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किसने दिखायी … अशोक महतो को लालू दरबार की राह?

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विष्णुकांत मिश्र
22 मार्च 2024

Munger : ‘सामाजिक न्याय’ के दौर के कुख्यात सरगना अशोक महतो (Ashok Mahto) की राजनीति में अप्रत्याशित सक्रियता, उफनती चुनावी महत्वाकांक्षा, इसी एकमात्र मकसद से खरमास में शादी और मुंगेर से उनकी नवविवाहिता कुमारी अनिता उर्फ डाली को राजद (RJD) की उम्मीदवारी … ये तमाम बातें इन दिनों‌ सोशल मीडिया (Social Media) की सुर्खियों में हैं. तकरीबन 13 साल पहले ऐसी ही सुर्खियां‌ सीवान (Siwan) के बाहुबली अजय सिंह (Ajay Singh) की शादी को मिली थीं. 2011 में राजनीतिक मकसद से ही‌‌ उन्होंने कविता सिंह नाम की कालेज छात्रा से पितृपक्ष में‌ शादी की थी. शादी के बाद‌ कविता सिंह (Kavita Singh) दो बार विधायक निर्वाचित हुईं. आगे क्या होगा नहीं कहा जा सकता, वर्तमान में सीवान से जदयू की सांसद हैं. अशोक महतो ने जिस कुमारी अनिता उर्फ डाली (Kumari Anita urf Dauly) से शादी की है, उनके भी राजनीति में बेहतर मुकाम पाने की संभावना है.

क्यों राजनीति से जोड़ दिया जिन्दगी को?
अशोक महतो नवादा (Nawada) जिले के पकरीबरावां थाना क्षेत्र के बढ़ौना गांव के रहने वाले हैं. उनकी कथित खूंख्वारियत की लम्बी दर्दनाक दास्तां है.‌ अगड़ा बनाम पिछड़ा के आवरण में आपराधी गिरोहों के बीच बालू एवं पत्थर के अवैध उत्खनन पर वर्चस्व की खूनी जंग की खौफनाक दास्तां. पूर्व सांसद राजो सिंह (Rajo Singh) की हत्या, प्रखंड विकास पदाधिकारी की हत्या, ‌अपसढ़ और मनीपुर नरसंहार‌, नवादा जेल कांड, पूर्व विधायक रणधीर कुमार सोनी (Randhir Kumar Soni) पर प्राणलेवा‌ हमला आदि अनेक जघन्य मामलों में अशोक महतो की संलिप्तता के आरोप लगे थे. अपसढ़ में भूमिहार समाज के लोग मारे गये थे, तो मनीपुर में खून पिछड़ों का बहा था! इस पर चर्चा फिर कभी. फिलहाल यह जानने की कोशिश करते हैं कि अनेक संगीन मामलों में 17 साल का लम्बा वक्त जेल की सलाखों के पीछे गुजार खुली हवा में आये कभी दुर्दांत अपराधी रहे अशोक महतो ने अपनी जिन्दगी को राजनीति से क्यों जोड़ दिया‌?


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मुंगेर से‌ ही क्यों?
संसदीय चुनाव ही लड़ना था तो अशोक महतो नवादा से भी लड़ या लड़ा सकते थे, राजद उम्मीदवार के रूप में मुंगेर से ही लड़ने का निर्णय क्यों किया, ‌जहां से जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष‌ राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह (Lalan Singh) चुनाव लड़ते हैं? इस प्रसंग में यह सवाल भी उठता है कि राजद की उम्मीदवारी के लिए लालू प्रसाद (Lalu Prasad) तक उनकी आसान पहुंच कैसे हो गयी? माध्यम कौन बना? ये और ऐसे अन्य भी कई सवाल हैं, जो सामान्य लोगों की जिज्ञासा में जगह बनाये हुए हैं. अशोक महतो के निकट के लोगों की मानें, तो 17 वर्षों से‌ धधक रही प्रतिशोध की आग को शांत करने के लिए उन्होंने राजनीति में खुले तौर पर कदम रखा है. अप्रत्यक्ष‌‌ दखलंदाजी उनकी पहले भी होती रही है.

हवा में‌‌ हैं क‌‌‌ई तरह की बातें
वारिसलीगंज (Warisaliganj) विधानसभा क्षेत्र से रिश्ते में भतीजा प्रदीप महतो (Pradeep Mahto) की दो बार हुई जीत को इससे जोड़ कर देखा जा रहा है. प्रदीप महतो के बारे में चर्चा है कि अशोक महतो के ‘मुख्य रणनीतिकार’ वही हैं. हालांकि,‌ इन दिनों विश्वास में कुछ दरार‌ पैदा हो जाने की‌ बात कही जा रही है. लोग कहते हैं कि अशोक महतो में प्रतिशोध जाति विशेष के नेताओं को लेकर है. सच क्या है, नहीं कहा जा सकता. चर्चा अब अशोक महतो के लालू प्रसाद के दरबार में मत्था टेकने की. इस बाबत कई तरह की बातें हवा में हैं. एक चर्चा है कि इसकी पृष्ठभूमि जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व मंत्री राजबल्लभ प्रसाद (Rajballabh Prasad) ने तैयार की.

इस नाम की भी है चर्चा
राजबल्लभ प्रसाद की पहल पर अशोक महतो राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के दरबार में गये. इसमें सत्यता कितनी है यह कहना कठिन, पर दोनों के संबंधों में मधुरता‌ को देखते हुए इसे संपूर्ण सच नहीं, तो संपूर्ण झूठ भी नहीं माना जा सकता. दूसरी चर्चा में पटना जिले के घोसवरी के प्रखंड प्रमुख मिथलेश यादव उर्फ मिट्ठू यादव का नाम लिया जाता है. मिट्ठू यादव (Mithu Yadav) की‌‌ पहचान कभी अशोक महतो के‌‌ ‘खासमखास’‌ की थी. चर्चा वारिसलीगंज के किसी राजीव कु#मार (Rajiv Kumar) की भी हो रही है. कहा जाता है कि राजीव कुमार समाज की मुख्य धारा से जुड़े रहे अशोक महतो के करीबी हैं और उनकी पहुंच भी लालू प्रसाद के दरबार तक है.

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