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गया संसदीय क्षेत्र‌ : खिल पायेगी इस बार मुस्कान?

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राजेश पाठक
13 अप्रैल 2024

Gaya : गया संसदीय क्षेत्र‌ के चुनावी मुकाबले की उभर रही तस्वीर से रूबरू होने से पहले पूर्व के तीन चुनावों के आंकड़ों पर नजर डालने से उसकी झलक दिख जाती है. चुनावों के ये आंकड़े इस तथ्य की पुष्टि करते हैं कि गया संसदीय क्षेत्र में 2009 और 2014 में विरोधी मतों में हुए बिखराव का सीधा लाभ भाजपा (BJP) को मिल गया था. 2009 में भाजपा के हरि मांझी (Hari Manjhi) की जीत 62 हजार 453 मतों के अंतर से हुई थी. उन्हें 02 लाख 46 हजार 255 मत मिले थे तो दूसरे स्थान पर रहे राजद (RJD) प्रत्याशी रामजी मांझी (Ramji Manjhi) को 01 लाख 83 हजार 802 मत. 64 हजार 902 मतों के साथ कांग्रेस (Congress) के संजीव प्रसाद टोनी (Sanjeev Prasad Toni) तीसरे स्थान पर अटक गये थे. राजद और कांग्रेस को मिले मतों का योग भाजपा को प्राप्त मतों से 02 हजार 449 मत अधिक था.

मिली सबसे बड़ी खुशी
विपक्ष को तसल्ली के लिए कहा जा सकता है कि दोनों साथ होते तो परिणाम कुछ और निकलता. लेकिन, राजनीति (Politics) में दो और दो हमेशा चार नहीं होते. ‌इस आधार पर वैसा ही होता यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता.‌ 2014 में भी संघर्षपूर्ण त्रिकोणीय मुकाबला हुआ. मांझी समाज के तीन कद्दावर उम्मीदवारों के बीच दिलचस्प मुकाबला. भाजपा के सिटिंग सांसद हरि मांझी और राजद के रामजी मांझी को दोबारा अवसर मिला. तीसरा मजबूत उम्मीदवार जदयू के जीतनराम मांझी थे. वही जीतनराम मांझी (Jitanram Manjhi) जिन्हें गया की वह हार जिन्दगी की सबसे बड़ी खुशी दे गयी. उसी हार के बाद उन्हें‌ मुख्यमंत्री (Chief Minister) का पद मिला जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की होगी. जीत जाते तो सांसद भर बन पाते.

खंडित हो गयी धारणा
2024 के चुनाव में मुख्य टक्कर हरि मांझी (Hari Manjhi) और रामजी मांझी (Ramji Manjhi) के बीच हुई. 01 लाख 15 हजार 504 मतों के अंतर वाली जीत हरि मांझी को हासिल हो गयी. उन्हें 03 लाख 26 हजार 230 मतों की प्राप्ति हुई तो रामजी मांझी को 02 लाख 10 हजार 726 मत मिले. जीतनराम मांझी 01 लाख 31 हजार 828 मतों के साथ तीसरे स्थान पर अटक गये. ये आंकड़े इस बात की तसदीक़ करते हैं कि उस चुनाव में सीधा संघर्ष होता तो शायद भाजपा की जीत नहीं हो पाती. 16 हजार 324 मतों से वह पिछड़ जाती. लेकिन, 2019 में यह धारणा खुद-ब-खुद खंडित हो गयी कि आमने- सामने के मुकाबले में सत्तारूढ़ एनडीए जमीन सूंघ लेगा.

जबरदस्त जोर आजमाइश
गया में हाल के चुनावों में संभवतः पहली बार 2019 में सीधा मुकाबला हुआ. एनडीए के जदयू प्रत्याशी विजय कुमार मांझी (Vijay Kumar Manjhi) और महागठबंधन के ‘हम’ प्रत्याशी जीतनराम मांझी में जबरदस्त जोर आजमाइश हुई. 01 लाख 52 हजार 426 मतों के अंतर से जीत विजय कुमार मांझी की हो गयी. यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि 2014 के त्रिकोणीय मुकाबले की तुलना में 2019 के सीधे मुकाबले में एनडीए की जीत 36 हजार 922 आधिक मतों से हुई. विजय कुमार मांझी को 04 लाख 67 हजार 007 मत मिले तो जीतनराम मांझी को 03 लाख 14 हजार 581 मत. जीतनराम मांझी की पार्टी ‘हम’ उस महागठबंधन का हिस्सा थी जिसमें राजद और कांग्रेस के अलावा उपेन्द्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) की उस समय की पार्टी रालोसपा (RLSP) और अतिमहत्वाकांक्षी मुकेश सहनी (Mukesh Sahani) की पार्टी‌ वीआईपी (VIP) भी शामिल थी.


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खिला दे सकता है गुल
जीतनराम मांझी इस बार भी ‘हम’ के उम्मीदवार हैं. पर, छतरी महागठबंधन की नहीं, एनडीए की है. उपेन्द्र कुशवाहा भी एनडीए (NDA) में हैं. दूसरी तरफ महागठबंधन की छतरी के नीचे राजद प्रत्याशी के तौर पर कुमार सर्वजीत (Kumar Sarvjeet) ताल ठोंक रहे हैं. अंतर यह भी है कि उपेन्द्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी एनडीए के साथ हो गये हैं, तो वामपंथी दलों की ताकत महागठबंधन से जुड गयी है. चुनाव के दृष्टिकोण से इसके अलावा 2019 और 2024 के राजनीतिक हालात में और कोई बड़ा बदलाव नहीं दिखता है. हालांकि, जाति आधारित सामाजिक समीकरण अंगड़ाई लेता नजर आ रहा है. हालात ऐसे ही रहे तो कोई गुल भी खिला दे सकता है.

देखना दिलचस्प होगा
इसके बावजूद 2024 के चुनावी आंकड़े 2019 के आंकड़ों के आसपास ही रह सकते हैं. वैसे, पूर्व के तीन चुनावों की तरह जीतनराम मांझी की बंद तकदीर इस बार भी नहीं खुली, तो वह अलग बात होगी. जीतनराम मांझी पहले कांग्रेस, जदयू और राजद संरक्षित उम्मीदवार के रूप में मुंह की खा चुके हैं. इस बार भाजपा संरक्षित प्रत्याशी हैं. ऐसे में किस्मत खुलती भी है या नहीं, यह देखना दिलचस्प होगा.

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