आश्रम में ही रहना पड़ेगा.

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