हेना शहाब : रह जायेगा फिर अधूरा ख्वाब!
विकास कुमार
29 मई 2024
Siwan : हेना शहाब के समर्थकों को इस खबर पर विश्वास नहीं जमेगा. जमना भी नहीं चाहिये. इसलिए कि यह विभिन्न माध्यमों से संग्रहित मतदान के रूझानों पर आधारित अनुमान है, परिणाम नहीं. लेकिन, मुख्य मुकाबले के दूसरे उम्मीदवारों के समर्थकों को यह सच नहीं तो सच के करीब अवश्य दिखेगा. 25 मई 2024 को सीवान में मतदान हुआ. अनुमान के अनुरूप रूझान नजर नहीं आया. राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद (Lalu Prasad) का ‘माय’ स्पष्ट रूप से विभाजित दिखा. हालांकि, 2009 और फिर 2014 में भी ऐसा विभाजन हुआ था. तब स्वजातीय भाजपा उम्मीदवार ओमप्रकाश यादव (Omprakash Yadav) के पीछे यादव मतदाता दीवाना थे, इस बार हेना शहाब (Hena Shahab) के लिए मुस्लिम मतदाताओं में दीवानगी दिखी. पर, मुकम्मल रूप में नहीं.
रास नहीं आया ‘भगवा रंग’
मतदान केंद्रों पर नजर जमा रखे लोगों की मानें, तो मजबूत विकल्प रहने के बावजूद मुस्लिम समुदाय के एक तबके का समर्थन राजद (RJD) को मिल गया. मतदाताओं का कोई आधिकारिक जातीय आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. राजनीतिक (Political) दलों द्वारा एकत्र अनुमानित आंकड़ों पर भरोसा करें तो इस संसदीय क्षेत्र में मुस्लिम मतों की संख्या 03 लाख 46 हजार 303 है. इसका एक छोटा हिस्सा रोजी- रोजगार के लिए खाड़ी देशों में रहता है. राजनीति के पंडितों का आकलन है कि हेना शहाब का तर्क जो हो, कट्टरपंथी हिस्से को उनका ‘भगवा रंग’ रास नहीं आया. वह तबका ‘माय’ से बंधा रहा.
ऐसी बात भी नहीं
बड़ा शोर था सवर्ण समाज के समर्थन का. समर्थन मिला भी. पर, अपने मूल राजनीतिक चरित्र को छोड़ सभी उसी धारा में बह गये, ऐसी बात भी नहीं. जदयू उम्मीदवार विजयलक्ष्मी देवी (Vijaylaxmi Devi) के पति पूर्व विधायक रमेश सिंह कुशवाहा (Ramesh Singh Kushwaha) से तमाम नाराजगी- नापसंदगी के बाद भी सवर्ण समाज के अधिसंख्य मत एनडीए (NDA) के पक्ष में गये, ऐसा विश्लेषकों का आकलन है. इस संसदीय क्षेत्र में लगभग चार लाख सवर्ण मतदाता हैं. उनमें पौने दो लाख के करीब राजपूत, डेढ़ लाख ब्राह्मण और 75 हजार के आसपास भूमिहार हैं. आमतौर पर ये एनडीए समर्थक सामाजिक समूह माने जाते हैं. एनडीए की उम्मीदवारी को लेकर क्षुब्ध तबका हेना शहाब की ओर मुखातिब था, पर संख्या अधिक नहीं थी.
आकर्षण का बड़ा कारण नहीं
मुस्लिम और सवर्ण समाज के खंडित समर्थन के अलावा अन्य कोई ऐसा सामाजिक समूह नहीं दिखा जो हेना शहाब से प्रभावित हो. शहाबुद्दीन (Sahabuddin) की पत्नी होने के अलावा आकर्षण का कोई बड़ा कारण भी नहीं था. जीत के बाद राजद से जुड़ जाने का संदेह भी जगह बनाये हुए था. वैसे, कुछ न कुछ मत उन्हें हर जाति और वर्ग के मिले हैं. यादव समाज के भी. तकरीबन 02 लाख 50 हजार यादव मत हैं. उन मतों का लगभग संपूर्ण समर्थन राजद प्रत्याशी ट अवध बिहारी चौधरी को मिला. हिस्सेदार के तौर पर निर्दलीय जीवन यादव (Jivan Yadav) मैदान में थे. परन्तु, यादव मतों की राजदपक्षीय आक्रामकता के सामने उनका ज्यादा कुछ चल नहीं पाया.
राजद को मिला साथ
ऐसा माना जाता है कि अवध बिहारी चौधरी (Awadh Bihari Chaudhary) को मुसलमानों के एक हिस्से के साथ मल्लाहों के भी मत मिले. मल्लाह मत 80 हजार के आसपास हैं. राजद (RJD) को वैश्यों, दलितों, आदिवासियों और अत्यंत पिछड़ा वर्ग के उन मतों का साथ मिला जो लालू प्रसाद के मुरीद हैं. पर, विश्लेषकों का मानना है कि यह संख्या परिणाम को प्रभावित करने लायक नहीं है. भाकपा-माले महागठबंधन का हिस्सा है. उसके समर्थक मतदाताओं का स्वभाविक साथ राजद को मिला. 2019 में अमरनाथ यादव (Amarnath Yadav) भाकपा-माले के उम्मीदवार थे. 74 हजार 644 मत बटोरने में सफल रहे थे. भाकपा-माले का साथ मिलने से अवध बिहारी चौधरी (Awadh Bihari Chaudhary) की स्थिति भी अनुमान के विपरीत मजबूत हो गयी है.
कुछ-कुछ उन्हें भी मिला
01 लाख 75 हजार के आसपास वैश्य मतदाता हैं. मतदान केंद्रों पर वे लीक से अलग नहीं दिखे. 02 लाख की अनुमानित संख्या वाले कुशवाहा-कुर्मी समाज में एनडीए (NDA) के पक्ष में एकजुटता बनी रही. इसलिए भी कि जदयू उम्मीदवार विजयलक्ष्मी देवी कुशवाहा समाज से हैं. वैसे, जो भाकपा-माले से जुड़े हैं वे लालटेन को रौशन करते दिखे. दलितों की मत संख्या 02 लाख 03 हजार 375 अनुमानित है. सर्वाधिक डेढ़ लाख रविदास समाज के हैं. इनमें कुछ मायावती से प्रभावित हैं तो कुछ नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) से तो कुछ लालू प्रसाद से भी. रविदास समाज के मत इसी अनुपात में विभाजित हुए हैं. कुछ हेना शहाब की ओर भी मुखातिब दिखे हैं.
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कांटे का मुकाबला
पासवान समाज के तकरीबन 75 हजार मतों में अधिसंख्य एनडीए के पक्ष में गये हैं. आदिवासी समाज के 49 हजार 688 मतों का करीब-करीब रविदास समाज के मतों जैसा विभाजन हुआ. अत्यंत पिछड़ा वर्ग के 02 लाख 50 हजार मतों में से मल्लाह मत के रूप में एक तिहाई हिस्सा राजद के पक्ष में गया. सीवान संसदीय क्षेत्र में 18 लाख 96 हजार 512 मतदाता हैं. मतदान का प्रतिशत 52.49 रहा है. विभिन्न समाजिक समूहों के मत अगर इसी अनुपात में पड़े होंगे तो फिर ख्वाब शायद ही पूरा हो पायेगा. त्रिकोणीय मुकाबले में तीर का निशाना सध जाये, तो वह हैरान करने वाली बात नहीं होगी. वैसे, विश्लेषकों का मानना है कि कांटे के मुकाबले में मुस्कान तीनों में से किसी की भी खिल सकती है.
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