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बना रहे हैं नया घर, तब… रखें इसका ख्याल, नहीं होंगे कभी कंगाल! 

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तापमान लाइव ब्यूरो
27 अप्रैल 2024

Patna : सुख-समृद्धि और‌‌ शांति हमेशा बनी रहे, कलह नहीं हो, कभी कोई विपत्ति न आये, इसके लिए नया घर बनवाते समय वास्तु शास्त्र के कुछ नियमों का अनुपालन आवश्यक होता है. घऱ में कौन सी चीज कहां रहनी चाहिए इस पर विशेष ध्यान देना पड़ता है. ऐसी मान्यता है कि वास्तु (Vastu) नियमों को नजरंदाज करने पर कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ जाता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार घर (Home) में किस दिशा में क्या होना चाहिए , आलेख में उसकी जानकारी दी जा रही है :

उत्तर दिशा में रखें तिजोरी
वास्तु शास्त्र के विशेषज्ञों के मुताबिक उत्तर दिशा का खास महत्व होता है. यह दिशा कुबेर (Kuber) की होती है. इस दिशा में तिजोरी रखना शुभ होता है. किसी कारणवश तिजोरी नहीं रखते हैं तो धनागमन के लिए इस दिशा को खाली रखें. घर की पूरब दिशा को भी खाली रखना चाहिए. वास्तु शास्त्र के अनुसार पूर्व दिशा के स्वामी सूर्य (Surya) और इंद्र (Indra) हैं. यह ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌शास्त्र बताता है कि घर की दक्षिण दिशा में भारी सामान रखना चाहिए. इस दिशा में खुली जगह या शौचालय नहीं होना चाहिए. यह दिशा यम के आधिपत्य, मंगल ग्रह के पराक्रम व पृथ्वी तत्व की प्रधानता वाली दिशा है.


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ईशान कोण में पूजा घर
पश्चिम दिशा के देवता वरुण (Varun) और ग्रह स्वामी शनि (Shani) है. इस दिशा में  रसोईघर या शौचालय होना चाहिए. लेकिन, रसोईघर और शौचालय पास-पास नहीं हो, इसका ध्यान रखना चाहिए. घऱ की उत्तर- पूर्व की दिशा ईशान  कोण होती है. वास्तु के नियम के अनुसार इस दिशा में पूजा घर होना चाहिए. घर की इस दिशा को भगवान शिव का स्थान माना जाता है. गुरु ग्रह इस दिशा के स्वामी हैं. घर की दक्षिण- पूर्व दिशा को आग्नेय कोण कहते हैं. यह अग्नि तत्व की दिशा है. इस दिशा में गैस, इलेक्ट्रॉनिक सामान होना चाहिए.

वायव्य कोण में शयन कक्ष
घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा नैऋत्य कोणहै. इस दिशा में खुलापन अर्थात खिड़की, दरवाजे बिलकुल ही नहीं होने चाहिए. घर के मुखिया का कमरा इस दिशा में बना सकते हैं. वास्तु शास्त्र के नियमानुसार इस दिशा में पृथ्वी तत्व का स्थान है और इसके स्वामी राहु और केतु हैं. घर की उत्तर-पश्चिम दिशा वायव्य कोण होती है. इस दिशा में शयन कक्ष, गैरेज, गौशाला आदि होना चाहिए. इस दिशा में वायु का स्थान है और इसके स्वामी ग्रह चंद्र हैं. वास्तु शास्त्र के इन नियमों का अनुपालन नहीं करने पर घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव‌ बढ़ जाता है. इस कारण कभी चैन नहीं मिल पाता है.

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