तापमान लाइव

ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल

ददन पहलवान : दम नहीं अब दहाड़ में!

शेयर करें:

विष्णुकांत मिश्र
30 मई 2024

Buxar : अक्खड़ मन मिजाज के ददन पहलवान (Dadan Pahalwan) का जीवन विविधताओं और विचित्रताओं से भरा रहा है. ‌इसमें दबंगता और निर्भीकता भी जगह बनाये हुए है. इस वजह से विवादों से गहरा नाता है. अनेक प्रकार के आरोपों में वह घिरे हैं. दर्जनाधिक आपराधिक मामले भी दर्ज हैं. पौने दो साल पूर्व 02 सितम्बर 2022 को हत्या के प्रयास के एक मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट से दो साल की सजा भी हो गयी थी. चुनावों से दूर हो जाने का खतरा खड़ा हो गया था. पटना उच्च न्यायालय (Patna Highcourt) से राहत मिल गयी. 06 दिसम्बर 2023 को पटना उच्च न्यायालय ने उन्हें दोषमुक्त करार दिया. निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर बक्सर से चुनाव लड़ रहे हैं.

बन जाते थे राह का रोड़ा
इस संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवारी के मामले में राजद (RJD) में यादव समाज की उपेक्षा उनका मुख्य मुद्दा है. राजद की उम्मीदवारी पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह (Sudhakar Singh) को मिली है. वह प्रदेश राजद अध्यक्ष जगतानंद सिंह (Jagtanand Singh) के पुत्र हैं. बक्सर से जगतानंद सिंह ही राजद के उम्मीदवार होते थे. एकाध मौके को छोड़ ददन पहलवान उनकी राह का रोड़ा बन जाते थे. उस दौर में इस क्षेत्र में स्वजातीय समाज में उनकी लोकप्रियता के आगे लालू प्रसाद (Lalu Prasad) का भी कुछ नहीं चल पाता था. लोग बताते हैं कि इस बार सुधाकर सिंह की राह रोकने के मकसद से ही वह अखाड़े में उतरे हैं.

कुछ अलग नहीं होगा
अभाजपा की उम्मीदवारी गोपालगंज (Gopalganj) जिला निवासी पूर्व विधायक मिथिलेश तिवारी (Mithilesh Tiwari) को मिली है. अनिल कुमार (Anil Kumar) बसपा के उम्मीदवार हैं. पूर्व आईपीएस अधिकारी आनंद मिश्र (Anand Mishra) भी निर्दलीय भाग्य आजमा रहे हैं. ददन पहलवान बक्सर के चुनावों को कैसे और किस रूप में प्रभावित करते रहे हैं, इस बार क्या गुल खिला सकते हैं, मुख्य रूप से उसी की चर्चा यहां की जा रही है. ददन पहलवान 2019 के पूर्व के तीन चुनावों में यहां किस्मत आजमा चुके हैं. अच्छी-खासी संख्या में मत हासिल करने के बावजूद तीनों ही बार उनकी हार हो गयी. इस बार उससे भिन्न कुछ होगा वैसा नहीं दिखता है.

हार गये थे शिवानन्द तिवारी भी
1994 में शिक्षक की नौकरी छोड़ राजनीति में कूदने वाले ददन पहलवान पहली बार 2000 में डुमरांव (Dumraon) से निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए थे. संयोगवश राबड़ी देवी (Rabri Devi) की सरकार में मंत्री भी बन गये. इस उपलब्धि से महत्वाकांक्षा उफना गयी. 2004 में वह बक्सर संसदीय क्षेत्र के चुनाव मैदान में उतर गये. निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में भाजपा प्रत्याशी लालमुनी चौबे (Lalmuni Chaubey) को कड़ी टक्कर देने के बाद भी 54 हजार 866 मतों के अंतर से मात खा गये. उस चुनाव में शिवानंद तिवारी (Shivanand Tiwari) राजद के उम्मीदवार थे. ददन पहलवान द्वारा 01 लाख 51 हजार 114 मत बटोर लिये जाने के कारण उनकी न सिर्फ हार हो गयी, बल्कि 01 लाख 33 हजार 467 मतों में सिमट वह तीसरे स्थान पर लुढ़क गये.

चौबे की अप्रत्याशित हार
शिवानंद तिवारी को 1999 में भी करीब-करीब ऐसी ही शर्मनाक पराजय का मुंह देखना पड़ गया था. तब ददन पहलवान चुनाव मैदान में नहीं थे. 2009 में वह बक्सर से पुनः निर्दलीय उम्मीदवार बन गये. चतुष्कोणीय मुकाबले में चतुर्थ स्थान प्राप्त हुआ. लेकिन , मत लगभग उतने ही मिले जितने 2004 में मिले थे. जीत राजद के जगतानंद सिंह की हुई थी. पूर्व के कई चुनावों में लगातार जीतते रहे भाजपा के लालमुनी चौबे की अप्रत्याशित हार हो गयी.


ये भी पढ़ें :
हेना शहाब : रह जायेगा फिर अधूरा ख्वाब!
गोड्डा : सेंधमारी का पक्का इंतजाम…तब भी नहीं इत्मीनान !
गोड्डा : अभिषेक से आक्रांत…! चूक जायेंगे निशिकांत?
राजनीति है हैरान : कहां खिलेगी मुस्कान !


हवा बांध कर रह गये
2014 में ददन पहलवान बसपा के उम्मीदवार थे. 01 लाख 84 हजार 788 मत लाकर खुद तीसरे स्थान पर अटक गये, पर राजद के जगतानंद सिंह की हार का बड़ा कारण बन गये. जीत भाजपा के अश्विनी चौबे (Ashwini Chaybey) की हुई. भाजपा नेतृत्व ने पूर्व सांसद लालमुनी चौबे को हाशिये पर डाल अश्विनी चौबे को उम्मीदवारी दी थी. नेतृत्व के निर्णय पर वह बेशक खरा उतरे. 2019 में भी ददन पहलवान ने चुनाव (Election) लड़ने की हवा बांधी थी. परन्तु, स्वजातीय मतों की महागठबंधन, खासकर राजद के पक्ष में मजबूत गोलबंदी ने उन्हें दुबके रहनेे को मजबूर कर दिया.

हठयोग करते तब…
सामान्य समझ है कि यादव मतों की एकपक्षीय आक्रामकता वाले हालात में वह हठयोग करते तो जनाधार की असलियत खुलकर सामने आ जाती. 2020 के विधानसभा चुनाव में वह असलियत सामने आ ही गयी. डुमरांव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर वह 10 हजार का आंकड़ा भी नहीं छू पाये. यादव मतों की राजद के पक्ष में आक्रामकता इस बार के चुनाव में भी दिख रही है. ऐसे में ददन पहलवान को मतों के रूप में क्या और कितना हासिल हो पायेगा यह बड़ी आसानी से समझा जा सकता है.

#TapmanLive

अपनी राय दें