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रामप्रीत को ‘राम-राम’… मंगनीलाल की खिलेगी मुस्कान!

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राजेश पाठक
14 मार्च 2024

Madhubani : कोसी, कमला और भुतहीबलान की गोद में बसे झंझारपुर संसदीय क्षेत्र (Jhanjharpur Parliamentary Constituency) की मुख्य समस्याएं बेरोजगारी, पलायन और हद से ज्यादा पिछड़ापन है. जीविका कृषि पर आधारित है. कृषि का हाल यह है कि उक्त नदियों का बाढ़रूपी दंश इसे प्रायः हर साल झेलना पड़ता है. विकास की बाबत जदयू सांसद रामप्रीत मंडल और उनके समर्थकों का दावा कुछ और हो सकता है. पर, सामान्य धारणा है कि उन्होंने इन समस्याओं से क्षेत्र को त्राण दिलाने के लिए कोई खास पहल नहीं की. इससे लोग खासे आक्रोशित दिख रहे हैं. लेकिन, यह सब सिर्फ कहने-सुनने की बात है. जमीनी हकीकत यह है कि चुनाव (Election) के वक्त की जातीय गोलबंदी तमाम शिकवे-शिकायतों को बाढ़ उगलने वाली उन्हीं नदियों में बहा देती है. जाति जिंदाबाद!

नजर भाजपा की भी
विश्लेषकों की समझ में विनाशकारी बाढ़ की तरह यह भी झंझारपुर की नियति बन गयी है. इस क्षेत्र से गठबंधनों के उम्मीदवार कौन होंगे, चुनाव के मात्र दो माह दूर रहने के बावजूद इस पर धुंध छायी हुई है. वर्तमान में रामप्रीत मंडल (Rampreet Mandal) जदयू के सांसद हैं. राजग में तस्वीर करीब-करीब साफ है. परन्तु, राजग (NDA) में झंझारपुर जदयू के हिस्से में ही रहेगा और उम्मीदवारी रामप्रीत मंडल को ही मिलेगी यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता. इस पर नजर भाजपा (BJP) की भी है. लेकिन, उसके साथ दिक्कत यह है कि एक-दो कम चर्चित चेहरे को छोड़ संसदीय चुनाव में दमखम दिखाने वाला कोई बड़ा चेहरा नहीं है.

खतरा बना हुआ है
जदयू के फिर से राजग से जुड़ने के पूर्व के हालात में भाजपा के संभावित उम्मीदवार (Potential Candidates) के तौर पर कई नाम चर्चा में थे. उनमें एक बड़ा नाम राज्य अतिपिछड़ा आयोग के पूर्व अध्यक्ष और जदयू के पूर्व विधान पार्षद उदयकांत चौधरी का भी था. हालांकि, उनका जुड़ाव जदयू (JDU) से है. जदयू के राजग से पुनर्जुडा़व के बाद ऐसी चर्चाओं पर विराम लग गया है. लेकिन, जदयू के अंदर उम्मीदवारी के लिए झंझट पसरने का खतरा खत्म नहीं हुआ है. सामान्य समझ है कि सीटिंग होने के नाते दावेदारी जदयू की बनती है. वैसे भी अतिपिछड़ा (Extremely Backward) बहुल झंझारपुर को वह दूसरे किसी सहयोगी दल के कोटे में हरगिज नहीं जाने देगा. इसलिए कि अतिपिछड़ा समाज को वह अपना आधार मत मानता है.

कमजोर नहीं है दावेदारी
जहां तक उम्मीदवारी की बात है तो सांसद रामप्रीत मंडल तो जदयू में स्वाभाविक दावेदार हैं ही, पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पूर्व सांसद मंगनीलाल मंडल और पूर्व मंत्री शीला मंडल (Sheela Mandal) की भी कमजोर दावेदारी नहीं है. इन तीनों के अलावा युवा चेहरा के तौर पर मधुबनी जिला जदयू के उपाध्यक्ष प्रवीण कुमार मंडल भी चहक रहे हैं. ये सब क्षेत्र के चर्चित चेहरे हैं. इनमें से उम्मीदवारी किसी एक को मिलेगी. शेष निराश होंगे. राजनीतिक हालात (Political Situation) बदलने के बाद संभावित उम्मीदवार के तौर पर अब पूर्व विधान पार्षद उदयकांत चौधरी का नाम भी लिया जाने लगा है. मधुबनी जिला जदयू के अध्यक्ष सत्येन्द्र कामत का भी.


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तब हार को कोई टाल नहीं पायेगा
रामप्रीत मंडल की उम्मीदवारी के दोहराव को लेकर दो तरह की बातें कही जा रही हैं. एक तबके के मुताबिक उन्हें दोबारा उम्मीदवारी मिलेगी और व्यवहार कुशलता दूसरी जीत दिला देगी. इसके बरक्स स्थानीय कुछ मुद्दों को आधार बना दूसरे तबके का कहना है कि उन्हें फिर से उम्मीदवारी मिली तो जदयू की हार को कोई टाल नहीं पायेगा. इस तबके के मुताबिक वर्तमान स्थिति में रामप्रीत मंडल की तुलना में पूर्व सांसद मंगनीलाल मंडल (Manganilal Mandal) मजबूत उम्मीदवार साबित हो सकते हैं. जहां तक पूर्व मंत्री शीला मंडल की बात है तो संसदीय चुनाव की बाबत उनके समक्ष कई अगर-मगर हैं.

ताक झांक राजद में भी
शीला मंडल पूर्व राज्यपाल धनिकलाल मंडल के परिवार से हैं. उनके भतीजा ईं. शैलेन्द्र मंडल की पत्नी हैं. शीला मंडल की उम्मीदवारी तो संदिग्ध है ही, ईं. शैलेन्द्र मंडल भी खुद के लिए प्रयासरत बताये जाते हैं. अब उनके इस प्रयास की जानकारी शीला मंडल को है भी या नहीं, यह नहीं कहा जा सकता. एक चर्चा यह भी है कि अप्रत्यक्ष रूप से शीला मंडल राजद (RJD) में भी संभावना (Possibility) तलाश रही हैं. ठांव वहां शायद ही मिल पायेगा. ‘शरण’ मिले या नहीं, मंगनीलाल मंडल भी उस ओर मुखातिब हो सकते हैं. (जारी)

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